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इस वजह से झारखंड कैबिनेट के विस्तार में हो रही है देरी, आप भी जानिए क्या है वो कारण

हेमंत कैबिनेट का विस्तार कब तक होगा इस पर कोई स्पष्ट बयान नहीं आ रहा है. जल्द विस्तार होने की बात कही जा रही है.

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जेएमएम प्रवक्ता मनोज पांडेय व कांग्रेस प्रवक्ता जगदीश साहू (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 3 hours ago

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में प्रचंड जीत के बाद इंडिया ब्लॉक के नेता के रूप में हेमंत सोरेन ने 28 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है. लेकिन कैबिनेट विस्तार अभी तक नहीं हो पाया है. यह देरी तब और मायने रखती है जब शपथ ग्रहण के बाद प्रोजेक्ट भवन में पहली बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक-दो दिनों में ही मंत्रिमंडल विस्तार की बात कही थी.

ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्यों कैबिनेट विस्तार के लिए मुख्यमंत्री द्वारा कही गई बात पूरी नहीं हुई. कैबिनेट विस्तार में कहीं कोई पेंच इंडिया गठबंधन में तो नहीं फंसा है. झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के नेताओं ने इस सवाल के जवाब में इंडिया ब्लॉक में ऑल इज वेल की बात कही है. साथ ही यह भी बताने की कोशिश की, कि क्यों मंत्रिमंडल विस्तार या मंत्रियों का शपथ ग्रहण अभी तक नहीं हो पाया है.

कैबिनेट विस्तार को लेकर जानकारी देते हुए (ईटीवी भारत)
चार दलों का है गठबंधन, सहयोगी दलों से लिस्ट मिलने के बाद संतुलित मंत्रिमंडल बन जाएगा- झामुमो

झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता और सेंट्रल कमेटी सदस्य मनोज पांडेय कहते हैं कि राज्य में चार दलों का गठबंधन है. मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय संतुलन, सामाजिक वर्गों के संतुलन के साथ-साथ नारी सशक्तिकरण का भी ख्याल रखना है. ऐसे में जो भी थोड़ा बहुत मामला सहयोगी दलों के साथ होगा उसे जल्द शार्ट आउट कर लिया जाएगा. मनोज पांडेय कहते हैं कि अभी तक सहयोगी दलों से मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले विधायकों के नाम की सूची मुख्यमंत्री को नहीं मिली है. उम्मीद है कि जल्द ही सहयोगी दलों की ओर से यह सूची उपलब्ध करा दी जाएगी और विधानसभा के सत्र से पहले कैबिनेट विस्तार भी हो जाएगा.

क्या 4-1 या 5-1 फॉर्मूले पर नहीं बन पायी है सहमति
ईटीवी भारत ने झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता से पूछा कि इस बार इंडिया ब्लॉक के 56 विधायक हैं. ऐसे में क्या 5 विधायक पर 1 मंत्री या पूर्व की भांति 4 विधायक पर 1 मंत्री वाले फॉर्मूले पर ही आगे बढ़ने पर झामुमो-कांग्रेस में सहमति नहीं बन पाई है. इस सवाल के जवाब में मनोज पांडेय कहते हैं कि इसका फैसला मुख्यमंत्री और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को करना है. लेकिन एक कार्यकर्ता के रूप में उनकी चाहत है कि हमारे विधायकों की संख्या बढ़ी है तो मंत्रियों की संख्या भी बढ़नी चाहिए.

6-7 दिसंबर तक कांग्रेस कोटे से मंत्री बनने वाले विधायकों की आ जायेगी लिस्ट

वहीं झारखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता जगदीश साहू ने विधानसभा के सत्र से पहले कैबिनेट विस्तार का काम पूरा हो जाने की संभवना जताते हुए कहा कि, सोमवार को दिल्ली में प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश, प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात करने वाले हैं. वहां एक बैठक भी होने वाली है. जगदीश साहू ने कहा कि दरअसल, कांग्रेस को क्षेत्रीय संतुलन के साथ-साथ सभी वर्गों का भी ख्याल रखना पड़ रहा है. उन्होंने फिर दोहराया कि इस बार इंडिया ब्लॉक के शानदार प्रदर्शन के बाद 2019 की तरह ही 4 विधायक पर 1 मंत्री वाले फॉर्मूले पर आगे बढ़ना चाहिए.

राजद भी वेट एंड वाच की स्थिति में

राजद का प्रदेश स्तर के नेता मंत्रिमंडल विस्तार में हो रही देरी पर कुछ भी कहने से बचते दिख रहे हैं. पार्टी सूत्रों की माने तो राजद का राष्ट्रीय नेतृत्व अभी मंत्री बनने वाले विधायक का नाम सार्वजनिक करने से बच रहा है. जैसे ही कांग्रेस और झामुमो की ओर से मंत्री बनने वाले विधायकों का नाम फाइनल हो जाएगा वैसे ही राजद भी अपने विधायक का नाम मुख्यमंत्री को सौंप देगा.

कांग्रेस में दुविधा ज्यादा तो जेएमएम कार्यकर्ताओं का अपने नेतृत्व पर दबाव

रांची के वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि मुख्यमंत्री द्वारा ही एक दो दिन में कैबिनेट विस्तार की बात नहीं आई है. बल्कि मंत्रिमंडल विस्तार की कोई तिथि तक नहीं आना जरुर कुछ वजह होगी. सतेंद्र सिंह कहते हैं कि भले ही झामुमो-कांग्रेस के नेता ऑल इज वेल की बात कहते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि कांग्रेस और झामुमो दोनों को उन नामों के चयन में मुश्किल हो रहा है जिन्हें मंत्री बनाना है.

पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि प्रमंडलीय संतुलन, जातीय संतुलन का भी ख्याल रखना पड़ रहा है. इस बीच झामुमो के विधायकों की संख्या बढ़ जाने और माले के सरकार से अलग रहने की घोषणा के बाद झामुमो के ज्यादातर विधायक और कार्यकर्ताओं की इच्छा इस बार मुख्यमंत्री का पद छोड़ कर 4 विधायक पर 1 मंत्री की जगह 5 विधायक पर एक मंत्री करने की है. कहीं न कहीं इन वजहों से भी कैबिनेट विस्तार में देरी हो रही होगी, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है.

9 से 12 दिसंबर आहूत है छठा विधानसभा का पहला सत्र

28 नवंबर को मुख्यमंत्री बनने के बाद हेमंत सोरेन की सरकार ने 9 दिसंबर से 12 दिसंबर तक विधानसभा का सत्र आहूत किया है. इस सत्र में नए विधायकों का शपथ ग्रहण, स्पीकर का चुनाव, राज्यपाल का अभिभाषण और नई सरकार द्वारा विश्वासमत हासिल किया जाना है.

ये भी पढ़ें- हेमंत सोरेन की नई कैबिनेट में शामिल हो सकते हैं ये विधायक, अनुभव के साथ होगा युवा जोश!

हेमंत कैबिनेट का फॉमूला तय करने के लिए होगी बैठक, शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे कई बड़े नेताः केशव महतो कमलेश

हेमंत कैबिनेट में झामुमो, कांग्रेस, राजद, माले से कितने विधायक बनेंगे मंत्री, 28 को शपथ ग्रहण

रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में प्रचंड जीत के बाद इंडिया ब्लॉक के नेता के रूप में हेमंत सोरेन ने 28 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है. लेकिन कैबिनेट विस्तार अभी तक नहीं हो पाया है. यह देरी तब और मायने रखती है जब शपथ ग्रहण के बाद प्रोजेक्ट भवन में पहली बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक-दो दिनों में ही मंत्रिमंडल विस्तार की बात कही थी.

ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्यों कैबिनेट विस्तार के लिए मुख्यमंत्री द्वारा कही गई बात पूरी नहीं हुई. कैबिनेट विस्तार में कहीं कोई पेंच इंडिया गठबंधन में तो नहीं फंसा है. झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के नेताओं ने इस सवाल के जवाब में इंडिया ब्लॉक में ऑल इज वेल की बात कही है. साथ ही यह भी बताने की कोशिश की, कि क्यों मंत्रिमंडल विस्तार या मंत्रियों का शपथ ग्रहण अभी तक नहीं हो पाया है.

कैबिनेट विस्तार को लेकर जानकारी देते हुए (ईटीवी भारत)
चार दलों का है गठबंधन, सहयोगी दलों से लिस्ट मिलने के बाद संतुलित मंत्रिमंडल बन जाएगा- झामुमो

झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता और सेंट्रल कमेटी सदस्य मनोज पांडेय कहते हैं कि राज्य में चार दलों का गठबंधन है. मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय संतुलन, सामाजिक वर्गों के संतुलन के साथ-साथ नारी सशक्तिकरण का भी ख्याल रखना है. ऐसे में जो भी थोड़ा बहुत मामला सहयोगी दलों के साथ होगा उसे जल्द शार्ट आउट कर लिया जाएगा. मनोज पांडेय कहते हैं कि अभी तक सहयोगी दलों से मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले विधायकों के नाम की सूची मुख्यमंत्री को नहीं मिली है. उम्मीद है कि जल्द ही सहयोगी दलों की ओर से यह सूची उपलब्ध करा दी जाएगी और विधानसभा के सत्र से पहले कैबिनेट विस्तार भी हो जाएगा.

क्या 4-1 या 5-1 फॉर्मूले पर नहीं बन पायी है सहमति
ईटीवी भारत ने झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता से पूछा कि इस बार इंडिया ब्लॉक के 56 विधायक हैं. ऐसे में क्या 5 विधायक पर 1 मंत्री या पूर्व की भांति 4 विधायक पर 1 मंत्री वाले फॉर्मूले पर ही आगे बढ़ने पर झामुमो-कांग्रेस में सहमति नहीं बन पाई है. इस सवाल के जवाब में मनोज पांडेय कहते हैं कि इसका फैसला मुख्यमंत्री और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को करना है. लेकिन एक कार्यकर्ता के रूप में उनकी चाहत है कि हमारे विधायकों की संख्या बढ़ी है तो मंत्रियों की संख्या भी बढ़नी चाहिए.

6-7 दिसंबर तक कांग्रेस कोटे से मंत्री बनने वाले विधायकों की आ जायेगी लिस्ट

वहीं झारखंड कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता जगदीश साहू ने विधानसभा के सत्र से पहले कैबिनेट विस्तार का काम पूरा हो जाने की संभवना जताते हुए कहा कि, सोमवार को दिल्ली में प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश, प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात करने वाले हैं. वहां एक बैठक भी होने वाली है. जगदीश साहू ने कहा कि दरअसल, कांग्रेस को क्षेत्रीय संतुलन के साथ-साथ सभी वर्गों का भी ख्याल रखना पड़ रहा है. उन्होंने फिर दोहराया कि इस बार इंडिया ब्लॉक के शानदार प्रदर्शन के बाद 2019 की तरह ही 4 विधायक पर 1 मंत्री वाले फॉर्मूले पर आगे बढ़ना चाहिए.

राजद भी वेट एंड वाच की स्थिति में

राजद का प्रदेश स्तर के नेता मंत्रिमंडल विस्तार में हो रही देरी पर कुछ भी कहने से बचते दिख रहे हैं. पार्टी सूत्रों की माने तो राजद का राष्ट्रीय नेतृत्व अभी मंत्री बनने वाले विधायक का नाम सार्वजनिक करने से बच रहा है. जैसे ही कांग्रेस और झामुमो की ओर से मंत्री बनने वाले विधायकों का नाम फाइनल हो जाएगा वैसे ही राजद भी अपने विधायक का नाम मुख्यमंत्री को सौंप देगा.

कांग्रेस में दुविधा ज्यादा तो जेएमएम कार्यकर्ताओं का अपने नेतृत्व पर दबाव

रांची के वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि मुख्यमंत्री द्वारा ही एक दो दिन में कैबिनेट विस्तार की बात नहीं आई है. बल्कि मंत्रिमंडल विस्तार की कोई तिथि तक नहीं आना जरुर कुछ वजह होगी. सतेंद्र सिंह कहते हैं कि भले ही झामुमो-कांग्रेस के नेता ऑल इज वेल की बात कहते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि कांग्रेस और झामुमो दोनों को उन नामों के चयन में मुश्किल हो रहा है जिन्हें मंत्री बनाना है.

पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि प्रमंडलीय संतुलन, जातीय संतुलन का भी ख्याल रखना पड़ रहा है. इस बीच झामुमो के विधायकों की संख्या बढ़ जाने और माले के सरकार से अलग रहने की घोषणा के बाद झामुमो के ज्यादातर विधायक और कार्यकर्ताओं की इच्छा इस बार मुख्यमंत्री का पद छोड़ कर 4 विधायक पर 1 मंत्री की जगह 5 विधायक पर एक मंत्री करने की है. कहीं न कहीं इन वजहों से भी कैबिनेट विस्तार में देरी हो रही होगी, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है.

9 से 12 दिसंबर आहूत है छठा विधानसभा का पहला सत्र

28 नवंबर को मुख्यमंत्री बनने के बाद हेमंत सोरेन की सरकार ने 9 दिसंबर से 12 दिसंबर तक विधानसभा का सत्र आहूत किया है. इस सत्र में नए विधायकों का शपथ ग्रहण, स्पीकर का चुनाव, राज्यपाल का अभिभाषण और नई सरकार द्वारा विश्वासमत हासिल किया जाना है.

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हेमंत कैबिनेट में झामुमो, कांग्रेस, राजद, माले से कितने विधायक बनेंगे मंत्री, 28 को शपथ ग्रहण

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