रांची: राजधानी रांची में घर जाने की हड़बड़ी, शराब पीकर वाहन चलाना और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी यह तीन ऐसे कारण हैं जिसकी वजह से सड़क हादसे होते हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि राजधानी रांची में सबसे ज्यादा सड़क हादसे सुबह और शाम को होते हैं.
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ऑफिस आते और जाते समय ज्यादा हादसे
राजधानी रांची में ट्रैफिक का सबसे ज्यादा भार सुबह 9 से लेकर 11 बजे तक और शाम के 6 बजे से लेकर 9 बजे तक के बीच होता है. इसी दौरान रांची में सबसे ज्यादा सड़क हादसे हुए हैं. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, घर जाने की हड़बड़ी, बड़े वाहनों की तेज लाइट और छोटे वाहनों की तेज स्पीड इन हादसों की प्रमुख वजह हैं. सुबह की तुलना में शाम में हादसे ज्यादा होते हैं. इसके पीछे एक प्रमुख वजह ड्रंक एंड ड्राइव भी होता है. कई लोग अपने काम से लौटने के दौरान रास्ते में शराब का सेवन कर घर लौटते हैं, जिसकी वजह से वे हादसों का शिकार होते हैं.
अब इन ब्लैक स्पॉट पर सुरक्षा के बंदोबस्त बढ़ाने के ठोस उपाय पर किए जा रहे हैं. ट्रैफिक पुलिस के साथ-साथ परिवहन विभाग ऐसी जगहों की पहचान कर रोड इंजीनियरिंग और इसके मूल डिजाइन में परिवर्तन के लिए संबंधित एजेंसियों को कार्रवाई के लिए कह चुकी है. एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि आधे से अधिक सड़क हादसों की वजह रोड के ब्लैक स्पॉट होते हैं. रांची पुलिस के अनुसार, अगर व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त हो और परिजन साथ दें तो बहुत हद तक ये हादसे टाले जा सकते हैं. इस प्रकार होने वाली सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के लिए विभागीय स्तर पर काम किए जा रहे हैं. थोड़ा सा पब्लिक को भी साथ देना होगा.
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हेलमेट हो बेहतर, इसका भी रखा जाए ख्याल
एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि सड़क हादसे में सबसे ज्यादा मौत सिर में चोट लगने की वजह से होती है. इसके पीछे कई वजह हैं. एक तो कई लोग बिना हेलमेट वाले दोपहिया वाहन चलाते हैं तो कई लोग हेलमेट तो पहनते हैं लेकिन हेलमेट की तकनीक सुरक्षा मानकों के अनुरूप नहीं होती है. ऐसे हेलमेट का पहनना या ना पहनना कोई मायने नहीं रखता, जबकि आंकड़े यह भी बताते हैं कि कई लोगों की हादसों में इसलिए मौत हो जाती है क्योंकि वह उच्च तकनीक का हेलमेट पहनने में लापरवाही बरतते हैं.
राजधानी में हादसों के स्पॉट, यहां बच कर चलें
1 . रांची-टाटा राष्ट्रीय राजमार्ग
यहां पहले तीखे मोड़ थे, लेकिन वर्तमान में सड़क निर्माणाधीन है, जिससे उबड़-खाबड़ रास्ते तो हैं हीं, जहां-तहां स्पीड पर नियंत्रण खोने से अचानक हादसे हो जाते हैं. सर्वाधिक हादसे तैमारा घाटी के पास होती है.
2. रांची रिंग रोड
राजधानी से सटे रिंग रोड पर गति अवरोधक के बावजूद सड़क अच्छी होने के कारण वाहनों की स्पीड अत्यधिक होती है, जो दुर्घटना का कारण बनती है.
3. रांची-खूंटी मार्ग
सड़क संकरी है. वन लेन सड़क है. वाहनों की अत्याधिक स्पीड के कारण पहाड़ी क्षेत्र की इस सड़क पर वाहन के सामने नियंत्रण खो जाता है, जिससे दुर्घटनाएं होती हैं.
4. रांची-गुमला मार्ग और रांची-डालटनगंज
रांची से गुमला और रांची से डालटनगंज मार्ग भी वन लेन है. बीच में डिवाइडर भी नहीं और सड़क भी संकरी है. ऐसे में वाहनों के लिए स्पीड लिमिट संकेतक का नहीं होना, दुर्घटना का सबसे बड़ा कारण है.
5. कांटाटोली से ओरमांझी
वन लेन, पतली सड़क और जहां-तहां गडढे यहां दुर्घटनाओं के सबसे बड़े कारण हैं. इरबा से लेकर ब्लॉक चौक पर अनावश्यक कट और पर्याप्त जेब्रा क्रॉसिंग के नहीं रहने से लगातार हादसे हो रहे.
6. रांची-लोहरदगा रोड
इस रोड में रातू के बाद मांडर, चान्हो और बिजूपाड़ा तक कई ब्लैक स्पॉट हैं, जहां सड़क हादसे हो रहे हैं.
7. रांची-रामगढ़ रोड
ओरमांझी से आगे बढ़ने पर चुटूपालू घाटी में तीखे मोड़ की वजह से लगातार हादसे होती है.
8. रांची-पतरातू रोड
कांके चौक के बाद असुरक्षित कट और टर्निंग. नया फ्लाइओवर के पास बेतरतीब टर्निंग से हादसे हो रहे हैं. इसके बाद पिठोरिया से नीचे उतरने पर भयंकर घाटी मिलती है, जो हादसों की वजह है.
यातायात नियमों का पूरी तरह से पालन करें
एनसीआरबी ने साल 2019 के आंकड़े जारी किए थे, जिसको देखकर यह समझ आता है कि सड़क हादसों में हम किस तरह अपनों को खोता हुआ देखकर भी कुछ नहीं कर पाते हैं. साल 2020 की शुरुआत से ही लगातार कोरोना संक्रमण की वजह से लॉकडाउन लगा रहा. इसकी वजह से सड़क हादसों में काफी कमी आई थी, लेकिन अब जब अनलॉक है फिर भी जरूरी है कि हम यातायात नियमों का पूरी तरह से पालन करें, ताकि सुरक्षित रह सकें.