रांची: झारखंड के 32 जनजातियों में से पांच प्रमुख जनजातियों कि रीति रिवाज, प्रथाओं और अधिकार के बीच तुलनात्मक अध्ययन को लेकर डॉ. रामदयाल मुंडा शोध संस्थान शोध कर रहे हैं. जिसको लेकर जनजाति समूह का चयन किया गया है. जिसकी सांस्कृतिक विरासत लोक परंपरा अन्य जनजातियों से काफी उन्नत और समृद्ध है. जिनमें संथाल, उरांव, मुंडा, हो, खड़िया और चेरो जनजाति को शामिल किया गया है.
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डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान के निदेशक राणेद्र कुमार ने बताया कि इन पांच प्रमुख जनजातियों के रहन-सहन रीति रिवाज का तुलनात्मक अध्ययन किया जाना है. बदलते सामाजिक वातावरण की गतिशीलता के बीच इन जनजातियों का रहन सहन और अधिकार किस तरह से बच पाया है. इसके साथ ही जहां पर यह बड़ी जनजाति कम संख्या में बचे हुए हैं. वहां पर उनकी क्या दशा है, इन तमाम चीजों को लेकर शोध किया जाना है ताकि उनकी रहन-सहन, अधिकार, वेशभूषा, रीति रिवाज का स्पष्ट पता चल सके.