रांची: कोरोना काल में राजधानी रांची के निजी अस्पताल मरीजों से 'लूट' में मशगूल हैं. अभी रांची के हेल्थ पॉइंट अस्पताल में 87 हजार रुपये के लिए एक मरीज के शव को 15 घंटे तक रोके जाने को अधिक समय नहीं हुआ कि अब रातू रोड चौक के प्रॉमिस हेल्थ केयर हॉस्पिटल ने आठ दिन के इलाज के बदले 2.77 लाख के बिल की वसूली के लिए शव को दस घंटे तक रोके रखा. जबकि शासन ने इलाज के लिए फीस तय की है और शव न रोकने के निर्देश दिए हैं.
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जिला प्रशासन से की गई शिकायत
ज्यादा फीस वसूलने की शिकायत जिला प्रशासन से की गई. इसके बाद सदर एसडीओ उत्कर्ष गुप्ता ने इस मामले में 1 लाख रुपये फीस कम कराई और भुगतान के बाद शव परिजनों को अस्पताल प्रबंधन की ओर से सौंप दिया गया. इस मामले पर अस्पताल की मैनेजर वर्षा रजनी ने बताया कि मरीज गंभीर अवस्था में भर्ती किया गया था. वेंटिलेटर पर रखकर इलाज किया जा रहा था. इस वजह से ज्यादा बिल बना, लेकिन बंधक बनाए जाने का आरोप पूरी तरह से गलत है.
यह था मामला
दरअसल, बुढ़मू प्रखंड के बड़कामूरु निवासी अक्षेश्वर सिंह के 8 दिनों के इलाज का बिल 2.77 लाख रुपये बनाया गया था. वहीं, मंगलवार को मरीज की मौत हो गई. इसके बाद अस्पताल प्रबंधन की ओर से पूरा बिल भुगतान करने को कहा गया. बिल भुगतान नहीं किए जाने की वजह से 10 घंटे तक शव परिजनों को नहीं दिया गया. मामले की जानकारी मिलने पर जिला प्रशासन की ओर से कार्रवाई की गई और फीस कम कराई गई.
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ये अस्पताल भी कम नहीं
वहीं, सिटी ट्रस्ट हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर पर अधिक बिल लेने का आरोप लगा है, जिसकी शिकायत ट्वीट कर मुख्यमंत्री से की गई है. इसमें कहा गया है कि महज 48 घंटे में 50 हजार का बिल थमाया गया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रांची डीसी को जांच करने का निर्देश दिए हैं. इस शिकायत पर कार्रवाई के दबाव के बाद अस्पताल ने मरीज के परिजनों को 20 हजार रुपये की राशि वापस कर दी है. वहीं, जिला प्रशासन ने चेतावनी दी है कि दोबारा अधिक बिल लेने की शिकायत मिलेगी, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी.