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'न पता है न ठिकाना फिर भी ढूंढ कर है लाना' झारखंड पुलिस के लिए रेड वारंटी परेशानी का बने सबब - एडीजी अभियान एमएल मीना

चुनाव आयोग के निर्देश के बाद झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले फरार चल रहे वारंटियों को गिरफ्तार कर उन्हें कोर्ट में पेश करना है. लेकिन झारखंड पुलिस परेशान है. इसका कारण है आमतौर पर आरोपी का जो पता अदालत में दिया होता है वह नहीं रहता और इसकी जानकारी न तो कोर्ट को और न ही थाने को मिलती है.

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झारखंड पुलिस मुख्यालय
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Published : Nov 27, 2019, 7:40 PM IST

रांची: चुनाव आयोग के निर्देश के बाद झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले फरार चल रहे वारंटियों को गिरफ्तार कर उन्हें कोर्ट में पेश करना है. लेकिन फरार चल रहे वारंटी का सही पता नहीं मिलने की वजह से पुलिस खासी परेशान है. झारखंड में 328 लाल वारंटी हैं जिनको गिरफ्तार करने के लिए पुलिस परेशान है.

देखें पूरी खबर

क्या होता है लाल वारंट
कोर्ट से किसी भी मामले में वारंट जारी होता है इसमें आरोपी का जो पता अदालत में दिया जाता है उसी पते पर वारंट का तामिला करवाया जाता है. लेकिन आमतौर पर आरोपी का जो पता अदालत में दिया होता है वह नहीं रहता और इसकी जानकारी न तो कोर्ट को और न ही थाने को मिलती है. उसके बाद वह अदालत में आरोपी हाजिरी लगाना भी बंद कर देता है तो उसका वारंट जारी होता है. पहले विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद आखिर में अदालत लाल वारंट जारी कर देती है. जिस व्यक्ति का लाल वारंट जारी होता है सामान्य तौर पर उसका मामला छोटा हो तब भी उसे जेल जाना पड़ता है.

ये भी पढ़ें- जानिए चुनाव आयोग द्वारा मान्य दस्तावेज क्या हैं?

चुनाव के घोषणा से लेकर अब तक 5,713 गिरफ्तार
झारखंड पुलिस के प्रवक्ता एडीजी अभियान मुरारी लाल मीणा ने बताया कि चुनाव आयोग के निर्देश पर राज्य भर में फरार वारंटियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगातार काम कर रही है. विधानसभा चुनाव के पहले फरार वारंटियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करना है.

42 फीसदी वारंटी अभी भी फरार
एडीजी के अनुसार, झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद से अब तक 5, 713 वारंटियों को कोर्ट में पेश किया जा चुका है. एडीजी के अनुसार फिलहाल झारखंड के विभिन्न जिलों से 328 वारंट अभी भी लंबित हैं. पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक 15 सितंबर 2019 तक कुल वारंटियों की संख्या 31, 940 थी. पुलिस ने अभियान चलाकर राज्यभर में 58 फीसदी वारंट इंप्लीमेंट कराया है. हालांकि 42 फीसदी वारंटी अभी भी फरार चल रहे हैं.

क्यों जरूरी है गिरफ्तारी
दागी और फरार चल रहे वारंटियों से चुनाव के दौरान हिंसा की आशंका रहती है. ऐसे में चुनाव से पहले सभी वारंटियों की गिरफ्तारी का आदेश जारी किया गया है. विधानसभा चुनाव के दौरान विधि व्यवस्था में किसी भी तरह की अड़चन न हो यही वजह है कि पुलिस लगातार वारंटियों को धर दबोचने में लगी हुई है.

ये भी पढ़ें- झारखंड विधानसभा चुनाव 2019: BJP ने जारी किया संकल्प पत्र

क्या आ रही हैं दिक्कतें
झारखंड पुलिस के प्रवक्ता एडीजी एमएल मीणा के अनुसार, चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार हर हाल में वारंटियों को गिरफ्तार करना है. लेकिन कई ऐसे वारंटी हैं जिन्होंने कांड के समय अपना पता गलत लिखवाया या फिर वे कांड में दर्ज पते को छोड़कर किसी दूसरे ठिकाने पर चले गए हैं. खासकर बिहार उत्तर प्रदेश से आकर झारखंड में अपराध करने वाले अपराधी अपना पता कांड दर्ज होते ही बदल लेते हैं.

ये भी पढ़ें- JMM की 8वीं और अंतिम सूची जारी, 81 में से कुल 43 सीट पर पार्टी ने उतारे हैं उम्मीदवार

विफल साबित हो रही पुलिस
ऐसे अपराधियों को गिरफ्तार करने में परेशानी आ रही है. झारखंड के रांची, जमशेदपुर, बोकारो और धनबाद जैसे शहरों में 23, 000 से अधिक वारंटियों की तलाश में पुलिस पहले से ही अभियान चला रही है. इसमें जमानती और गैर जमानती धाराओं के तहत दर्ज मामलों के आरोपी भी शामिल हैं. हर रोज औसतन 15 सौ लोगों पर कार्रवाई भी की जा रही है और उनके बारे में हर थाने में वारंट एक्शन के लिए स्पेशल ड्राइव टीम का गठन भी किया गया है. लेकिन थानों में ऐसे कई वारंट आकर पड़े हुए हैं जिनके बारे में पुलिस लाख कोशिश करने के बावजूद भी आरोपी का पता लगाने में विफल साबित हो रही है.

रांची: चुनाव आयोग के निर्देश के बाद झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले फरार चल रहे वारंटियों को गिरफ्तार कर उन्हें कोर्ट में पेश करना है. लेकिन फरार चल रहे वारंटी का सही पता नहीं मिलने की वजह से पुलिस खासी परेशान है. झारखंड में 328 लाल वारंटी हैं जिनको गिरफ्तार करने के लिए पुलिस परेशान है.

देखें पूरी खबर

क्या होता है लाल वारंट
कोर्ट से किसी भी मामले में वारंट जारी होता है इसमें आरोपी का जो पता अदालत में दिया जाता है उसी पते पर वारंट का तामिला करवाया जाता है. लेकिन आमतौर पर आरोपी का जो पता अदालत में दिया होता है वह नहीं रहता और इसकी जानकारी न तो कोर्ट को और न ही थाने को मिलती है. उसके बाद वह अदालत में आरोपी हाजिरी लगाना भी बंद कर देता है तो उसका वारंट जारी होता है. पहले विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद आखिर में अदालत लाल वारंट जारी कर देती है. जिस व्यक्ति का लाल वारंट जारी होता है सामान्य तौर पर उसका मामला छोटा हो तब भी उसे जेल जाना पड़ता है.

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चुनाव के घोषणा से लेकर अब तक 5,713 गिरफ्तार
झारखंड पुलिस के प्रवक्ता एडीजी अभियान मुरारी लाल मीणा ने बताया कि चुनाव आयोग के निर्देश पर राज्य भर में फरार वारंटियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगातार काम कर रही है. विधानसभा चुनाव के पहले फरार वारंटियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करना है.

42 फीसदी वारंटी अभी भी फरार
एडीजी के अनुसार, झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद से अब तक 5, 713 वारंटियों को कोर्ट में पेश किया जा चुका है. एडीजी के अनुसार फिलहाल झारखंड के विभिन्न जिलों से 328 वारंट अभी भी लंबित हैं. पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक 15 सितंबर 2019 तक कुल वारंटियों की संख्या 31, 940 थी. पुलिस ने अभियान चलाकर राज्यभर में 58 फीसदी वारंट इंप्लीमेंट कराया है. हालांकि 42 फीसदी वारंटी अभी भी फरार चल रहे हैं.

क्यों जरूरी है गिरफ्तारी
दागी और फरार चल रहे वारंटियों से चुनाव के दौरान हिंसा की आशंका रहती है. ऐसे में चुनाव से पहले सभी वारंटियों की गिरफ्तारी का आदेश जारी किया गया है. विधानसभा चुनाव के दौरान विधि व्यवस्था में किसी भी तरह की अड़चन न हो यही वजह है कि पुलिस लगातार वारंटियों को धर दबोचने में लगी हुई है.

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क्या आ रही हैं दिक्कतें
झारखंड पुलिस के प्रवक्ता एडीजी एमएल मीणा के अनुसार, चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार हर हाल में वारंटियों को गिरफ्तार करना है. लेकिन कई ऐसे वारंटी हैं जिन्होंने कांड के समय अपना पता गलत लिखवाया या फिर वे कांड में दर्ज पते को छोड़कर किसी दूसरे ठिकाने पर चले गए हैं. खासकर बिहार उत्तर प्रदेश से आकर झारखंड में अपराध करने वाले अपराधी अपना पता कांड दर्ज होते ही बदल लेते हैं.

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विफल साबित हो रही पुलिस
ऐसे अपराधियों को गिरफ्तार करने में परेशानी आ रही है. झारखंड के रांची, जमशेदपुर, बोकारो और धनबाद जैसे शहरों में 23, 000 से अधिक वारंटियों की तलाश में पुलिस पहले से ही अभियान चला रही है. इसमें जमानती और गैर जमानती धाराओं के तहत दर्ज मामलों के आरोपी भी शामिल हैं. हर रोज औसतन 15 सौ लोगों पर कार्रवाई भी की जा रही है और उनके बारे में हर थाने में वारंट एक्शन के लिए स्पेशल ड्राइव टीम का गठन भी किया गया है. लेकिन थानों में ऐसे कई वारंट आकर पड़े हुए हैं जिनके बारे में पुलिस लाख कोशिश करने के बावजूद भी आरोपी का पता लगाने में विफल साबित हो रही है.

Intro:रांची
ना पता है ना ठिकाना फिर भी ढूंढ कर लाना है। कुछ इसी तरह की प्रक्रिया से इन दिनों झारखंड पुलिस को गुजरना पड़ रहा है ।यह प्रक्रिया उस रेड वारंट को लेकर  है जिसमें झारखंड के हर जिले के सभी थानों से यह तो कह दिया गया है कि वारंटी का कोई अता पता नहीं है फिर भी उसे ढूंढ कर लाना है और कोर्ट में हाजिर करना है। लेकिन वारंटी खोजें नहीं मिल रहे हैं पुलिस की एक टीम की ऊर्जा फरार चल रहे वारंटियों को खोजने में ही खर्च हो रही है।चुनाव आयोग के निर्देश के अनुसार विधानसभा चुनाव के पहले फरार चल रहे हैं वारंटियों को गिरफ्तार कर उन्हें कोर्ट में पेश करना है। लेकिन फरार चल रहे वारंटी का सही पता नहीं मिलने की वजह से पुलिस खासी परेशान है। झारखंड में 328 लाल वारंटी है जिनको गिरफ्तार करने के लिए पुलिस परेशान है।

क्या होता है लाल वारंट

कोर्ट से किसी भी मामले में वारंट जारी होता है इसमें आरोपी का जो पता अदालत में दिया जाता है। उसी पते पर वारंट का तामिला  करवाया जाता है। लेकिन आमतौर पर आरोपी का जो पता अदालत में दिया होता है वह नहीं रहता और इसकी जानकारी न तो कोर्ट को और ना ही थाने को मिलती है। उसके बाद वह अदालत में आरोपी हाजिरी लगाना भी बंद कर देता है तो उसका वारंट जारी होता है ।पहले विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद अंततः अदालत लाल वारंट जारी कर देती है ।जिस व्यक्ति का लाल वारंट जारी होता है सामान्य तौर पर का मामला छोटा हो तब भी उसे जेल जाना पड़ता है।

चुनाव के घोषणा से लेकर अबतक 5713 गिरफ्तार

झारखंड पुलिस के प्रवक्ता एडीजी अभियान मुरारी लाल मीणा ने बताया कि चुनाव आयोग के निर्देश पर राज्य भर में फरार वारंटीओं की गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगातार काम कर रही है। विधानसभा चुनाव के पहले फरार वारंटीओं को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करना है।एडीजी के अनुसार झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद से अब तक  5713 वारंटियों को कोर्ट में पेश किया जा चुका है। एडीजी के अनुसार फिलहाल अभी भी झारखंड के विभिन्न जिलों से 328 वारंट अभी भी लंबित है।पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक 15 सितंबर 2019 तक कुल वारंटियों की संख्या 31,940 थी।पुलिस ने अभियान चलाकर राज्यभर में 58 फीसदी वारंट इंप्लीमेंट कराया है। हालांकि 42 फीसदी वारंटी अभी भी फरार चल रहे है।

क्यो जरूरी है गिरफ्तारी

दागी और फरार चल रहे वारंटियों से चुनाव के दौरान हिंसा की आशंका रहती है।ऐसे में चुनाव से पहले सभी वारंटियों की गिरफ्तारी का आदेश जारी किया गया है। विधानसभा चुनाव के दौरान विधि व्यवस्था में किसी भी तरह की अड़चन उत्पन्न न हो यही वजह है कि पुलिस लगातार वारंटियों को धर दबोचने में लगी हुई है।

क्या आ रही है दिक्कतें

झारखंड पुलिस के प्रवक्ता एडीजी एमएल मीणा के अनुसार चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार हर हाल में वारंटियों  को गिरफ्तार करना है ।लेकिन कई ऐसे वारंटी हैं जिन्होंने कांड के समय अपना पता गलत लिखवाया या फिर वे कांड में दर्ज पते को छोड़कर किसी दूसरे ठिकाने पर चले गए हैं। खासकर बिहार उत्तर प्रदेश से आकर झारखंड में अपराध करने वाले अपराधी अपना पता कांड दर्ज होते ही बदल लेते हैं ऐसे अपराधियों को गिरफ्तार करने में परेशानी आ रही है ।झारखंड के रांची, जमशेदपुर ,बोकारो और धनबाद जैसे शहरों में 23000 से अधिक वारंटीओं की तलाश में पुलिस पहले से ही अभियान चला रही है ।इसमें जमानती और गैर जमानती धाराओं के तहत दर्ज मामलों के आरोपी भी शामिल है ।हर रोज औसतन पंद्रह सौ लोगों पर कार्रवाई भी की जा रही है और उनके बारे में हर थाने में वारंट एक्शन के लिए स्पेशल ड्राइव टीम का गठन भी किया गया है। लेकिन थानों में ऐसे कई वारंट आकर पड़े हुए हैं जिनके बारे में पुलिस लाख कोशिश करने के बावजूद भी आरोपी का पता लगाने में विफल साबित हो रही है।

दरअसल झारखंड के हर जिले की पुलिस परेशान है क्योंकि उन्हें विधानसभा चुनाव के पहले वारंटियों की गिरफ्तारी से जुड़ी रिपोर्ट मुख्यालय में जमा करना है और वह रिपोर्ट चुनाव आयोग के पास जाएगा। एक तो ऐसे ही थानों में पुलिसकर्मियों की संख्या कम है दूसरी तरफ पुलिस के पास कानून व्यवस्था का पालन करवाने की भी जिम्मेवारी है लेकिन पुलिस की आधी शक्ति फिलहाल लाल वारंटियों की खोज में ही लगी हुई है।

बाइट - एम एल मीना ,एडीजी अभियान Body:1Conclusion:2
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