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सरहुल पर नहीं निकाली जाएगी शोभायात्रा, सरकार के निर्देश पर केंद्रीय सरना समिति ने भी जताई सहमति

केंद्रीय सरना समिति की अन्य आदिवासी संगठनों के साथ बैठक हुई. बैठक में समिति ने विचार विमर्श कर राज्य सरकार के जारी किए निर्देश को मानते हुए सरहुल शोभायात्रा नहीं निकाले जाने का निर्णय लिया है. हालांकि, पूजा पूरे पारंपरिक तरीके से सरना स्थल पर ही की जाएगी.

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Published : Apr 11, 2021, 8:09 PM IST

Shobhayatra will not be carried out on Sarhul festival in ranchi
केंद्रीय सरना समिति

रांंचीः प्रकृति का महापर्व सरहुल कोरोना वायरस के खौफ से फीका पड़ता नजर आ रहा है. केंद्रीय सरना समिति के तत्वावधान में मुख्य पहान जगलाल पहान की अध्यक्षता में विभिन्न आदिवासी संगठनों और गांव टोला के समितियों के साथ बैठक की गई. जिसमें सभी संगठनों के विचार विमर्श होने के बाद निर्णय लिया गया कि सरहुल शोभायात्रा इस बार भी नहीं निकाली जाएगी. हालांकि पहले की तरह ही सरना स्थल में धूमधाम और पारंपरिक रूप से प्रकृति के महापर्व सरहुल की पूजा की जाएगी.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-सरहुल के जुलूस पर कोरोना का असर, नहीं निकाली जाएगी शोभा यात्रा

केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा ने केंद्रीय सरना समिति महामारी के मद्देनजर पहले ही निर्णय लिया था कि इस बार शोभायात्रा नहीं निकाली जाएगी. जिसके बाद विभिन्न सरना समिति और आदिवासियों संगठनों के साथ बैठक कर डीसी ने भी सरहुल शोभायात्रा को निकालने पर रोक लगाने का निर्देश दिया है.

जगलाल पहान ने बताया कि सरहुल पूजा सरना स्थल पर की जाएगी. उन्होंने कहा कि भीड़-भाड़ से बचना है, इसे देखते हुए जुलूस नहीं निकलेगा लेकिन उसी उत्साह के साथ महापर्व मनाया जाएगा. चैत माह के तृतीय शुक्ल पक्ष को सरहुल पूजा मनाई जाती है और इस बार सरहुल 15 अप्रैल को मनाया जाना है. आदिवासियों की परंपरा से जुड़ा यह पर्व प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है.

रांंचीः प्रकृति का महापर्व सरहुल कोरोना वायरस के खौफ से फीका पड़ता नजर आ रहा है. केंद्रीय सरना समिति के तत्वावधान में मुख्य पहान जगलाल पहान की अध्यक्षता में विभिन्न आदिवासी संगठनों और गांव टोला के समितियों के साथ बैठक की गई. जिसमें सभी संगठनों के विचार विमर्श होने के बाद निर्णय लिया गया कि सरहुल शोभायात्रा इस बार भी नहीं निकाली जाएगी. हालांकि पहले की तरह ही सरना स्थल में धूमधाम और पारंपरिक रूप से प्रकृति के महापर्व सरहुल की पूजा की जाएगी.

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जगलाल पहान ने बताया कि सरहुल पूजा सरना स्थल पर की जाएगी. उन्होंने कहा कि भीड़-भाड़ से बचना है, इसे देखते हुए जुलूस नहीं निकलेगा लेकिन उसी उत्साह के साथ महापर्व मनाया जाएगा. चैत माह के तृतीय शुक्ल पक्ष को सरहुल पूजा मनाई जाती है और इस बार सरहुल 15 अप्रैल को मनाया जाना है. आदिवासियों की परंपरा से जुड़ा यह पर्व प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है.

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