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पेड़ों की कटाई पर सखी मंडल की दीदियों का पहरा, पर्यावरण संरक्षण के लिए की अनोखी शुरुआत

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Published : Jun 5, 2021, 11:51 AM IST

Updated : Jun 5, 2021, 12:07 PM IST

रांची में पर्यावरण संरक्षण के लिए सखी मंडल की दीदियों ने अनोखा प्रयास शुरू किया है. अप्रैल महीने से ही ये पर्यावरण संरक्षण की मुहिम को बल दे रही हैं और जंगल के कई इलाकों में पहरेदारी कर रही हैं.

sakhi mandal guarded for environmental protection in ranchi
पहरेदारी करती महिलाएं

रांची: राज्य की सखी मंडल की महिलाएं आज ना सिर्फ आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बन रही है. बल्कि वह गांव और समाज की बेहतरी के लिए भी लगातार प्रयासरत है. पश्चिम सिंहभूम जिले के आनंदपुर के झाड़बेड़ा पंचायत की सखी मंडल की महिलाओं ने जंगल और जंगल के पेड़ों को काटने से बचाने के लिए एक अनोखा प्रयास शुरू किया है. अप्रैल 2021 से ग्रामीण महिलाओं की ओर से शुरू किए गए इस प्रयास के जरिए ग्रामीणों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ रही है.

ये भी पढ़ें- पेड़-पौधे के दादा के नाम से मशहूर जमशेदपुर के सुनील आनंद, निशुल्क बांटते हैं औषधि पेड़

जंगल बचाओ पहल की शुरुआत
पश्चिम सिंहभूम के आनंदपुर प्रखंड के महिशगिड़ा में 9 हेक्टेयर क्षेत्रफल में जंगल फैला हुआ है. जिसमें साल, सागवान, आसन, बांस, चिरौंजी, महुआ, केंदू के पेड़ लगे हुए हैं. आजीविका चलाने के लिए इन जंगली फसलों की खेती और कटाई के समय आसपास के छोटे पेड़ों को काट छांट दिया जाता है. इसके साथ ही खेती के लिए जंगलों में आग लगाकर कृषि के लिए जमीन तैयार करने की प्रक्रिया भी सुदूर ग्रामीण इलाकों में देखी जाती है. लेकिन पारंपरिक खेती के इन तरीकों से जंगलों के प्राकृतिक संतुलन पर बुरा असर पड़ता है. ऐसे में इस प्रखंड की झारबेड़ा पंचायत की सखी मंडल की महिलाओं ने इस समस्या को देखते हुए और जंगलों को बचाने के लिए जंगलों की रक्षा करने के अनूठे प्रयास की शुरुआत किया है.


क्या है जंगल बचाओ अभियान का मुख्य उद्देश्य
जंगल बचाओ अभियान का मुख्य उद्देश्य जंगलों को बचाना और पर्यावरण को संरक्षण करना है. जिसकी शुरुआत अप्रैल महीने से हुई है. इसके तहत महिलाओं ने अपने आप को 4 ग्रुपों में बांटकर रोजाना सुबह 6:00 बजे से 9:00 बजे तक और शाम 4:00 बजे से 6:00 बजे तक जंगल के इन इलाकों में पहरेदारी का काम करती हैं. हाथों में डंडा लेकर पर्यावरण संरक्षण की मुहिम को बल दे रही यह महिलाएं रोजाना पेड़ों की गिनती करती हैं. जिससे पेड़ों की संख्या में आई कमी का पता चल सके. इसके साथ ही सभी ने निर्णय लिया है कि अगर कोई महिला बिना सूचना अपनी जिम्मेवारी से भागती है तो उन्हें 200 रुपये जुर्माना देना पड़ेगा, ताकि इस सामाजिक मुहिम में कड़ाई रहे और पर्यावरण की रक्षा सुनिश्चित की जा सके.

सखी मंडल ने की अभियान की शुरुआत

जंगल बचाओ पहल की शुरुआत इस इलाके के 7 सखी मंडल स्वयंसेवी आजीविका सखी मंडल, उज्जवल ज्योति आजीविका सखी मंडल, जागृति आजीविका सखी मंडल, विकास दया आजीविका सखी मंडल, और गुलाब आजीविका सखी मंडल की ग्रामीण महिलाओं ने किया है.


क्या कहतीं हैं सखी मंडल की सदस्य
सखी मंडल के सदस्य कहती है कि जंगल के पेड़ों को काटने से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है. पर्यावरण को बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है, इसलिए जंगलों की रक्षा भी हमें खुद ही करनी होगी. जंगल हमारी आजीविका का एक बड़ा हिस्सा है. अगर इन पर खतरा आएगा तो हमारा भविष्य भी सुरक्षित नहीं होगा.

महिलाएं कर रही हैं जागरूक

इस मुहिम के दौरान कोरोना संक्रमण को देखते हुए महिलाएं सरकार की ओर से निर्धारित सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी कर रही हैं. झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (JSLPS) सीईओ नैंसी सहाय ने कहा कि सखी मंडल की दीदियों के सामूहिक पहल जंगल बचाओ पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्रामीण महिलाओं की जागरूकता और सामाजिकता जिम्मेदारी को दर्शाता है. सखी मंडल में जुड़कर महिलाएं आर्थिक और सामाजिक जिम्मेदारी का भी निर्माण कर रही हैं. राज्य की सखी मंडल की दीदियों को जैविक खेती और सिंचाई सयंत्र के पर्यावरण अनुकूल खेती समेत तमाम विषयों पर मदद और जागरूक किया जाता है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि दीदियों की इस पहल से दूसरों को पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी का एहसास होगा.

रांची: राज्य की सखी मंडल की महिलाएं आज ना सिर्फ आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बन रही है. बल्कि वह गांव और समाज की बेहतरी के लिए भी लगातार प्रयासरत है. पश्चिम सिंहभूम जिले के आनंदपुर के झाड़बेड़ा पंचायत की सखी मंडल की महिलाओं ने जंगल और जंगल के पेड़ों को काटने से बचाने के लिए एक अनोखा प्रयास शुरू किया है. अप्रैल 2021 से ग्रामीण महिलाओं की ओर से शुरू किए गए इस प्रयास के जरिए ग्रामीणों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ रही है.

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जंगल बचाओ पहल की शुरुआत
पश्चिम सिंहभूम के आनंदपुर प्रखंड के महिशगिड़ा में 9 हेक्टेयर क्षेत्रफल में जंगल फैला हुआ है. जिसमें साल, सागवान, आसन, बांस, चिरौंजी, महुआ, केंदू के पेड़ लगे हुए हैं. आजीविका चलाने के लिए इन जंगली फसलों की खेती और कटाई के समय आसपास के छोटे पेड़ों को काट छांट दिया जाता है. इसके साथ ही खेती के लिए जंगलों में आग लगाकर कृषि के लिए जमीन तैयार करने की प्रक्रिया भी सुदूर ग्रामीण इलाकों में देखी जाती है. लेकिन पारंपरिक खेती के इन तरीकों से जंगलों के प्राकृतिक संतुलन पर बुरा असर पड़ता है. ऐसे में इस प्रखंड की झारबेड़ा पंचायत की सखी मंडल की महिलाओं ने इस समस्या को देखते हुए और जंगलों को बचाने के लिए जंगलों की रक्षा करने के अनूठे प्रयास की शुरुआत किया है.


क्या है जंगल बचाओ अभियान का मुख्य उद्देश्य
जंगल बचाओ अभियान का मुख्य उद्देश्य जंगलों को बचाना और पर्यावरण को संरक्षण करना है. जिसकी शुरुआत अप्रैल महीने से हुई है. इसके तहत महिलाओं ने अपने आप को 4 ग्रुपों में बांटकर रोजाना सुबह 6:00 बजे से 9:00 बजे तक और शाम 4:00 बजे से 6:00 बजे तक जंगल के इन इलाकों में पहरेदारी का काम करती हैं. हाथों में डंडा लेकर पर्यावरण संरक्षण की मुहिम को बल दे रही यह महिलाएं रोजाना पेड़ों की गिनती करती हैं. जिससे पेड़ों की संख्या में आई कमी का पता चल सके. इसके साथ ही सभी ने निर्णय लिया है कि अगर कोई महिला बिना सूचना अपनी जिम्मेवारी से भागती है तो उन्हें 200 रुपये जुर्माना देना पड़ेगा, ताकि इस सामाजिक मुहिम में कड़ाई रहे और पर्यावरण की रक्षा सुनिश्चित की जा सके.

सखी मंडल ने की अभियान की शुरुआत

जंगल बचाओ पहल की शुरुआत इस इलाके के 7 सखी मंडल स्वयंसेवी आजीविका सखी मंडल, उज्जवल ज्योति आजीविका सखी मंडल, जागृति आजीविका सखी मंडल, विकास दया आजीविका सखी मंडल, और गुलाब आजीविका सखी मंडल की ग्रामीण महिलाओं ने किया है.


क्या कहतीं हैं सखी मंडल की सदस्य
सखी मंडल के सदस्य कहती है कि जंगल के पेड़ों को काटने से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है. पर्यावरण को बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है, इसलिए जंगलों की रक्षा भी हमें खुद ही करनी होगी. जंगल हमारी आजीविका का एक बड़ा हिस्सा है. अगर इन पर खतरा आएगा तो हमारा भविष्य भी सुरक्षित नहीं होगा.

महिलाएं कर रही हैं जागरूक

इस मुहिम के दौरान कोरोना संक्रमण को देखते हुए महिलाएं सरकार की ओर से निर्धारित सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी कर रही हैं. झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (JSLPS) सीईओ नैंसी सहाय ने कहा कि सखी मंडल की दीदियों के सामूहिक पहल जंगल बचाओ पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्रामीण महिलाओं की जागरूकता और सामाजिकता जिम्मेदारी को दर्शाता है. सखी मंडल में जुड़कर महिलाएं आर्थिक और सामाजिक जिम्मेदारी का भी निर्माण कर रही हैं. राज्य की सखी मंडल की दीदियों को जैविक खेती और सिंचाई सयंत्र के पर्यावरण अनुकूल खेती समेत तमाम विषयों पर मदद और जागरूक किया जाता है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि दीदियों की इस पहल से दूसरों को पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी का एहसास होगा.

Last Updated : Jun 5, 2021, 12:07 PM IST
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