रांची: भारतीय संविधान में जनजातियों के संवैधानिक अधिकार विषय को लेकर राजधानी रांची के विकास भारती आरोग्य भवन के सभागार में दो दिवसीय विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. इसके समापन के मौके पर भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी भी इसमें शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने जनजातियों के अधिकारों पर चर्चा की.
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आदिवासियों के धर्म पर राय बंटी
इसमे कई आदिवासी प्रतिनिधियों ने कहा कि, लगातार झारखंड में आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड की मांग की जा रही है. आदिवासियों का एक तबका सरना धर्म कोड को लेकर लगातार आंदोलनरत है लेकिन ऐसे भी आदिवासी समुदाय हैं जो यह मानते हैं कि वे हिंदू धर्म के अंतर्गत ही आते हैं. भारतीय संविधान में जनजातियों के संवैधानिक अधिकार को लेकर पूरा विवरण दिया है. इसके बावजूद कुछ लोग भ्रांतियां फैला रहे हैं और इस देश में अराजकता फैलाना चाहते हैं. ऐसे ही और भी कई विषयों पर राजधानी रांची के बरियातू स्थित आरोग्य भवन सभागार में भारतीय संविधान में जनजातियों के संवैधानिक अधिकार विषय पर विचार गोष्ठी में वक्ताओं ने अपनी राय रखी.
आदिवासियों को बांटने की कोशिशः बाबूलाल मरांडी
मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में बाबूलाल मरांडी भी पहुंचे. इस दौरान उन्होंने भी कहा कि इन दिनों सरकार की ओर से भी मिशनरियों को बढ़ाया जा रहा है और एक प्रोपेगेंडे के तहत आदिवासियों को बांटने का काम किया जा रहा है लेकिन इस मंसूबे पर आदिवासी पानी जरूर फेरेंगे. इस कार्यक्रम के दौरान आयोजकों की मानें तो आदिवासी पहले भी संगठित थे और अभी भी हैं, जो भ्रांतियां हैं उसे दूर कर लिया जाएगा.
जनजातियों के अधिकारों के बारे में चर्चा
इस विचार गोष्ठी के दौरान जनजातियों के अधिकारों के बारे में विशेष रूप से चर्चा हुई. अनुच्छेद 226, अनुच्छेद 244, अनुच्छेद 243 में जो प्रावधान किया गया है. उन प्रावधानों पर विशेष रूप से चर्चा हुई. इसमें वक्ताओं ने कहा कि अनुच्छेद 330 में पूरी तरह स्पष्ट किया गया है कि लोकसभा में जनजाति हिंदू समाज के व्यक्ति के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है. अनुच्छेद 338 में जनजाति हिंदू समाज के संरक्षण कल्याण और सामाजिक आर्थिक विकास के कार्यों की समीक्षा के लिए अनुसूचित जनजाति आयोग के गठन का प्रावधान भी किया गया है. ऐसे ही विभिन्न मुद्दों को लेकर विचार गोष्ठी के दौरान चर्चा की गई.