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घंटी आधारित संविदा सहायक प्रधानाध्यापकों की रघुवर सरकार को चेतावनी, कहा- मानदेय निर्धारित नहीं किया तो होगी भूख हड़ताल

सूबे के विश्वविद्यालय और अंगीभूत महाविद्यालय में कार्यरत घंटी आधारित सहायक प्रधानाध्यापकों ने रघुवर सरकार को चेताया है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वह भूख हड़ताल पर बैठेंगे.

प्रधानाध्यापकों की रघुवर सरकार को चेतावनी
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Published : Oct 16, 2019, 9:34 PM IST

रांची: झारखंड के विश्वविद्यालय और अंगीभूत महाविद्यालय में कार्यरत घंटी आधारित सहायक प्रधानाध्यापकों ने कहा कि स्थाई शिक्षकों के समान ही हम लोगों से काम लिया जाता है. इसके बावजूद हमारा मानदेय घंटी आधारित है. हमारा वर्क लोड तो स्थानीय शिक्षकों के समान है, लेकिन हमारा वेतन घंटी पर आधारित है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

इसके साथ ही सीबीसीएस पाठ्यक्रम के तहत अधिकांश समय परीक्षा आयोजित होना और विश्वविद्यालय के ग्रीष्मकालीन, दुर्गा पूजा से छठ पूजा का अवकाश शरदकालीन अवकाश और दूसरे अवकाश में मानदेय नहीं मिलता है. घंटी आधारित होने के कारण मासिक मानदेय में भारी असमानता होती है. प्रदेश संरक्षक डॉ संजय कुमार झा ने बताया कि अपनी समस्याओं से उन्होंने मुख्यमंत्री, कुलपति और शिक्षा मंत्री तक को अवगत कराया है, लेकिन आज तक हमारा निश्चित मानसिक मानदेय निर्धारित नहीं हो सका.

ये भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव 2019: 17 अक्टूबर से चुनाव आयोग की 5 सदस्यीय टीम का 2 दिवसीय दौरा, राजनैतिक दलों से होगी मीटिंग

प्रदेश संरक्षक डॉ संजय कुमार झा ने कहा कि अगर राज्य सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है, तो सभी विश्वविद्यालयों और अंगीभूत महाविद्यालयों में कार्यरत घंटी आधारित संविदा सहायक प्रधानाध्यापक राजभवन के सामने 18 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेंगे.

रांची: झारखंड के विश्वविद्यालय और अंगीभूत महाविद्यालय में कार्यरत घंटी आधारित सहायक प्रधानाध्यापकों ने कहा कि स्थाई शिक्षकों के समान ही हम लोगों से काम लिया जाता है. इसके बावजूद हमारा मानदेय घंटी आधारित है. हमारा वर्क लोड तो स्थानीय शिक्षकों के समान है, लेकिन हमारा वेतन घंटी पर आधारित है.

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इसके साथ ही सीबीसीएस पाठ्यक्रम के तहत अधिकांश समय परीक्षा आयोजित होना और विश्वविद्यालय के ग्रीष्मकालीन, दुर्गा पूजा से छठ पूजा का अवकाश शरदकालीन अवकाश और दूसरे अवकाश में मानदेय नहीं मिलता है. घंटी आधारित होने के कारण मासिक मानदेय में भारी असमानता होती है. प्रदेश संरक्षक डॉ संजय कुमार झा ने बताया कि अपनी समस्याओं से उन्होंने मुख्यमंत्री, कुलपति और शिक्षा मंत्री तक को अवगत कराया है, लेकिन आज तक हमारा निश्चित मानसिक मानदेय निर्धारित नहीं हो सका.

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प्रदेश संरक्षक डॉ संजय कुमार झा ने कहा कि अगर राज्य सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है, तो सभी विश्वविद्यालयों और अंगीभूत महाविद्यालयों में कार्यरत घंटी आधारित संविदा सहायक प्रधानाध्यापक राजभवन के सामने 18 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेंगे.

Intro:रांची

बाइट---प्रदेश संरक्षक डॉ संजय कुमार झा

झारखंड के सभी विश्वविद्यालय एवं अंगीभूत महाविद्यालयों में कार्यरत घंटी आधारित संविदा सहायक प्रधानाध्यापक कर रहे हैं यूजीसी नियम 2018 के तहत निश्चित मासिक मानदेय मांग। झारखंड राज्य के सभी महाविद्यालय एवं अंगीभूत महाविद्यालय में कार्यरत घंटी आधारित सहायक प्रधानाध्यापकों ने कहा कि स्थाई शिक्षकों के समान ही हम लोगों से काम लिया जाता है परंतु हमारे मानदेय घंटी आधारित है हमारा वर्क लोड तो स्थानीय शिक्षकों के समान है लेकिन हमारी बेतन घंटी पर आधारित है।


Body:साथी सीबीसीएस पाठ्यक्रम के तहत अधिकांश समय परीक्षा आयोजित होना तथा विश्वविद्यालय के गग्रीष्मकालीन,दुर्गा पूजा से छठ पूजा का अवकाश शरदकालीन अवकाश तथा अन्य अवकाश शो में मानदेय नहीं मिलता है। क्योंकि घंटी हरारत होने के कारण मासिक मानदेय में भारी असमानता होती है डॉक्टर झा ने बताया कि हमें अपनी समस्याओं से कुलपति मुख्यमंत्री शिक्षा मंत्री तक को अवगत कराया है परंतु आज तक हमारी निश्चित मानसिक मानदेय निर्धारित नहीं हो सकी है

प्रदेश संरक्षक डॉ संजय कुमार झा ने कहा कि अगर राज्य सरकार हमारी मांगे नहीं मानती है तो राज्य के सभी विश्वविद्यालयों एवं अंगी भूत महाविद्यालयों में कार्यरत घंटी आधारित संविदा सहायक प्रधानाध्यापक राजभवन के समक्ष 18 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेंगे


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