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MBBS की सीट नहीं बचा पा रहा झारखंड! फैकल्टी की कमी से एनएमसी नए नामांकन पर लगा सकती है रोक

झारखंड राज्य में तीन नए मेडिकल कॉलेज में अभी-भी प्रोफेसर-एसोसिएट प्रोफेसर की घोर कमी है. जिसकी वजह से पिछले साल की तरह इस साल भी एनएमसी नए नामांकन पर रोक लगा सकती है. इसको लेकर डॉक्टर्स ने चिंता जताई है.

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रिम्स
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Published : Aug 29, 2021, 4:17 PM IST

रांचीः झारखंड में पहले से ही जनसंख्या के अनुपात में डॉक्टर्स की घोर कमी है. ऐसे में राज्य में चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने के लिए जरूरी है कि राज्य में ज्यादा से ज्यादा संख्या में एमबीबीएस की पढ़ाई जरूरी है, पर झारखंड में इसके उल्टा हो रहा है. जो एक चिंता का विषय बनता जा रहा है.

इसे भी पढ़ें- मेडिकल स्टूडेंट्स के भविष्य से खिलवाड़ कर रही झारखंड सरकार: कुणाल षाड़ंगी


झारखंड राज्य में तीन नए मेडिकल कॉलेज में अभी-भी प्रोफेसर-एसोसिएट प्रोफेसर की घोर कमी है. जिसकी वजह से पिछले साल की तरह इस साल भी एनएमसी नए नामांकन पर रोक लगा सकती है. इसको लेकर डॉक्टर्स ने चिंता जताई है.

देखें पूरी खबर


MBBS सीट बचाने में झारखंड नाकाम

मेडिकल की सीटें बढ़ाने की जगह सरकार और स्वास्थ्य विभाग अपनी पहले की सीटों को बचा पाने में ही असफल साबित हो रहा है. भाजपा की पूर्व की सरकार में राज्य के 3 नए मेडिकल कॉलेज पलामू, हजारीबाग और दुमका में 100-100 एमबीबीएस सीट पर नामांकन के लिए सशर्त परमिशन एनएमसी ने दी थी. उसपर पिछले साल सत्र 2020-21 में संसाधनों की कमी बताकर नामांकन पर रोक लगा दी गई थी. NMC के इस कड़े रुख के बावजूद पिछले एक वर्ष में राज्य में स्वास्थ्य विभाग में तीनों नए मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर की संख्या मानकों के अनुरूप नहीं कर सका है.


इस वर्ष भी 300 सीट पर नामांकन का परमिशन मिल जाए, इस पर संदेह
अब अगस्त के महीने में मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट नीट की परीक्षा होगी तो उसके बाद इन तीनों मेडिकल कॉलेज में नामांकन की परमिशन एनएमसी शायद ही दे, क्योंकि अभी-भी मेडिकल कॉलेज पलामू, दुमका और हजारीबाग में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर की कमी बनी हुई है. जिसपर विभाग और सरकार का ध्यान नहीं है.


सरकार ने देर से लिया अनुबंध पर मेडिकल शिक्षक बहाल करने का फैसला
पिछली कैबिनेट मीटिंग में राज्य सरकार में मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर की कमी दूर करने के लिए अनुबंध पर अपेक्षा के अधिक मानदेय पर मेडिकल शिक्षक बहाल करने का फैसला लिया. लेकिन अब इसका लाभ इस सत्र मिल सकेगा, इसकी संभावना कम ही है. क्योंकि कैबिनेट की ओर से लिए गए फैसले के बाद फैकल्टी की कमी दूर करने की प्रक्रिया पूरी होते-होते एमबीबीएस प्रथम वर्ष में नामांकन भी हो चुका होगा.

इसे भी पढ़ें- झारखंड में डॉक्टरों की कमी, क्योंकि हमारी नीतियों में ही कमी है: स्वास्थ्य सचिव


झासा और रिम्स टीचर एसोसिएशन इस स्थिति को बताता दुर्भाग्यपूर्ण
राज्य के 3 नए मेडिकल कॉलेजों में 300 सीटों पर नामांकन नहीं होने की बन रही स्थिति और रिम्स जैसे संस्थानों में भी फैकल्टी की कमी के चलते एमबीबीएस की सीट घट जाने की स्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विस एसोसिएशन यानी झासा और रिम्स मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी कहते हैं कि एमबीबीएस का एक-एक सीट काफी महत्वपूर्ण होता है.

ऐसे में सरकार को चाहिए कि प्राथमिकता के आधार पर जल्द से जल्द फैकल्टी और अन्य संसाधनों को मानक के आधार पर अगस्त महीने तक पूरा कर लें. अगर एनएमसी इस सत्र में भी नामांकन पर रोक जारी रखता है तो उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जा सके.

रिम्स के मेडिकल शिक्षक संघ के डॉक्टर प्रभात कुमार कहते हैं कि सरकार को कमिश्नर या स्तर पर काम कर रहे डॉक्टरों को प्रेफरेंस और इंसेंटिव देखकर मेडिकल कॉलेज में बहाल करना चाहिए ताकि मेडिकल कॉलेज को ज्यादा से ज्यादा शिक्षक मिल सके.

रांचीः झारखंड में पहले से ही जनसंख्या के अनुपात में डॉक्टर्स की घोर कमी है. ऐसे में राज्य में चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने के लिए जरूरी है कि राज्य में ज्यादा से ज्यादा संख्या में एमबीबीएस की पढ़ाई जरूरी है, पर झारखंड में इसके उल्टा हो रहा है. जो एक चिंता का विषय बनता जा रहा है.

इसे भी पढ़ें- मेडिकल स्टूडेंट्स के भविष्य से खिलवाड़ कर रही झारखंड सरकार: कुणाल षाड़ंगी


झारखंड राज्य में तीन नए मेडिकल कॉलेज में अभी-भी प्रोफेसर-एसोसिएट प्रोफेसर की घोर कमी है. जिसकी वजह से पिछले साल की तरह इस साल भी एनएमसी नए नामांकन पर रोक लगा सकती है. इसको लेकर डॉक्टर्स ने चिंता जताई है.

देखें पूरी खबर


MBBS सीट बचाने में झारखंड नाकाम

मेडिकल की सीटें बढ़ाने की जगह सरकार और स्वास्थ्य विभाग अपनी पहले की सीटों को बचा पाने में ही असफल साबित हो रहा है. भाजपा की पूर्व की सरकार में राज्य के 3 नए मेडिकल कॉलेज पलामू, हजारीबाग और दुमका में 100-100 एमबीबीएस सीट पर नामांकन के लिए सशर्त परमिशन एनएमसी ने दी थी. उसपर पिछले साल सत्र 2020-21 में संसाधनों की कमी बताकर नामांकन पर रोक लगा दी गई थी. NMC के इस कड़े रुख के बावजूद पिछले एक वर्ष में राज्य में स्वास्थ्य विभाग में तीनों नए मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर की संख्या मानकों के अनुरूप नहीं कर सका है.


इस वर्ष भी 300 सीट पर नामांकन का परमिशन मिल जाए, इस पर संदेह
अब अगस्त के महीने में मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट नीट की परीक्षा होगी तो उसके बाद इन तीनों मेडिकल कॉलेज में नामांकन की परमिशन एनएमसी शायद ही दे, क्योंकि अभी-भी मेडिकल कॉलेज पलामू, दुमका और हजारीबाग में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर की कमी बनी हुई है. जिसपर विभाग और सरकार का ध्यान नहीं है.


सरकार ने देर से लिया अनुबंध पर मेडिकल शिक्षक बहाल करने का फैसला
पिछली कैबिनेट मीटिंग में राज्य सरकार में मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर की कमी दूर करने के लिए अनुबंध पर अपेक्षा के अधिक मानदेय पर मेडिकल शिक्षक बहाल करने का फैसला लिया. लेकिन अब इसका लाभ इस सत्र मिल सकेगा, इसकी संभावना कम ही है. क्योंकि कैबिनेट की ओर से लिए गए फैसले के बाद फैकल्टी की कमी दूर करने की प्रक्रिया पूरी होते-होते एमबीबीएस प्रथम वर्ष में नामांकन भी हो चुका होगा.

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झासा और रिम्स टीचर एसोसिएशन इस स्थिति को बताता दुर्भाग्यपूर्ण
राज्य के 3 नए मेडिकल कॉलेजों में 300 सीटों पर नामांकन नहीं होने की बन रही स्थिति और रिम्स जैसे संस्थानों में भी फैकल्टी की कमी के चलते एमबीबीएस की सीट घट जाने की स्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. झारखंड स्टेट हेल्थ सर्विस एसोसिएशन यानी झासा और रिम्स मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी कहते हैं कि एमबीबीएस का एक-एक सीट काफी महत्वपूर्ण होता है.

ऐसे में सरकार को चाहिए कि प्राथमिकता के आधार पर जल्द से जल्द फैकल्टी और अन्य संसाधनों को मानक के आधार पर अगस्त महीने तक पूरा कर लें. अगर एनएमसी इस सत्र में भी नामांकन पर रोक जारी रखता है तो उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जा सके.

रिम्स के मेडिकल शिक्षक संघ के डॉक्टर प्रभात कुमार कहते हैं कि सरकार को कमिश्नर या स्तर पर काम कर रहे डॉक्टरों को प्रेफरेंस और इंसेंटिव देखकर मेडिकल कॉलेज में बहाल करना चाहिए ताकि मेडिकल कॉलेज को ज्यादा से ज्यादा शिक्षक मिल सके.

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