ETV Bharat / city

रांची में सरस्वती पूजा की धूम, लोगों में देखा जा रहा उत्साह

पूरे देश के साथ-साथ राजधानी रांची में भी सरस्वती पूजा की धूम देखी जा रही है. इसे लेकर तमाम तरह की तैयारियों में लोग जुटे हैं, कोई मूर्ति खरीदारी कर रहे हैं तो कोई व्यवस्थाओं में लगे हैं. हर और उत्साह देखा जा रहा है.

Saraswati Puja celebrated in Ranchi
मूर्तियां
author img

By

Published : Jan 30, 2020, 8:23 AM IST

रांची: सरस्वती पूजा को लेकर तैयारियां जोरों पर देखी जा रही है. हालांकि इस बार मूर्तियों की कीमतों में काफी इजाफा हुआ है. माना जा रहा है कि इस बार स्थानीय कारीगरों ने मूर्तियों का निर्माण अधिक नहीं किया है. बल्कि मां सरस्वती की प्रतिमा अन्य शहरों से मंगवाई गई है. मिट्टी की कम उपलब्धता इसकी एक बड़ा कारण है. हालांकि फिर भी छात्र वर्ग और सरस्वती पूजा धूमधाम से करने वाले आयोजक इसकी खरीदारी और तैयारियों में जुटे हैं. बता दें कि सरस्वती पूजा का त्योहार हर साल शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है. मां सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा गया है. इसलिए उनकी पूजा का महत्व भी काफी है.

देखें पूरी खबर

पिछले वर्ष की तुलना में इस बार मूर्तियों के दाम ज्यादा
हालांकि इस बार मां सरस्वती की प्रतिमाओं की रेट पिछले साल की तुलना में ज्यादा है. कारीगरों को मिट्टी आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाती है. इसलिए स्थानीय कारीगरों ने इस बार कम मात्रा में मूर्तियों का निर्माण किया. वहीं अन्य राज्यों से लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिमाएं मंगाई गई हैं. खासकर पश्चिम बंगाल की मूर्तियां इस बार रांची के बाजार में ज्यादा दिख रही हैं. रेडीमेड मूर्तियों की खरीदारी ज्यादा देखी जा रही है.

मूर्तियों को दिया जा रहा है अंतिम रूप
स्थानीय कारीगर मूर्तियों के अंतिम रूप देने में जुटे हैं. इनकी मानें तो लगातार मिट्टी की उपलब्धता कम हो रही है जिस मिट्टी से प्रतिमा निर्माण किया जाता है. वह मिट्टी सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में ही उपलब्ध हो पाता है. वहां से लाने में बजट काफी बढ़ जाता है इसलिए कम संख्या में ही मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है.

ये भी देखें- हाजी हुसैन अंसारी का दावा, विधायकों में नहीं है कोई नाराजगी, मंत्री बनकर वह हैं खुश

रेडीमेड मूर्तियों की बढ़ी मांग
वहीं कुछ व्यापारी वर्ग पश्चिम बंगाल जैसे क्षेत्रों से भी रेडीमेड मूर्ति मंगवाए हैं जिसे लोग पसंद भी कर रहे हैं यहां पर 100 रुपये से लेकर 800 रुपये तक की मूर्ति बेची जा रही है. इन मूर्तियों के साइज भी छोटे से लेकर बड़े आकार तक की है. विक्रेताओं की माने तो स्थानीय कारीगरों ने बनवाए जाने पर लागत में बढ़ोतरी हो जाती है और पैसे भी अधिक खर्च हो जाते हैं. जिससे मुनाफा नहीं हो पाता है, इसलिए इस साल अन्य राज्य से ही मूर्तियां रेडीमेड मंगवाई गई है.

रांची: सरस्वती पूजा को लेकर तैयारियां जोरों पर देखी जा रही है. हालांकि इस बार मूर्तियों की कीमतों में काफी इजाफा हुआ है. माना जा रहा है कि इस बार स्थानीय कारीगरों ने मूर्तियों का निर्माण अधिक नहीं किया है. बल्कि मां सरस्वती की प्रतिमा अन्य शहरों से मंगवाई गई है. मिट्टी की कम उपलब्धता इसकी एक बड़ा कारण है. हालांकि फिर भी छात्र वर्ग और सरस्वती पूजा धूमधाम से करने वाले आयोजक इसकी खरीदारी और तैयारियों में जुटे हैं. बता दें कि सरस्वती पूजा का त्योहार हर साल शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है. मां सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा गया है. इसलिए उनकी पूजा का महत्व भी काफी है.

देखें पूरी खबर

पिछले वर्ष की तुलना में इस बार मूर्तियों के दाम ज्यादा
हालांकि इस बार मां सरस्वती की प्रतिमाओं की रेट पिछले साल की तुलना में ज्यादा है. कारीगरों को मिट्टी आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाती है. इसलिए स्थानीय कारीगरों ने इस बार कम मात्रा में मूर्तियों का निर्माण किया. वहीं अन्य राज्यों से लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिमाएं मंगाई गई हैं. खासकर पश्चिम बंगाल की मूर्तियां इस बार रांची के बाजार में ज्यादा दिख रही हैं. रेडीमेड मूर्तियों की खरीदारी ज्यादा देखी जा रही है.

मूर्तियों को दिया जा रहा है अंतिम रूप
स्थानीय कारीगर मूर्तियों के अंतिम रूप देने में जुटे हैं. इनकी मानें तो लगातार मिट्टी की उपलब्धता कम हो रही है जिस मिट्टी से प्रतिमा निर्माण किया जाता है. वह मिट्टी सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में ही उपलब्ध हो पाता है. वहां से लाने में बजट काफी बढ़ जाता है इसलिए कम संख्या में ही मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है.

ये भी देखें- हाजी हुसैन अंसारी का दावा, विधायकों में नहीं है कोई नाराजगी, मंत्री बनकर वह हैं खुश

रेडीमेड मूर्तियों की बढ़ी मांग
वहीं कुछ व्यापारी वर्ग पश्चिम बंगाल जैसे क्षेत्रों से भी रेडीमेड मूर्ति मंगवाए हैं जिसे लोग पसंद भी कर रहे हैं यहां पर 100 रुपये से लेकर 800 रुपये तक की मूर्ति बेची जा रही है. इन मूर्तियों के साइज भी छोटे से लेकर बड़े आकार तक की है. विक्रेताओं की माने तो स्थानीय कारीगरों ने बनवाए जाने पर लागत में बढ़ोतरी हो जाती है और पैसे भी अधिक खर्च हो जाते हैं. जिससे मुनाफा नहीं हो पाता है, इसलिए इस साल अन्य राज्य से ही मूर्तियां रेडीमेड मंगवाई गई है.

Intro:रांची।

सरस्वती पूजा को लेकर राजधानी रांची में तैयारियां जोरों पर देखी जा रही है .हालांकि इस बार मूर्तियों की कीमतों में काफी इजाफा हुआ है. कारण माना जा रहा है कि इस बार स्थानीय कारीगरों द्वारा मूर्तियों की निर्माण अधिक नहीं की गई है. बल्कि मां सरस्वती की प्रतिमा अन्य शहरों से मंगवाई गई है .मिट्टी की कम उपलब्धता इसकी एक बड़ी वजह है. हालांकि फिर भी छात्र वर्ग और सरस्वती पूजा धूमधाम से करने वाले आयोजक इसकी खरीदारी और तैयारियों में जुटा है.


Body:सरस्वती पूजा का त्योहार हर साल शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है .मां सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा गया है. इसलिए उनकी पूजा का महत्व भी काफी है .पूरे देश के साथ-साथ राजधानी रांची में भी सरस्वती पूजा की धूम अभी से ही देखी जा रही है. तैयारियां जोरों पर है. हर और उत्साह है. मूर्ति की खरीदारी को लेकर लोग एडवांस बुकिंग करने में जुटे हैं.

पिछले वर्ष की तुलना में इस बार मूर्तियों की रेट ज्यादा.

हालांकि इस बार मां सरस्वती की प्रतिमाओं की रेट पिछले वर्ष की तुलना में ज्यादा है. कारीगरों को मिट्टी आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाता है .इसलिए स्थानीय कारीगर इस बार कम मात्रा में मूर्तियों के निर्माण कर रहे हैं. वहीं अन्य राज्यों से लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिमाएं मंगाई गई है .खासकर पश्चिम बंगाल की मूर्तियां इस बार रांची के बाजार में ज्यादा दिख रही है .रेडीमेड मूर्तियों की खरीदारी ज्यादा देखी जा रही है.

दिया जा रहा है अंतिम रूप मूर्तियों को.

स्थानीय कारीगर मूर्तियों के अंतिम रूप देने में जुटे हैं .इनकी मानें तो लगातार मिट्टी की उपलब्धता कम हो रही है जिस मिट्टी से प्रतिमा निर्माण किया जाता है वह मिट्टी सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में ही उपलब्ध हो पाता है .वहां से लाने में बजट काफी बढ़ जाता है इसलिए कम संख्या में ही मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है.

रेडीमेड मूर्तियों की बढ़ी मांग.

वहीं कुछ व्यापारी वर्ग पश्चिम बंगाल जैसे क्षेत्रों से भी रेडीमेड मूर्ति मंगवाए हैं जिसे लोग पसंद भी कर रहे हैं यहां पर 100 रुपये से लेकर 800 रुपये तक की मूर्ति बेची जा रही है .इन मूर्तियों के साइज भी छोटे से लेकर बड़े आकार तक की है. विक्रेताओं की माने तो स्थानीय कारीगरों द्वारा बनवाए जाने पर लागत में बढ़ोतरी हो जाती है और पैसे भी अधिक खर्च हो जाते हैं .जिससे मुनाफा नहीं हो पाता है .इसलिए इस वर्ष अन्य राज्य से ही मूर्तियां रेडीमेड मंगवाई गई है.





Conclusion:हालांकि विद्या की देवी सरस्वती पूजा को लेकर लोगों में उत्साह चरम पर देखी जा रही है कई जगह पर इसे 29 जनवरी को तो कुछ जगह पर 30 जनवरी को पूजा मनाई जाएगी इसे लेकर तमाम तरह की तैयारियों में लोग जुटे हैं कोई मूर्ति खरीदारी कर रहे हैं तो कोई व्यवस्थाओं में लगे हैं.

बाइट-प्रतिमा निर्माण करने वाले कारीगर,राजू प्रजापती

बाइट-मूर्ति विक्रेता,

बाइट-आयोजक
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.