रांची: राजधानी के राजभवन के सामने पिछले 50 दिनों से राज्य भर की संयोजिका और रसोइया अपने स्थायीकरण और न्यूनतम वेतन की मांग को लेकर धरना दे रही हैं (Rasoiya Syojika Dharna In Ranchi). प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही अनीता शर्मा ने बताया कि महिलाएं अपनी सुरक्षा को ताक पर रखकर प्रदर्शन कर रही हैं ताकि सरकार उनकी मांगों को माने और उन्हें रोजगार मिल सके.
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रसोइया संघ की अध्यक्ष का कहना है कि जिस प्रकार से आंगनबाड़ी सेविका, ओल्ड पेंशन स्कीम 1932 खतियान को लागू करने का काम किया है उसी प्रकार सभी रसोइया और संयोजिका अपने स्थायीकरण और न्यूनतम वेतन की मांग कर रही हैं, ताकि महिलाओं का भी जीवन यापन अच्छे से चल सके. अनीता केसरी बताती हैं राज्य भर में जितनी भी रसोइया और संयोजिका काम करने वाली महिलाएं हैं ज्यादातर विधवाएं हैं या फिर गरीब हैं. अगर सरकार इनके स्थायीकरण पर विचार नहीं करती है तो इनके सामने भुखमरी जैसे स्थिति होगी.
रसोइया और संयोजिका संघ के प्रदेश महासचिव प्रेमनाथ विश्वकर्मा बताते हैं कि हेमंत सोरेन की सरकार आने के बाद राज्य भर के दो लाख से ज्यादा रसोइया और संयोजिका को यह उम्मीद है कि आंगनबाड़ी सेविकाओं की तरह इनका भी उद्धार होगा. लोग उम्मीद लगा कर बैठे हैं कि हेमंत सोरेन की सरकार इनके स्थाइकरण पर भी मुहर लगाएगी, लेकिन जिस तरह से सरकार चुप है ऐसे में सभी रसोइया और संयोजिका यह सोचकर डरे हुए हैं कि कहीं सरकार उनकी मांग को अनसुनी ना कर दे.
स्थायीकरण और न्यूनतम वेतन मांग को लेकर पिछले 50 दिनों से स्कूल के मिड डे मील का भोजन बनाने वाली रसोइया और संयोजक का धरना प्रदर्शन कर रही हैं ताकि उन्हें भी राज्य में अच्छा वेतन मिल सके. धरना प्रदर्शन कर रहे रसोइया संघ के लोगों ने बताया कि अगर सरकार जल्द से जल्द उनकी मांगों पर विचार नहीं करती है तो आने वाले समय में सभी रसोइया और संयोजिका राजधानी का चक्का जाम करेंगे जिसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी.