ETV Bharat / city

मोरहाबादी मैदान पहुंचा सहायक पुलिसकर्मियों का जत्था, सुरक्षा घेराबंदी को दिया चकमा

author img

By

Published : Sep 27, 2021, 7:52 AM IST

Updated : Sep 27, 2021, 8:02 AM IST

संविदा पर बहाल सहायक पुलिसकर्मियों का जत्था रांची के मोरहाबादी मैदान में पहुंचने लगा है. 12 नक्सल प्रभावित जिलों के 2,500 सहायक पुलिसकर्मी मानदेय में वृद्धि (स्थायीकरण की भी मांग ), संविदा अवधि में विस्तार के साथ गृह जिला में सेवा और पुलिस बहाली में प्राथमिकता देने की मांग कर रहे हैं.

protest-of-assistant-policeman-in-ranchi
मोरहाबादी मैदान पहुंचा सहायक पुलिसकर्मियों का जत्था

रांचीः संविदा पर बहाल सहायक पुलिसकर्मियों का जत्था मोरहाबादी मैदान पहुंचने लगा है. वर्दी पहनकर पूरी तैयारी के साथ जुट रहे हैं सहायक पुलिसकर्मी. सभी के हाथों में बैग भी है. इससे स्पष्ट है कि लंबी लड़ाई लड़ने की तैयारी है. फिलहाल मोरहाबादी मैदान क्षेत्र में विधि व्यवस्था को लेकर बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है. सबसे खास बात है कि सहायक पुलिसकर्मियों को मोरहाबादी मैदान में जुटान से रोकने के लिए प्रशासन की तरफ से पूरी तैयारी की गई थी लेकिन तैयारी धरी की धरी रह गई.

ये भी पढ़ेंः सहायक पुलिसकर्मी फिर हुए गोलबंद, सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप, 27 सितंबर से आंदोलन का ऐलान

ईटीवी भारत में सबसे पहले यह खबर चलाया था कि12 नक्सल प्रभावित जिलों में संविदा के आधार बहाल 2,500 सहायक पुलिसककर्मी अपनी मांगों को लेकर फिर से आंदोलन शुरू करने वाले हैं. अभी तक की जानकारी के मुताबिक सहायक पुलिसकर्मियों को समझा-बुझाकर मोरहाबादी मैदान से हटाने की कोशिश चल रही है.

क्या है पूरा मामला

तत्कालीन रघुवर सरकार के कार्यकाल में 12 नक्सल प्रभावित जिलों के 2,500 युवक-युवतियों को तीन साल की संविदा पर गृह जिला में सेवा देने के लिए रखा गया था. पिछले साल संविदा अवधि खत्म होने पर नौकरी से निकाले जाने की प्रक्रिया के खिलाफ आंदोलन हुआ था. इसके बाद एक साल के लिए संविदा बढ़ा दी गई थी. इसी बीच 2022 तक संविदा बढ़ा दी गई है. लेकिन अब तक मानदेय में किसी तरह का कोई इजाफा नहीं हुआ है. ऊपर से गृह जिला से हटाकर दूसरे जिलों में सेवा ली जा रही है. महंगाई इतनी बढ़ गई है कि दस हजार रुपये में परिवार को पालना मुश्किल हो रहा है.

सहायक पुलिसकर्मियों का कहना है कि जब तक मानदेय में वृद्धि (स्थायीकरण की भी मांग ) और संविदा अवधि में विस्तार के साथ गृहजिला में सेवा और पुलिस बहाली में प्राथमिकता का भरोसा नहीं दिया जाता, तब तक आंदोलन चलेगा. आपको बता दें कि पिछले साल 12 सितंबर को 2500 सहायक पुलिसकर्मियों ने मोरहाबादी मैदान में डेरा डंडा डाल दिया था. महिलाएं अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर आंदोलन में शामिल हुईं थी. 18 सितंबर को बैरिकेडिंग किए जाने पर सहायक पुलिसकर्मी उग्र हो गए थे. बैरिकेडिंग को तोड़ दिया गया था. फिर पुलिस लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े थे. इस झड़प में कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे. अब फिर से आंदोलन की घोषणा हुई है. अब देखना है कि प्रशासन और सिस्टम इस मामले को किस तरह हैंडल करता है. पिछले साल 12 सितंबर 2020 से 23 सितंबर 2020 तक मोरहाबादी मैदान में आंदोलन चला था.

रांचीः संविदा पर बहाल सहायक पुलिसकर्मियों का जत्था मोरहाबादी मैदान पहुंचने लगा है. वर्दी पहनकर पूरी तैयारी के साथ जुट रहे हैं सहायक पुलिसकर्मी. सभी के हाथों में बैग भी है. इससे स्पष्ट है कि लंबी लड़ाई लड़ने की तैयारी है. फिलहाल मोरहाबादी मैदान क्षेत्र में विधि व्यवस्था को लेकर बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है. सबसे खास बात है कि सहायक पुलिसकर्मियों को मोरहाबादी मैदान में जुटान से रोकने के लिए प्रशासन की तरफ से पूरी तैयारी की गई थी लेकिन तैयारी धरी की धरी रह गई.

ये भी पढ़ेंः सहायक पुलिसकर्मी फिर हुए गोलबंद, सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप, 27 सितंबर से आंदोलन का ऐलान

ईटीवी भारत में सबसे पहले यह खबर चलाया था कि12 नक्सल प्रभावित जिलों में संविदा के आधार बहाल 2,500 सहायक पुलिसककर्मी अपनी मांगों को लेकर फिर से आंदोलन शुरू करने वाले हैं. अभी तक की जानकारी के मुताबिक सहायक पुलिसकर्मियों को समझा-बुझाकर मोरहाबादी मैदान से हटाने की कोशिश चल रही है.

क्या है पूरा मामला

तत्कालीन रघुवर सरकार के कार्यकाल में 12 नक्सल प्रभावित जिलों के 2,500 युवक-युवतियों को तीन साल की संविदा पर गृह जिला में सेवा देने के लिए रखा गया था. पिछले साल संविदा अवधि खत्म होने पर नौकरी से निकाले जाने की प्रक्रिया के खिलाफ आंदोलन हुआ था. इसके बाद एक साल के लिए संविदा बढ़ा दी गई थी. इसी बीच 2022 तक संविदा बढ़ा दी गई है. लेकिन अब तक मानदेय में किसी तरह का कोई इजाफा नहीं हुआ है. ऊपर से गृह जिला से हटाकर दूसरे जिलों में सेवा ली जा रही है. महंगाई इतनी बढ़ गई है कि दस हजार रुपये में परिवार को पालना मुश्किल हो रहा है.

सहायक पुलिसकर्मियों का कहना है कि जब तक मानदेय में वृद्धि (स्थायीकरण की भी मांग ) और संविदा अवधि में विस्तार के साथ गृहजिला में सेवा और पुलिस बहाली में प्राथमिकता का भरोसा नहीं दिया जाता, तब तक आंदोलन चलेगा. आपको बता दें कि पिछले साल 12 सितंबर को 2500 सहायक पुलिसकर्मियों ने मोरहाबादी मैदान में डेरा डंडा डाल दिया था. महिलाएं अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर आंदोलन में शामिल हुईं थी. 18 सितंबर को बैरिकेडिंग किए जाने पर सहायक पुलिसकर्मी उग्र हो गए थे. बैरिकेडिंग को तोड़ दिया गया था. फिर पुलिस लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े थे. इस झड़प में कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे. अब फिर से आंदोलन की घोषणा हुई है. अब देखना है कि प्रशासन और सिस्टम इस मामले को किस तरह हैंडल करता है. पिछले साल 12 सितंबर 2020 से 23 सितंबर 2020 तक मोरहाबादी मैदान में आंदोलन चला था.

Last Updated : Sep 27, 2021, 8:02 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.