रांची: झारखंड में प्रस्तावित मेडिकल प्रोटेक्शन बिल का विरोध शुरू हो गया है. इस बिल को जनविरोधी बताते हुए जन स्वास्थ्य अभियान मोर्चा ने 23 अगस्त को बिल की प्रतियां जलाने का फैसला किया है.
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स्वास्थ्य मंत्री के बयान के बाद विरोध के स्वर तेज
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के मेडिकल प्रोटेक्शन बिल को स्वीकृति दिए जाने की घोषणा का जन स्वास्थ्य अभियान संघर्ष मोर्चा ने कड़ा विरोध किया है. महेंद्र सिंह भवन में आपात बैठक कर इस बिल के विरोध में आंदोलन की रूपरेखा पर चर्चा की गई. मोर्चा के नेताओं ने कहा कि सरकार स्वास्थ्य माफियाओं के फायदे के लिए नीतियां बना रही है. सरकार को मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट की जगह जनस्वास्थ्य नीति लाने की पहल करनी चाहिए.
कॉर्पोरेट लूट को संरक्षित करना चाहती है सरकार
जन स्वास्थ्य अभियान मोर्चा ने सरकार पर चिकित्सकों की सुरक्षा कानून की आड़ में निजी अस्पतालों की लूट को संरक्षित करने का आरोप लगाया है. मोर्चा ने सरकार से राज्य की जनता के लिए जनस्वास्थ्य की नीति बनाने और इस बिल को रद्द करने की मांग की है. जन स्वास्थ्य अभियान मोर्चा पक्ष विपक्ष के विधायकों से मिलकर भी इस बिल को रद्द कराने की मांग करेगा. बता दें कि मेडिकल प्रोटेक्शन बिल के विरोध में आयोजित बैठक में जनस्वास्थ्य अभियान संघर्ष मोर्चा के नदीम खान,आलोका कुजूर, भुवनेश्वर केवट, सुशांतो मुखर्जी, अखिलेश राज,आकाश रंजन मौजूद थे.
डॉक्टर समुदाय भी खुश नहीं
प्रस्तावित मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को लेकर जहां आम लोग और जन स्वास्थ्य अभियान मोर्चा विरोध में है तो डॉक्टरों में भी इसको लेकर अलग-अलग राय है. कई डॉक्टर प्रस्तावित नए मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट में कई प्रावधानों को जोड़ने, सजा और आर्थिक दंड का प्रावधान कम करने को ठीक नहीं मान रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि इससे यह कानून दंतविहीन हो गया है.
मेडिकल प्रोटेक्शन बिल को विभाग की मंजूरी
बता दें कि झारखंड में डॉक्टर्स की सुरक्षा से जुड़े एक्ट मेडिकल प्रोटेक्शन बिल ( Medical Protection Bill) को स्वास्थ्य विभाग से मंजूरी के बाद अब यह कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. संभावना है कि मानसून सत्र के दौरान मेडिकल प्रोटेक्शन बिल को विधानसभा के पटल पर रखा जाए. विधानसभा की मंजूरी मिलने के बाद राज्यपाल की स्वीकृति और नोटिफिकेशन के बाद एक्ट को लागू करा दिया जाएगा.