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रांची पुलिस का अजूबा कारनामा, लगा पोस्टर, हटा पोस्टर

रांची पुलिस ने पहले तो हिंसा में शामिल उपद्रवियों के पोस्टर शहर के चौक चौराहों पर लगवाए. लेकिन लगाने के कुछ ही मिनटों के बाद उसे हटाने का फरमान जारी कर दिया.

posters put up at intersections of the miscreants
posters put up at intersections of the miscreants
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Published : Jun 14, 2022, 8:07 PM IST

Updated : Jun 15, 2022, 6:21 AM IST

रांची: झारखंड में जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसा के बाद पुलिस-प्रशासन जिस तरीके से कदम उठा रहा है उससे उनके काम करने के तरीके पर सवाल उठने लगे हैं. रांची हिंसा को लेकर राज्यपाल ने 13 जून को सूबे के सभी आला अधिकारियों को तलब किया था. डीजीपी से लेकर के पुलिस अधीक्षक तक को निर्देश दिया गया था कि जो भी उपद्रव में शामिल हैं उनका पोस्टर लगाया जाए और लोगों से जानकारी भी मांगी जाए.

ये भी पढ़ें: उपद्रवियों के बैनर पोस्टर चौक चौराहों पर होंगे चस्पा, आखिरी वक्त में पुलिस ने संशोधन की दलील देकर वापस लिए सारे फोटो

राज्यपाल के निर्देश के बाद पुलिस तुरंत एक्शन में आई और 14 तारीख को रांची में सभी चौक चौराहों पर उपद्रवियों के पोस्टर लगा दिए गए. राज्यपाल रमेश बैस के निर्देश के बाद पोस्टर लगा तो दिए गए. लेकिन उसके कुछ ही मिनटों के बाद पोस्टर उतार भी लिया गया, और यह कह दिया गया कि पोस्टर में त्रुटि रह गई है उसे सुधारा जाएगा.


दरअसल पुलिस जिस तरह से काम कर रही है उसमें सिर्फ पोस्टर में त्रुटि नहीं रह गई है, रांची पुलिस के हर काम में त्रुटी रह जा रही है. इसको लेकर हर जगह सवाल भी उठ रहे हैं. पोस्टर लगाया गया फिर पोस्टर उतारा गया. हो सकता है फिर पोस्टर लगाया जाए. पुलिस की कार्यप्रणाली में शायद ऐसा पहली बार हो रहा है, जब पुलिस राजनीति की भाषा बोल रही है क्योंकि राज्यपाल ने कहा पोस्टर लगा दो तो पोस्टर लगा दिया गया. सरकार से निर्देश आया होगा कि पोस्टर उतार दो तो पोस्टर उतार दिया गया.

पुलिस अपनी फजीहत बचाने के लिए कह रही है कि सुधार करने के लिए फिर पोस्टर हटाए जा रहे हैं. लेकिन यह त्रुटी हुई कहां और इस त्रुटि को सुधारेगा कौन यह तो पुलिस वाले ही जानें, लेकिन पोस्टर छपाई के पैसे भी रांची वालों के टैक्स से ही बर्बाद हुआ है यह तो साफ है बाकी जांच तो चल ही रही है.

रांची: झारखंड में जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसा के बाद पुलिस-प्रशासन जिस तरीके से कदम उठा रहा है उससे उनके काम करने के तरीके पर सवाल उठने लगे हैं. रांची हिंसा को लेकर राज्यपाल ने 13 जून को सूबे के सभी आला अधिकारियों को तलब किया था. डीजीपी से लेकर के पुलिस अधीक्षक तक को निर्देश दिया गया था कि जो भी उपद्रव में शामिल हैं उनका पोस्टर लगाया जाए और लोगों से जानकारी भी मांगी जाए.

ये भी पढ़ें: उपद्रवियों के बैनर पोस्टर चौक चौराहों पर होंगे चस्पा, आखिरी वक्त में पुलिस ने संशोधन की दलील देकर वापस लिए सारे फोटो

राज्यपाल के निर्देश के बाद पुलिस तुरंत एक्शन में आई और 14 तारीख को रांची में सभी चौक चौराहों पर उपद्रवियों के पोस्टर लगा दिए गए. राज्यपाल रमेश बैस के निर्देश के बाद पोस्टर लगा तो दिए गए. लेकिन उसके कुछ ही मिनटों के बाद पोस्टर उतार भी लिया गया, और यह कह दिया गया कि पोस्टर में त्रुटि रह गई है उसे सुधारा जाएगा.


दरअसल पुलिस जिस तरह से काम कर रही है उसमें सिर्फ पोस्टर में त्रुटि नहीं रह गई है, रांची पुलिस के हर काम में त्रुटी रह जा रही है. इसको लेकर हर जगह सवाल भी उठ रहे हैं. पोस्टर लगाया गया फिर पोस्टर उतारा गया. हो सकता है फिर पोस्टर लगाया जाए. पुलिस की कार्यप्रणाली में शायद ऐसा पहली बार हो रहा है, जब पुलिस राजनीति की भाषा बोल रही है क्योंकि राज्यपाल ने कहा पोस्टर लगा दो तो पोस्टर लगा दिया गया. सरकार से निर्देश आया होगा कि पोस्टर उतार दो तो पोस्टर उतार दिया गया.

पुलिस अपनी फजीहत बचाने के लिए कह रही है कि सुधार करने के लिए फिर पोस्टर हटाए जा रहे हैं. लेकिन यह त्रुटी हुई कहां और इस त्रुटि को सुधारेगा कौन यह तो पुलिस वाले ही जानें, लेकिन पोस्टर छपाई के पैसे भी रांची वालों के टैक्स से ही बर्बाद हुआ है यह तो साफ है बाकी जांच तो चल ही रही है.

Last Updated : Jun 15, 2022, 6:21 AM IST
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