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वकील की हत्या मामले में पैरवीकार अधिवक्ता का विरोध, जानिए क्या चाहता है रांची जिला बार एसोसिएशन - रांची कोर्ट समाचार

रांची में दिनदहाड़े वकील की हत्या मामले (Advocate Murder Case) में अधिवक्ताओं की नाराजगी बढ़ती जा रही है. इस हत्याकांड के आरोपियों के पक्ष में रांची व्यवहार न्यायालय पहुंचे अधिवक्ता का रांची जिला बार एसोसिएशन ने विरोध किया है. वकीलों के विरोध के बाद पैरवीकार अधिवक्ता ने आवेदन वापस ले लिया. आखिर क्या है पूरा मामला और क्या चाहता है रांची जिला बार एसोसिएशन, ये जानने के लिए पूरी खबर पढ़ें-

advocate murder case
Ranchi District Bar Association
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Published : Nov 18, 2021, 10:59 AM IST

रांचीः झारखंड में न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े लोगों पर आएदिन हो रहे हमलों के खिलाफ वकील लामबंद हो गए हैं. ऐसे मामलों के पैरवीकार वकीलों से साथी अधिवक्ता केस नहीं लड़ने की अपील कर रहे हैं. दूसरी ओर बार एसोसिएशन लगातार एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग कर रहा है. ऐसे ही एक मामले में तब नया मोड़ आ गया, जब जिला बार एसोसिएशन और वकीलों ने आरोपियों के पैरवीकार अधिवक्ता का विरोध किया और आखिरकार उन्हें कोर्ट से आवेदन वापस लेना पड़ा.

ये भी पढ़ें-रांची में दिनदहाड़े वकील की गोली मारकर हत्या, तमाड़ में दहशत

वकील मनोज कुमार झा की हत्या से जुड़े इस मामले के आरोपियों के पक्ष में रांची व्यवहार न्यायालय पहुंचे अधिवक्ता को रांची जिला बार एसोसिएशन और दूसरे वकीलों के विरोध का सामना करना पड़ा. अपने साथी की हत्या से नाराज वकीलों ने आरोपियों के पक्ष में अदालत में बहस नहीं करने की अपील की. दरअसल, रांची में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट अंकिता शर्मा के कोर्ट में एक अभियुक्त को जुबेनाइल करवाने के लिए आवेदन फाइल किया गया था लेकिन विरोध के बाद अधिवक्ता ने अपना आवेदन वापस ले लिया.

रांची जिला बार एसोसिएशन के प्रशासनिक संयुक्त सचिव पवन रंजन खत्री ने ईटीवी भारत को बताया कि तमाड़ में वकील मनोज कुमार झा की हत्या कर दी गई थी. इसके बाद तमाम अधिवक्ताओं को कहा गया था कि इस मामले में कोई भी आरोपियों के पक्ष में पैरवी नहीं करेगा. किसी भी कीमत पर वकील की हत्या के आरोपियों को जेल से बाहर नहीं निकलने दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि वकील की हत्या होती है और वकील ही आरोपियों की पैरवी करने लगते हैं, जिसका विरोध किया जा रहा है. उन्होंने पूरे अधिवक्ता समाज से आग्रह किया है कि इस तरह के केस में कोई भी अधिवक्ता आरोपियों का पक्ष नहीं लें.

ये भी पढ़ें- वकील मनोज झा हत्याकांडः मुख्य आरोपी अशरफ लंगड़ा बेंगलुरू से गिरफ्तार

बेंगलुरु से पकड़ा गया था मुख्य आरोपी

रांची के चर्च रोड निवासी वकील मनोज कुमार झा 26 जुलाई को अपने ड्राइवर के साथ तमाड़ थाना क्षेत्र के रड़गांव स्थित संत जेवियर कॉलेज के निर्माण स्थल पर गए थे. इसी बीच बाइक पर आए कुछ लोगों ने उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. हत्या की वारदात को अंजाम देने के बाद मुख्य आरोपी अशरफ लंगड़ा बेंगलुरु भाग गया था. सीनियर एसपी सुरेंद्र कुमार झा ने उसकी गिरफ्तारी के लिए विशेष टीम बेंगलुरु भेजी थी. इस मामले में पांच अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. लंगड़ा की गिरफ्तारी से पहले रांची पुलिस ने तमाड़ के रड़गांव के रहने वाले सोनू अंसारी, इमदाद अंसारी, गांगो के रहने वाले रिजवान अंसारी, सरायकेला जिले के इचागढ़ थाना क्षेत्र के नोयाडीह के रहने वाले संजीत मांझी और पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के बलरामपुर थाना क्षेत्र के रसुलडीह के रहने वाले शकील अंसारी को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.

ये भी पढ़ें- झारखंड में जज और वकील की हत्या के बाद एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग तेज, पढ़ें रिपोर्ट

वकील मनोज की हत्या संत जेवियर संस्था की 14 एकड़ जमीन की वजह से हुई थी. उन्होंने संत जेवियर संस्था की जमीन का केस जीता था और पुलिस-प्रशासन की मदद से जमीन पर कब्जा किया था. उस समय अशरफ लंगड़ा जेल में था. जेल में रहते हुए उसने गिरोह तैयार की और वकील की हत्या की साजिश रची. इस घटना में गिरफ्तार सभी अपराधी जेल में ही कैद थे. सभी को 14 एकड़ जमीन में हिस्सा देने का वादा किया गया था. हत्याकांड का मुख्य आरोपी अशरफ लंगड़ा दस लाख के इनामी माओवादी महाराजा प्रमाणिक का शागिर्द है.

वकीलों की सुरक्षा की मांग

राज्य के वकील लगातार एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग कर रहे हैं. हाल के कुछ महीनों में धनबाद के सिविल कोर्ट के जज उत्तम आनंद की मॉर्निंग वॉक के दौरान हत्या कर दी गई. रांची सिविल कोर्ट के वकील मनोज झा की गोली मारकर हत्या, वकील वीरेंद्र सिंह की सिल्ली में हत्या, महिला वकील आरती देवी के बेटे की बरियातू में हत्या, कांके के वकील राम प्रवेश सिंह की हत्या और जमशेदपुर के वकील प्रकाश यादव की हत्या जैसे कई उदाहरण डराने के लिए काफी हैं. इसके अलावा आएदिन वकीलों के साथ मारपीट और धमकाने की घटना हो रही हैं.

झारखंड स्टेट बार काउंसिल के सदस्य चाहते हैं कि वकीलों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने से पहले झारखंड राज्य विधिक परिषद से जांच कराई जाए. इस जांच से पता चलेगा कि वकील पर किसी प्रकार की ड्यूटी ऑफ डिस्चार्ज में दबाव तो नहीं बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ऑफिशियल काम करने में अगर कोई गलती होती है, तो उसके लिए भी जांच कराई जाए. किसी वकील को किसी मुद्दे पर काम करने के दौरान धमकी मिलती है, तो राज्य सरकार सुरक्षा प्रदान करें. एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट इन बिंदुओं पर प्रावधान की जरूरत है.

रांचीः झारखंड में न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े लोगों पर आएदिन हो रहे हमलों के खिलाफ वकील लामबंद हो गए हैं. ऐसे मामलों के पैरवीकार वकीलों से साथी अधिवक्ता केस नहीं लड़ने की अपील कर रहे हैं. दूसरी ओर बार एसोसिएशन लगातार एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग कर रहा है. ऐसे ही एक मामले में तब नया मोड़ आ गया, जब जिला बार एसोसिएशन और वकीलों ने आरोपियों के पैरवीकार अधिवक्ता का विरोध किया और आखिरकार उन्हें कोर्ट से आवेदन वापस लेना पड़ा.

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वकील मनोज कुमार झा की हत्या से जुड़े इस मामले के आरोपियों के पक्ष में रांची व्यवहार न्यायालय पहुंचे अधिवक्ता को रांची जिला बार एसोसिएशन और दूसरे वकीलों के विरोध का सामना करना पड़ा. अपने साथी की हत्या से नाराज वकीलों ने आरोपियों के पक्ष में अदालत में बहस नहीं करने की अपील की. दरअसल, रांची में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट अंकिता शर्मा के कोर्ट में एक अभियुक्त को जुबेनाइल करवाने के लिए आवेदन फाइल किया गया था लेकिन विरोध के बाद अधिवक्ता ने अपना आवेदन वापस ले लिया.

रांची जिला बार एसोसिएशन के प्रशासनिक संयुक्त सचिव पवन रंजन खत्री ने ईटीवी भारत को बताया कि तमाड़ में वकील मनोज कुमार झा की हत्या कर दी गई थी. इसके बाद तमाम अधिवक्ताओं को कहा गया था कि इस मामले में कोई भी आरोपियों के पक्ष में पैरवी नहीं करेगा. किसी भी कीमत पर वकील की हत्या के आरोपियों को जेल से बाहर नहीं निकलने दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि वकील की हत्या होती है और वकील ही आरोपियों की पैरवी करने लगते हैं, जिसका विरोध किया जा रहा है. उन्होंने पूरे अधिवक्ता समाज से आग्रह किया है कि इस तरह के केस में कोई भी अधिवक्ता आरोपियों का पक्ष नहीं लें.

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बेंगलुरु से पकड़ा गया था मुख्य आरोपी

रांची के चर्च रोड निवासी वकील मनोज कुमार झा 26 जुलाई को अपने ड्राइवर के साथ तमाड़ थाना क्षेत्र के रड़गांव स्थित संत जेवियर कॉलेज के निर्माण स्थल पर गए थे. इसी बीच बाइक पर आए कुछ लोगों ने उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. हत्या की वारदात को अंजाम देने के बाद मुख्य आरोपी अशरफ लंगड़ा बेंगलुरु भाग गया था. सीनियर एसपी सुरेंद्र कुमार झा ने उसकी गिरफ्तारी के लिए विशेष टीम बेंगलुरु भेजी थी. इस मामले में पांच अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. लंगड़ा की गिरफ्तारी से पहले रांची पुलिस ने तमाड़ के रड़गांव के रहने वाले सोनू अंसारी, इमदाद अंसारी, गांगो के रहने वाले रिजवान अंसारी, सरायकेला जिले के इचागढ़ थाना क्षेत्र के नोयाडीह के रहने वाले संजीत मांझी और पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के बलरामपुर थाना क्षेत्र के रसुलडीह के रहने वाले शकील अंसारी को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.

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वकील मनोज की हत्या संत जेवियर संस्था की 14 एकड़ जमीन की वजह से हुई थी. उन्होंने संत जेवियर संस्था की जमीन का केस जीता था और पुलिस-प्रशासन की मदद से जमीन पर कब्जा किया था. उस समय अशरफ लंगड़ा जेल में था. जेल में रहते हुए उसने गिरोह तैयार की और वकील की हत्या की साजिश रची. इस घटना में गिरफ्तार सभी अपराधी जेल में ही कैद थे. सभी को 14 एकड़ जमीन में हिस्सा देने का वादा किया गया था. हत्याकांड का मुख्य आरोपी अशरफ लंगड़ा दस लाख के इनामी माओवादी महाराजा प्रमाणिक का शागिर्द है.

वकीलों की सुरक्षा की मांग

राज्य के वकील लगातार एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग कर रहे हैं. हाल के कुछ महीनों में धनबाद के सिविल कोर्ट के जज उत्तम आनंद की मॉर्निंग वॉक के दौरान हत्या कर दी गई. रांची सिविल कोर्ट के वकील मनोज झा की गोली मारकर हत्या, वकील वीरेंद्र सिंह की सिल्ली में हत्या, महिला वकील आरती देवी के बेटे की बरियातू में हत्या, कांके के वकील राम प्रवेश सिंह की हत्या और जमशेदपुर के वकील प्रकाश यादव की हत्या जैसे कई उदाहरण डराने के लिए काफी हैं. इसके अलावा आएदिन वकीलों के साथ मारपीट और धमकाने की घटना हो रही हैं.

झारखंड स्टेट बार काउंसिल के सदस्य चाहते हैं कि वकीलों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने से पहले झारखंड राज्य विधिक परिषद से जांच कराई जाए. इस जांच से पता चलेगा कि वकील पर किसी प्रकार की ड्यूटी ऑफ डिस्चार्ज में दबाव तो नहीं बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ऑफिशियल काम करने में अगर कोई गलती होती है, तो उसके लिए भी जांच कराई जाए. किसी वकील को किसी मुद्दे पर काम करने के दौरान धमकी मिलती है, तो राज्य सरकार सुरक्षा प्रदान करें. एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट इन बिंदुओं पर प्रावधान की जरूरत है.

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