रांची: कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर हुए लॉकडाउन में सोशल साइट्स कई लोगों के लिए सहारा बन कर उभरा है. ट्वीटर के जरिए जहां बड़ी-बड़ी समस्याओं का समाधान हो रहा, वहीं कई व्हाट्सएप ग्रुप पर सूचनाएं चलने के बाद जरूरतमंदों, बुजुर्गों तक राशन और दवाईयां पहुंचायी जा रही हैं. झारखंड के मजदूर जो राज्य के बाहर अलग-अलग हिस्सों में फंसे हुए हैं. उनके लिए भी ट्वीटर बड़ा माध्यम बना है. राज्य के जनप्रतिनिधि ट्वीटर के जरिए ही बाहर के राज्यों के जनप्रतिनिधियों से संपर्क कर राहत का इंतजाम करवा रहे हैं.
ट्वीटर लेकर आया है सबसे बड़ी राहत
सरकारी तंत्र से लेकर आमलोगों के लिए ट्वीटर सबसे बड़ी राहत लेकर आया है. खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ट्वीटर पर सर्वाधिक सक्रिय हैं. चाईबासा की 200 लड़कियों के तमिलनाडू के एक गारमेंट फैक्ट्री में बंधक होने की बात सामने आयी थी. मुख्यमंत्री ने ट्वीट पर पूरे मामले की जानकारी तमिलनाडू के मुख्यमंत्री को दी, जिसके बाद वहां झारखंडी महिलाओं की रिहाई हो पायी. इसी तरह सोशल मीडिया में लालपनिया में रहने वाले सोहराय मांझी और उनकी पत्नी के यहां राशन नहीं होने की वजह से चूल्हा नहीं जलने की खबर आई थी. खबर पर किए गए ट्वीट को मुख्यमंत्री ने गंभीरता से लिया. इसके बाद बोकारो डीसी मुकेश कुमार ने एक घंटे के भीतर ही सोहराय मांझी के घर पर 35 किलोग्राम चावल, दो किलो दाल, चार किलो आलू, नमक और तेल उपलब्ध कराया.
ट्वीट के जरिए मजदूरों की रिहाई का उठाया कदम
पलामू के पाटन निवासी शफीम ने ट्वीटर पर मुख्यमंत्री को बताया कि बंगलुरू में झारखंड के 40 मजदूर फंसे हुए हैं. ट्वीट पर कार्रवाई करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कर्नाटक के प्रभारी अधिकारी को आदेश दिया कि वह मजदूरों को निकालने और उनके राहत का इंतजाम करें. 181 को भी इस संबंध में कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री ने लिखा. इसी तरह देवघर के देवीपुर के 16 मजदूरों के ओडिशा के बालेश्वर जिले में फंसे होने की सूचना मिली थी. सीएम ने ट्वीटर पर ही ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मदद मांगी, जिसके बाद मजदूरों तक राहत पहुंचायी गई.
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कैसे-कैसे काम कर रहा व्हाट्सएप ग्रुप
रांची शहर में ही हेल्पलाइन हैंड, कोरोना क्राइसिस टीम जैसे व्हाट्सएप ग्रुप चलाए जा रहे हैं. दोनों ही ग्रुप में सदस्यों को अनाज और राशन की जरूरत को लेकर जो सूचनाएं आती हैं. उस पर सदस्य तत्काल कार्रवाई करते हैं. शहर के युवाओं के द्वारा चलाए जा रहे इन व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए लॉकडाउन में फंसे बुजुर्गों को काफी राहत पहुंचायी है. जरूरत पड़ने पर कोरोना क्राइसिस टीम के सदस्यों ने ऑनलाइन क्राउड फंडिंग कर भी जरूरतमंदों की मदद की.