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झारखंड के पांच प्रमुख जनजातियों के रीति रिवाज पर संस्थान कर रही है शोध, जनजाति समूह का किया चयन - झारखंड की पांच प्रमुख जनजातियां समाचार

झारखंड के पांच प्रमुख जनजातियों के रीति रिवाज को लेकर डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान शोध कर रही है. इसके लिए जनजाति समूह का चयन किया गया है.

research on the customs of five major tribes of jharkhand
डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान
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Published : Nov 23, 2020, 5:13 PM IST

रांची: झारखंड के 32 जनजातियों में से पांच प्रमुख जनजातियों कि रीति रिवाज, प्रथाओं और अधिकार के बीच तुलनात्मक अध्ययन को लेकर डॉ. रामदयाल मुंडा शोध संस्थान शोध कर रहे हैं. जिसको लेकर जनजाति समूह का चयन किया गया है. जिसकी सांस्कृतिक विरासत लोक परंपरा अन्य जनजातियों से काफी उन्नत और समृद्ध है. जिनमें संथाल, उरांव, मुंडा, हो, खड़िया और चेरो जनजाति को शामिल किया गया है.

देखें पूरी खबर
झारखंड की इन पांच प्रमुख जनजातियों अधिकार और प्रथाओं को लेकर डॉ रामदयाल मुंडा जनजाति कल्याण शोध संस्थान के सहयोग से कराया जा रहा है. शोध अध्ययन मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय और एजेंसियों से कराया जाएगा. झारखंड की आबादी का 30 फीसदी जनजाति समुदाय अधिकांश जनजाति आबादी 5वीं अनुसूचित क्षेत्र में बसते हैं. जहां उन्हें न्याय पाने का भी अधिकार प्राप्त है.

ये भी पढ़े- झारखंड सरकार का खजाना खाली, विकास के लिए केंद्र सरकार से है उम्मीद: कांग्रेस

डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान के निदेशक राणेद्र कुमार ने बताया कि इन पांच प्रमुख जनजातियों के रहन-सहन रीति रिवाज का तुलनात्मक अध्ययन किया जाना है. बदलते सामाजिक वातावरण की गतिशीलता के बीच इन जनजातियों का रहन सहन और अधिकार किस तरह से बच पाया है. इसके साथ ही जहां पर यह बड़ी जनजाति कम संख्या में बचे हुए हैं. वहां पर उनकी क्या दशा है, इन तमाम चीजों को लेकर शोध किया जाना है ताकि उनकी रहन-सहन, अधिकार, वेशभूषा, रीति रिवाज का स्पष्ट पता चल सके.

रांची: झारखंड के 32 जनजातियों में से पांच प्रमुख जनजातियों कि रीति रिवाज, प्रथाओं और अधिकार के बीच तुलनात्मक अध्ययन को लेकर डॉ. रामदयाल मुंडा शोध संस्थान शोध कर रहे हैं. जिसको लेकर जनजाति समूह का चयन किया गया है. जिसकी सांस्कृतिक विरासत लोक परंपरा अन्य जनजातियों से काफी उन्नत और समृद्ध है. जिनमें संथाल, उरांव, मुंडा, हो, खड़िया और चेरो जनजाति को शामिल किया गया है.

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झारखंड की इन पांच प्रमुख जनजातियों अधिकार और प्रथाओं को लेकर डॉ रामदयाल मुंडा जनजाति कल्याण शोध संस्थान के सहयोग से कराया जा रहा है. शोध अध्ययन मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय और एजेंसियों से कराया जाएगा. झारखंड की आबादी का 30 फीसदी जनजाति समुदाय अधिकांश जनजाति आबादी 5वीं अनुसूचित क्षेत्र में बसते हैं. जहां उन्हें न्याय पाने का भी अधिकार प्राप्त है.

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डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान के निदेशक राणेद्र कुमार ने बताया कि इन पांच प्रमुख जनजातियों के रहन-सहन रीति रिवाज का तुलनात्मक अध्ययन किया जाना है. बदलते सामाजिक वातावरण की गतिशीलता के बीच इन जनजातियों का रहन सहन और अधिकार किस तरह से बच पाया है. इसके साथ ही जहां पर यह बड़ी जनजाति कम संख्या में बचे हुए हैं. वहां पर उनकी क्या दशा है, इन तमाम चीजों को लेकर शोध किया जाना है ताकि उनकी रहन-सहन, अधिकार, वेशभूषा, रीति रिवाज का स्पष्ट पता चल सके.

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