रांची: झारखंड राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश नेतृत्व को बदलने को लेकर आवाज उठने लगी है. राष्ट्रीय जनता दल पार्टी के पुराने पदाधिकारियों ने प्रदेश अध्यक्ष अभय कुमार सिंह से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. विधानसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त संगठनात्मक कमजोरी और पार्टी के अंदर खत्म हो रहे लोकतंत्र को आधार बनाते हुए प्रदेश अध्यक्ष अभय कुमार सिंह को केंद्रीय नेतृत्व से बदलने की मांग की जा रही है.
छह सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा था
विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल को सीट शेयरिंग में सात सीटों पर चुनाव लड़ने को मिले थे, जिस पर राष्ट्रीय जनता दल को छह सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा. चुनाव परिणाम आने के एक महीने बाद भी पार्टी की ओर से हार के कारणों की समीक्षा नहीं की गई. लिहाजा इसको लेकर अब सवाल उठने लगे हैं. पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेंद्र प्रसाद ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अभय कुमार सिंह से सीधे स्थिति की मांग की है.
ये भी पढ़ें- छात्राओं ने दिखाया दम, स्नैचर को धर दबोचा, जमकर हुई बीच सड़क धुनाई
'पार्टी में पूरी तरह से लोकतंत्र खत्म'
सुरेंद्र प्रसाद ने प्रदेश अध्यक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी को मात्र 3 लोग चला रहे हैं, जिसके कारण पार्टी में पूरी तरह से लोकतंत्र खत्म हो गया है. उन्होंने कहा कि झारखंड प्रदेश का विस्तार के समय तमाम लोगों को पद दिए गए, लेकिन किसी भी तरह का कोई भी राय मशवरा पार्टी के अन्य पदाधिकारियों से नहीं ली जाती है. यही कारण है झारखंड विधानसभा में 7 सीट में सिर्फ एक सीट पर ही जीत हासिल हुई.
प्रदेश अध्यक्ष फिलहाल झारखंड से बाहर हैं
वहीं, प्रदेश नेतृत्व के बदलने को लेकर उठ रहे मांग को लेकर आरजेडी झारखंड प्रदेश अध्यक्ष अभय कुमार सिंह से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. वह झारखंड से बाहर हैं, झारखंड आने के बाद इन बातों का जवाब दे पाएंगे.
ये भी पढ़ें- बजट को लेकर मजदूरों को उम्मीदें, कहा- महंगाई पर अंकुश लगाई जाए
अब अभय कुमार सिंह पर भी उठने लगे हैं सवाल
बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान राष्ट्रीय जनता दल की हार के बाद पार्टी के अंदर तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष गौतम सागर राणा के खिलाफ इसी तरह के आरोप लगाए जाने के बाद राष्ट्रीय जनता दल केंद्रीय नेतृत्व के ने गौतम सागर राणा को हटा दिया था. वहीं उनकी जगह अभय कुमार सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. लेकिन एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं.