रांचीः राजधानी रांची की ह्र्दयस्थली में जिस तालाब को ब्रिटिश काल में पठारी क्षेत्र में वाटर रिचार्ज के लिए सन 1842 में बनवाया था, आज वह बदहाल है. पूर्व की सरकारों की ओर से जितनी बार सौंदर्यीकरण के नाम पर योजनाएं बनाई गईं, हर बार तालाब की शक्ल और सूरत बदलने की जगह बिगड़ती चली गयी.
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कभी बड़ा तालाब के नाम से जाना और पहचाने जाना वाला रांची झील आज सिकुड़ चुका है. दो नेचुरल द्वीप को खुद में समेटे 52 एकड़ में फैले तालाब में आज स्थिति यह है कि बिना ट्रीटमेंट के नाले का गंदा पानी गिरता है, तो दूसरी ओर शहर का कचड़ा तालाब में फेंक देने से रांची लेकर आज सीमित हो गया है.
रघुवर सरकार ने तालाब के बीच में लगाई स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा
पूर्व की रघुवर दास की सरकार ने तालाब के बीच के दो द्वीप में से एक पर स्वामी विवेकानंद की विशाल मूर्ति लगवाई थी. इस तालाब के चारो ओर फुटपाथ बनाने की योजना शुरू की थी जो आज आधा अधूरा पड़ा है.
नाले के पानी से तालाब प्रदूषित
बड़ा तालाब के जीर्णोद्धार और साफ सफाई के लिए कई बार आंदोलन कर चुके राजीव रंजन मिश्रा कहते हैं कि इस तालाब का पानी पूरी तरह प्रदूषित हो गया है. जिसके चलते आसपास के कुआं और जलस्रोतों पर भी इसका असर पड़ा है. पर्यावरणविद डॉ. नितीश प्रियदर्शी इस तालाब को लेकर कहते हैं कि अब इस तालाब के पानी में ऑक्सीजन ना के बराबर है.
तालाब का ऐतिहासिक महत्व
डॉ. नितिश प्रियदर्शी ने ईटीवी भारत को बताया कि इस तालाब का ना सिर्फ पर्यावरण और इकोलॉजिकल महत्व है बल्कि पठारी क्षेत्र में अंग्रेजों के शासनकाल में वाटर रिचार्ज के लिए बनाए गए इस तालाब का ऐतिहासिक महत्व यह है. यह तालाब कैदियों के द्वारा बनाया गया है और इस तालाब के साथ पहाड़ी मंदिर का दृश्य विहंगम होता है.
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बड़ा तालाब के सौंदर्यीकरण पर हुए खर्च पर श्वेत पत्र जारी करे सरकार
सरकार में शामिल राजद और वामदलों ने इस तालाब की दुर्दशा के लिए रांची नगर निगम के साथ-साथ अबतक की सरकारों की गलत नीतियों को जिम्मेदार बताते हुए आरोप लगाया कि यह कमाई का सफेद हाथी बनकर रह गया है. इसलिए वर्तमान सरकार अब तक हुए खर्च का ब्यौरा जारी करे.
कोर्ट के आदेश के बावजूद बिना ट्रीटमेंट के तालाब में हर दिन गिराया जा रहा है नालों का पानी
बड़ा तालाब को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में दायर किए गए PIL की सुनवाई के दौरान तालाब में नाले की पानी नहीं गिराने का आदेश दिया था. बावजूद इसके आज भी हर दिन हजारों लीटर गंदा पानी रांची लेकर गिराया जा रहा है. जिससे बड़ा तालाब प्रदूषित हो रहा है.
कभी आते थे साइबेरियन क्रेन
पर्यावरणविद डॉ. नितिश प्रियदर्शी कहते है कि एक समय में इस तालाब और आसपास के मौसम को देख विदेशी पक्षी यहां आते थे, पर प्रदूषण के चलते उसकी संख्या कम हो गयी है. इसे पर्यावरण को रहे नुकसान से भी जोड़कर देखा जा सकता है.