रांचीः अकेली यात्रा करने वाली महिलायें सुरक्षित और निर्भिक सफर कर सकें. इसे लेकर दक्षिण पूर्व रेल के रांची रेलमंडल ने 2020 में पायलट प्रोजेक्ट योजना के तहत मेरी सहेली और नन्हे फरिश्ते योजना की शुरुआत की थी. मेरी सहेली योजना के बड़ी संख्या में महिला यात्रियों को लाभ मिला है, तो नन्हे फरिश्ते योजना के माध्यम से मानव तस्करी पर रोक लगी है. अब इन दोनों योजनाओं को दूसरे रेलमंडल भी अपना रहे हैं.
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रांची रेलमंडल में शुरू की गई मेरी सहेली योजना अब देश के लिए बेहतर साबित हो रही है. इस योजना के तहत अकेली सफर कर रही महिला यात्रियों को मदद पहुंचाई जाती है. महिला सुरक्षा को लेकर चल रहे ऑपरेशन मेरी सहेली और मानव तस्करी को रोकने के लिए नन्हे फरिश्ते बेहद ही सफल योजना साबित हो रही है. महिला यात्री ट्रेन में सफर करने के दौरान अब सुरक्षित महसूस कर रही है. मेरी सहेली योजना के माध्यम से महिला यात्रियों को चलती ट्रेन में सुरक्षा मुहैया करवाई जाती है. महिला यात्रियों को किसी तरह की दिक्कत होने पर वह 139 और 182 पर फोन कर सकती हैं. इसके बाद उन्हें तत्काल सुरक्षा मुहैया कराई जाती है. साथ ही अकेली सफर करने वाली महिलाओं की पूरी जानकारी मेरी सहेली की टीम को रहती है. किस कोच में वह सफर कर रही है. उनका मोबाइल नंबर क्या है. कहां जा रही है. कहां से आ रही है.
नन्हे फरिश्ते की बात करें तो यह योजना 15 अगस्त 2020 को शुरुआत की गई. इस योजना के तहत ट्रेनों के जरिए होने वाली मानव तस्करी को रोकना है. रांची रेलमंडल के आरपीएफ कमांडेंट प्रशांत कुमार ने बताया कि इस योजना के तहत अब तक ढाई सौ से अधिक बच्चों को तस्करों से के चुंगल से मुक्त कराया गया है. उन्होंने कहा कि यह अभियान लगातार चलता रहेगा. इन्होंने कहा कि नन्हे फरिश्ता और मेरी सहेली दोनों योजनाएं रांची रेलमंडल में सफल है और अब दूसरे रेलमंडलों में भी इन दोनों योजनाओं की शुरुआत की जा रही है.