ETV Bharat / city

कांग्रेस का गढ़ रहा है कोलेबिरा विधानसभा सीट, विक्सल कोंगाड़ी ने 15 साल बाद कराई वापसी - झारखंड विधानसभा चुनाव

कोलेबिरा विधानसभा सीट संयुक्त बिहार के समय से ही बीजेपी रे लिए टेढ़ी खीर साबित होता आया है. इस सीट पर बीजेपी को कभी भी जीत नसीब नहीं हुई है. फिलहाल कांग्रेस के विक्सल कोंगाड़ी विधायक हैं, विक्सल ने उपचुनाव में जीत हासिल कर इस सीट पर 15 साल बाद कांग्रेस की वापसी कराई.

डिजाइन इमेज
author img

By

Published : Nov 10, 2019, 4:43 PM IST

रांची: झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में से एक है कोलेबिरा विधानसभा सीट. यह क्षेत्र हमेशा से मिशनरी लोगों के लिए लोकप्रिय रहा है. यहां की कुल आबादी का सबसे ज्यादा हिस्सा ईसाई धर्म का है. संयुक्त बिहार के समय से ही इस सीट पर बीजेपी को कभी जीत नसीब नहीं हुई है. वहीं, राज्य बनने के 15 साल बाद कांग्रेस ने यहां कमबैक किया है. यहां से फिलहाल कांग्रेस के विक्सल कोंगाड़ी विधायक हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

कांग्रेस का गढ़ रहा है कोलेबिरा
इसके पहले 1980, 1990 और 2000 में हुए चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी यहां से विधानसभा पहुंचे. थियोडोर किड़ो 1990 और 2000 में संयुक्त बिहार में हुए चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर जीते थे. इसके पहले सुशील कुमार बागे देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के टिकट पर जीते थे. बागे एकमात्र नेता हैं, जिन्होंने छह बार कोलेबिरा विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया. वह 1952 से 1980 के बीच हुए आठ विधानसभा चुनावों में छह बार निर्वाचित हुए. 1952 से 1962 तक लगातार तीन बार जीते. 1969 और 1972 के चुनावों में भी उन्होंने जीत दर्ज की. 1969 में सुशील कुमार बागे ने निर्दलीय चुनाव लड़ा, तो 1972 में वह ऑल इंडिया झारखंड पार्टी के टिकट पर विधानसभा पहुंचे. अंतिम बार उन्होंने 1980 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की.

वीर सिंह मुंडा और एनोस तीन बार बने विधायक
बागे के बाद वीर सिंह मुंडा और एनोस एक्का दो ऐसे नेता हुए, जिन्होंने तीन-तीन बार कोलेबिरा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. पहली बार झारखंड पार्टी के टिकट पर विधानसभा पहुंचे मुंडा दो बार (1984 और 1985 में) निर्दलीय भी जीते. 1977 में पहली बार विधानसभा पहुंचे वीर सिंह मुंडा ने 1984 के उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को बड़े अंतर से हराया था. इस सीट से एनोस एक्का 2005 से लगातार झारखंड पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत रहे थे. पिछले दिनों उन्हें पारा शिक्षक की हत्या के मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद झारखंड पार्टी ने उनकी पत्नी को यहां से चुनाव लड़ाया.

ये भी पढ़ें- ईसाई बहुल क्षेत्र में BJP लगा पाएगी जीत की हैट्रिक! झारखंड पार्टी से मिलती है कड़ी टक्कर

जेएमएम को भी मिल चुकी है जीत
कांग्रेस के टिकट पर दो बार चुनाव जीतने वाले एकमात्र प्रत्याशी थियोडोर किड़ो रहे. उन्होंने वर्ष 1990 और 2000 में जीत दर्ज की, बसंत कुमार लोंगा झारखंड मुक्ति मोर्चा के एकमात्र उम्मीदवार रहे, जिन्होंने यहां जीत का स्वाद चखा. वह 1995 में बिहार विधानसभा के सदस्य बने थे. 1967 में एनई होरो निर्दलीय चुनाव लड़े और विधायक चुने गये. फिलहाल यहां से कांग्रेस के विक्सल कोंगाड़ी विधायक है जिन्होंने एनोस एक्का की सदस्यता रद्द होने के बाद 2018 में हुए उपचुनाव में जीत दर्ज की और विधानसभा पहुंचे.

15 साल बाद कांग्रेस की वापसी
इस उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी विक्सल कोंगाड़ी को 40343, जबकि बीजेपी उम्मीदवार बसंत सोरेंग को 30685 वोट मिले. वहीं झारखंड पार्टी की उम्मीदवार मेनन अपने पति एनोस एक्का की इस सीट को बचाने में नाकाम रहीं. जेएमएम और आरजेडी के समर्थन के बावजूद वह चौथे नंबर पर रहीं. कांग्रेस प्रत्याशी विक्सल कोंगाड़ी ने बीजेपी उम्मीदवार बसंत सोरेंग को 9658 वोटों से हराया है. इस उपचुनाव में मेनन एक्का चौथे नंबर पर रही.

रांची: झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में से एक है कोलेबिरा विधानसभा सीट. यह क्षेत्र हमेशा से मिशनरी लोगों के लिए लोकप्रिय रहा है. यहां की कुल आबादी का सबसे ज्यादा हिस्सा ईसाई धर्म का है. संयुक्त बिहार के समय से ही इस सीट पर बीजेपी को कभी जीत नसीब नहीं हुई है. वहीं, राज्य बनने के 15 साल बाद कांग्रेस ने यहां कमबैक किया है. यहां से फिलहाल कांग्रेस के विक्सल कोंगाड़ी विधायक हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

कांग्रेस का गढ़ रहा है कोलेबिरा
इसके पहले 1980, 1990 और 2000 में हुए चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी यहां से विधानसभा पहुंचे. थियोडोर किड़ो 1990 और 2000 में संयुक्त बिहार में हुए चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर जीते थे. इसके पहले सुशील कुमार बागे देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के टिकट पर जीते थे. बागे एकमात्र नेता हैं, जिन्होंने छह बार कोलेबिरा विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया. वह 1952 से 1980 के बीच हुए आठ विधानसभा चुनावों में छह बार निर्वाचित हुए. 1952 से 1962 तक लगातार तीन बार जीते. 1969 और 1972 के चुनावों में भी उन्होंने जीत दर्ज की. 1969 में सुशील कुमार बागे ने निर्दलीय चुनाव लड़ा, तो 1972 में वह ऑल इंडिया झारखंड पार्टी के टिकट पर विधानसभा पहुंचे. अंतिम बार उन्होंने 1980 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की.

वीर सिंह मुंडा और एनोस तीन बार बने विधायक
बागे के बाद वीर सिंह मुंडा और एनोस एक्का दो ऐसे नेता हुए, जिन्होंने तीन-तीन बार कोलेबिरा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. पहली बार झारखंड पार्टी के टिकट पर विधानसभा पहुंचे मुंडा दो बार (1984 और 1985 में) निर्दलीय भी जीते. 1977 में पहली बार विधानसभा पहुंचे वीर सिंह मुंडा ने 1984 के उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को बड़े अंतर से हराया था. इस सीट से एनोस एक्का 2005 से लगातार झारखंड पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत रहे थे. पिछले दिनों उन्हें पारा शिक्षक की हत्या के मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद झारखंड पार्टी ने उनकी पत्नी को यहां से चुनाव लड़ाया.

ये भी पढ़ें- ईसाई बहुल क्षेत्र में BJP लगा पाएगी जीत की हैट्रिक! झारखंड पार्टी से मिलती है कड़ी टक्कर

जेएमएम को भी मिल चुकी है जीत
कांग्रेस के टिकट पर दो बार चुनाव जीतने वाले एकमात्र प्रत्याशी थियोडोर किड़ो रहे. उन्होंने वर्ष 1990 और 2000 में जीत दर्ज की, बसंत कुमार लोंगा झारखंड मुक्ति मोर्चा के एकमात्र उम्मीदवार रहे, जिन्होंने यहां जीत का स्वाद चखा. वह 1995 में बिहार विधानसभा के सदस्य बने थे. 1967 में एनई होरो निर्दलीय चुनाव लड़े और विधायक चुने गये. फिलहाल यहां से कांग्रेस के विक्सल कोंगाड़ी विधायक है जिन्होंने एनोस एक्का की सदस्यता रद्द होने के बाद 2018 में हुए उपचुनाव में जीत दर्ज की और विधानसभा पहुंचे.

15 साल बाद कांग्रेस की वापसी
इस उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी विक्सल कोंगाड़ी को 40343, जबकि बीजेपी उम्मीदवार बसंत सोरेंग को 30685 वोट मिले. वहीं झारखंड पार्टी की उम्मीदवार मेनन अपने पति एनोस एक्का की इस सीट को बचाने में नाकाम रहीं. जेएमएम और आरजेडी के समर्थन के बावजूद वह चौथे नंबर पर रहीं. कांग्रेस प्रत्याशी विक्सल कोंगाड़ी ने बीजेपी उम्मीदवार बसंत सोरेंग को 9658 वोटों से हराया है. इस उपचुनाव में मेनन एक्का चौथे नंबर पर रही.

Intro:Body:

रांची: झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में से एक है कोलेबिरा विधानसभा सीट. यह क्षेत्र हमेशा से मिशनरी लोगों के लिए लोकप्रिय रहा है. यहां की कुल आबादी का सबसे ज्यादा हिस्सा ईसाई धर्म का है. संयुक्त बिहार के समय से ही इस सीट पर बीजेपी को कभी जीत नसीब नहीं हुई है. वहीं राज्य बनने के 15 साल बाद कांग्रेस ने यहां कमबैक किया है. यहां से फिलहाल कांग्रेस के विक्सल कोंगाड़ी विधायक हैं. 

कांग्रेस का गढ़ रहा है कोलेबिरा

इसके पहले 1980, 1990 और 2000 में हुए चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी यहां से विधानसभा पहुंचे. थियोडोर किड़ो 1990 और 2000 में संयुक्त बिहार में हुए चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर जीते थे. इसके पहले सुशील कुमार बागे देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के टिकट पर जीते थे. बागे एकमात्र नेता हैं, जिन्होंने छह बार कोलेबिरा विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया. वह 1952 से 1980 के बीच हुए आठ विधानसभा चुनावों में छह बार निर्वाचित हुए. 1952 से 1962 तक लगातार तीन बार जीते. 1969 और 1972 के चुनावों में भी उन्होंने जीत दर्ज की. 1969 में सुशील कुमार बागे ने निर्दलीय चुनाव लड़ा, तो 1972 में वह ऑल इंडिया झारखंड पार्टी के टिकट पर विधानसभा पहुंचे. अंतिम बार उन्होंने 1980 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की.

वीर सिंह मुंडा और एनोस तीन बार बने विधायक 

बागे के बाद वीर सिंह मुंडा और एनोस एक्का दो ऐसे नेता हुए, जिन्होंने तीन-तीन बार कोलेबिरा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. पहली बार झारखंड पार्टी के टिकट पर विधानसभा पहुंचे मुंडा दो बार (1984 और 1985 में) निर्दलीय भी जीते. 1977 में पहली बार विधानसभा पहुंचे वीर सिंह मुंडा ने 1984 के उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को बड़े अंतर से हराया था. इस सीट से एनोस एक्का 2005 से लगातार झारखंड पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत रहे थे. पिछले दिनों उन्हें पारा शिक्षक की हत्या के मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद झारखंड पार्टी ने उनकी पत्नी को यहां से चुनाव लड़ाया.

जेएमएम को भी मिल चुकी है जीत 

कांग्रेस के टिकट पर दो बार चुनाव जीतने वाले एकमात्र प्रत्याशी थियोडोर किड़ो रहे. उन्होंने वर्ष 1990 और 2000 में जीत दर्ज की, बसंत कुमार लोंगा झारखंड मुक्ति मोर्चा के एकमात्र उम्मीदवार रहे, जिन्होंने यहां जीत का स्वाद चखा. वह 1995 में बिहार विधानसभा के सदस्य बने थे. 1967 में एनई होरो निर्दलीय चुनाव लड़े और विधायक चुने गये. फिलहाल यहां से कांग्रेस के विक्सल कोंगाड़ी विधायक है जिन्होंने एनोस एक्का की सदस्यता रद्द होने के बाद 2018 में हुए उपचुनाव में जीत दर्ज की और विधानसभा पहुंचे. 

15 साल बाद कांग्रेस की वापसी

इस उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी विक्सल कोंगाड़ी को 40343, जबकि बीजेपी उम्मीदवार बसंत सोरेंग को 30685 वोट मिले. वहीं झारखंड पार्टी की उम्मीदवार मेनन अपने पति एनोस एक्का की इस सीट को बचाने में नाकाम रहीं. जेएमएम और आरजेडी के समर्थन के बावजूद वह चौथे नंबर पर रहीं. कांग्रेस प्रत्याशी विक्सल कोंगाड़ी ने बीजेपी उम्मीदवार बसंत सोरेंग को 9658 वोटों से हराया है. इस उपचुनाव में मेनन एक्का चौथे नंबर पर रही. 

ग्राफिक्स 

कोलेबिरा- 71 (मैप में दर्शाने के लिए) 

कोलेबिरा विधानसभा सीट (Header)

कोलेबिरा सीट पर हमेशा से कांग्रेस का दबदबा 

संयुक्त बिहार के समय से यहां जीतते आई है कांग्रेस

झारखंड बनने के बाद एनोस ने रोका था कांग्रेस का विजय रथ

सुशील कुमार बागे का रहा है राज

कोलेबिरा से 6 बार बने विधायक 

अलग-अलग पार्टी के टिकट पर पहुंचे थे विधानसभा

थियोडोर किड़ो भी दो बार बने विधायक 

कांग्रेस के टिकट पर जीते थे थियोडोर किड़ो 

बसंत कुमार लोंगा JMM के टिकट से जीते थे

एनई होरो भी यहां से रह चुके हैं विधायक 

एनोस एक्का यहां से तीन बार रहे विधायक

2005,2009,2014 में जीते एनोस एक्का

झारखंड पार्टी के टिकट पर जीतते रहे चुनाव

उपचुनाव में हुई कांग्रेस की वापसी 

2018 के उपचुनाव में जीते विक्सल कोंगाड़ी 

बीजेपी उम्मीदवार बसंत सोरेंग को 9658 वोटों से हराया 

विक्सल कोंगाड़ी को मिले 40,343 मत

बसंत सोरेंग को मिले 30,685 मत 

 


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.