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रांची में आरटीई कानून की उड़ रही धज्जियां, गरीब बच्चों के नामांकन में निजी स्कूल कर रहे हैं आनाकानी

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Published : Sep 24, 2021, 4:45 PM IST

Updated : Sep 24, 2021, 5:18 PM IST

रांची में आरटीई कानून की धज्जियां उड़ रही है. एसोसिएशन फॉर परिवर्तन ऑफ नेशन (Association for Transformation of Nation) ने साल 2018- 19 के शिक्षा का अधिकार को लेकर एक रिपोर्ट जारी किया है. जिसमें सत्र 2018 -19 में शिक्षा का अधिकार के तहत 70 प्रतिशत से अधिक सीट अभी भी रिक्त है. इस सत्र में भी लगभग 70 प्रतिशत से अधिक सीट खाली है.

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रांची: शिक्षा का अधिकार कानून सख्ती से लागू होने के बावजूद राजधानी रांची में बीपीएल कैटेगरी के गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिला शत प्रतिशत नहीं मिल पा रहा है. रांची में आरटीई कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है. एसोसिएशन फॉर परिवर्तन ऑफ नेशन (Association for Transformation of Nation) ने साल 2018- 19 के शिक्षा का अधिकार को लेकर एक रिपोर्ट जारी किया है.

इसे भी पढे़ं: ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क और गरीबी बनी बाधक, 26 फीसदी बच्चों को ही मिली ऑनलाइन शिक्षा

एसोसिएशन फॉर परिवर्तन ऑफ नेशन की रिपोर्ट के अनुसार सत्र 2018 -19 में शिक्षा का अधिकार के तहत 70 प्रतिशत से अधिक अभी भी सीटें रिक्त हैं. इस सत्र में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है. मामले को लेकर संबंधित अधिकारी जांच की बात कह रहे हैं.

देखें पूरी खबर

रांची में 180 बच्चों का निजी स्कूलों में हुआ नामांकन

एक रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी रांची में मात्र 181 बच्चों को ही शिक्षा का अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों में एडमिशन लिया गया है. इस कानून के तहत स्कूलों में किए गए आवेदन में से 90 फीसदी आवेदन को विभिन्न कारण बताकर निजी स्कूलों की ओर से रिजेक्ट कर दिया गया है. यह आंकड़ा साल 2018 -19 का है. साल 2019-21 में भी विद्यार्थियों का नामांकन विभिन्न निजी स्कूलों में नहीं हो पाया है.

रांची के स्कूलों में 75 प्रतिशत सीट खाली

जानकारी के मुताबिक साल 2019-21 में अब तक 35 फीसदी सीटों पर ही गरीब बच्चों का नामांकन हो पाया है. इस चालू सत्र में भी विभिन्न कारण बताकर सैकड़ों आवेदन रिजेक्ट कर दिए गए हैं. इस वजह से राजधानी रांची के 74 प्रतिशत सीटें खाली रह गई है. शिक्षा का अधिकार कानून के तहत सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में 25 फीसदी सीटें गरीब बच्चों के लिए आरक्षित होती है. इसके बावजूद इन सीटों पर निजी स्कूल प्रबंधन गरीब बच्चों का नामांकन करने में आनाकानी करते हैं. इसी वजह से बीपीएल कैटेगरी के बच्चे शिक्षा से वंचित रह जा रहे हैं.


इसे भी पढे़ं: Corona Effect: कोरोना ने छीना मां-बाप का साया, प्राइवेट स्कूलों ने बढ़ाये हाथ



25 फीसदी सीटों पर नामांकन लेना अनिवार्य


शिक्षा का अधिकार कानून के तहत गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाती है. इस नियम के तहत 6 से 14 साल के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देना अनिवार्य है. मामले को लेकर दक्षिणी छोटानागपुर के शिक्षा उपनिदेशक अरविंद विजय बिलुंग से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि सभी निजी स्कूलों को अपने-अपने 25 फीसदी सीटों पर नामांकन लेने के लिए हिदायत दी गई थी. इसके बाद उपायुक्त स्तर पर इसकी जांच भी हो रही है. पूरी रिपोर्ट अब तक विभाग को नहीं मिली है. उपायुक्त स्तर पर रिपोर्ट में अगर स्कूलों की ओर से आनाकानी की गई है तो उन पर कार्रवाई भी होगी.

रांची: शिक्षा का अधिकार कानून सख्ती से लागू होने के बावजूद राजधानी रांची में बीपीएल कैटेगरी के गरीब बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिला शत प्रतिशत नहीं मिल पा रहा है. रांची में आरटीई कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है. एसोसिएशन फॉर परिवर्तन ऑफ नेशन (Association for Transformation of Nation) ने साल 2018- 19 के शिक्षा का अधिकार को लेकर एक रिपोर्ट जारी किया है.

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एसोसिएशन फॉर परिवर्तन ऑफ नेशन की रिपोर्ट के अनुसार सत्र 2018 -19 में शिक्षा का अधिकार के तहत 70 प्रतिशत से अधिक अभी भी सीटें रिक्त हैं. इस सत्र में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है. मामले को लेकर संबंधित अधिकारी जांच की बात कह रहे हैं.

देखें पूरी खबर

रांची में 180 बच्चों का निजी स्कूलों में हुआ नामांकन

एक रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी रांची में मात्र 181 बच्चों को ही शिक्षा का अधिकार कानून के तहत निजी स्कूलों में एडमिशन लिया गया है. इस कानून के तहत स्कूलों में किए गए आवेदन में से 90 फीसदी आवेदन को विभिन्न कारण बताकर निजी स्कूलों की ओर से रिजेक्ट कर दिया गया है. यह आंकड़ा साल 2018 -19 का है. साल 2019-21 में भी विद्यार्थियों का नामांकन विभिन्न निजी स्कूलों में नहीं हो पाया है.

रांची के स्कूलों में 75 प्रतिशत सीट खाली

जानकारी के मुताबिक साल 2019-21 में अब तक 35 फीसदी सीटों पर ही गरीब बच्चों का नामांकन हो पाया है. इस चालू सत्र में भी विभिन्न कारण बताकर सैकड़ों आवेदन रिजेक्ट कर दिए गए हैं. इस वजह से राजधानी रांची के 74 प्रतिशत सीटें खाली रह गई है. शिक्षा का अधिकार कानून के तहत सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में 25 फीसदी सीटें गरीब बच्चों के लिए आरक्षित होती है. इसके बावजूद इन सीटों पर निजी स्कूल प्रबंधन गरीब बच्चों का नामांकन करने में आनाकानी करते हैं. इसी वजह से बीपीएल कैटेगरी के बच्चे शिक्षा से वंचित रह जा रहे हैं.


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25 फीसदी सीटों पर नामांकन लेना अनिवार्य


शिक्षा का अधिकार कानून के तहत गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाती है. इस नियम के तहत 6 से 14 साल के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देना अनिवार्य है. मामले को लेकर दक्षिणी छोटानागपुर के शिक्षा उपनिदेशक अरविंद विजय बिलुंग से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि सभी निजी स्कूलों को अपने-अपने 25 फीसदी सीटों पर नामांकन लेने के लिए हिदायत दी गई थी. इसके बाद उपायुक्त स्तर पर इसकी जांच भी हो रही है. पूरी रिपोर्ट अब तक विभाग को नहीं मिली है. उपायुक्त स्तर पर रिपोर्ट में अगर स्कूलों की ओर से आनाकानी की गई है तो उन पर कार्रवाई भी होगी.

Last Updated : Sep 24, 2021, 5:18 PM IST
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