रांची: प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी 2019 में होने वाले विधानसभा चुनावों में मौजूदा मुख्यमंत्री रघुवर दास के चेहरे पर दांव खेलने का मन बना रही है. पार्टी सूत्रों की मानें तो पहली बार बहुमत की सरकार बनाने और अपना कार्यकाल पूरा करने वाले रघुवर दास बीजेपी के आला नेताओं की पहली पसंद है. यही वजह है कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के मुखिया अमित शाह का कई बार झारखंड दौरा हुआ है.
5 बार विधायक रह चुके हैं रघुवर
पार्टी सूत्रों का दावा है कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार का कोई भी दाग नहीं लगा है, जिस वजह से मुख्यमंत्री रघुवर दास का 2019 के विधानसभा चुनाव में सीएम कैंडिडेट होना गलत नहीं होगा. जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट से 5 बार विधायक रह चुके दास ने मजदूर नेता के रूप में संघर्ष शुरू किया और राजनीति के इस पायदान पर पहुंचे. प्रदेश में वह बीजेपी की दो बार कमान भी संभाल चुके हैं. इसके साथ ही पूर्ववर्ती सरकारों में मंत्री भी रहे हैं.
सीएम के नाम पर बीजेपी नेता की राय
पार्टी के प्रदेश महामंत्री दीपक प्रकाश कहते हैं कि विकास का जो पैमाना मुख्यमंत्री ने खड़ा किया है वह अपने आप में एक रिकॉर्ड है. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को धरातल पर उतारना मौजूदा सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि रही है. इसके साथ ही पूर्ववर्ती विपक्षी दलों के नेतृत्व वाली सरकार के ऊपर करप्शन के कई दाग लगे हैं. इतना ही नहीं राजनीतिक अस्थिरता प्रदेश के ऊपर सबसे बड़ा अभिशाप रहा, जबकि मौजूदा सरकार में दोनों चीजें देखने को नहीं मिली.
वहीं पार्टी के मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक ने कहा कि विधानसभा चुनाव में चेहरा तय करना पार्टी नेतृत्व का काम है, लेकिन मौजूदा मुख्यमंत्री ने कई उल्लेखनीय काम किए हैं जिसकी वजह से सरकार और संगठन बेहतर समन्वय बना और झारखंड को स्थायित्व मिला है.
क्या कहता है विपक्ष?
सीएम को फिर से मौका देने पर कांग्रेस ने बीजेपी को आड़े हाथों लिया है. झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी की प्रवक्ता आभा सिंह ने कहा कि खुद सीएम के विधानसभा इलाके की स्थिति खराब है. इसके साथ ही राज्य का युवा सुसाइड कर रहा है. वहीं इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर भी सरकार बहुत कुछ नहीं कर पा रही है. उन्होंने कहा कि भले ही बीजेपी ने 65 प्लस सीट लाने का लक्ष्य रखी है, लेकिन इसबार 20 सीट भी आ जाए तो बहुत है.
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मुद्दे जो सरकार पर पड़ेंगे भारी
- राज्य सरकार के ऊपर किसी तरह के भ्रष्टाचार का आरोप अभी तक साबित नहीं हुआ है, लेकिन कंबल घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री रघुवर दास की किरकिरी हुई.
- गोड्डा जिले में अडानी समूह के पावर प्रोजेक्ट से उत्पादित बिजली के टैरिफ में कमी को लेकर भी सरकार की काफी आलोचना हुई.
- मोमेंटम झारखंड को लेकर निशाने पर रही सरकार. ग्राउंड ब्रेकिंग और उद्योग स्थापना को लेकर उठते रहे हैं सवाल.
- रोजगार के नाम पर लगाया गया मेला भी सरकार के लिए चुनौती रहा.
- किसानों की आत्महत्या एक बड़ा मुद्दा बन कर उभरा.
- सीएनटी और एसपीटी एक्ट में संशोधन को लेकर घिरी है सरकार.
- स्थानीयता नीति को लेकर विपक्ष और सहयोगी आजसू पार्टी उठता रहा है सवाल.