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विधानसभा चुनाव से पहले इस्तीफा दे रहे नेता और कार्यकर्ता, 'कमल' में शामिल होने की मची होड़ - Jharkhand assembly elections 2019

झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक सुगबुगाहट तेज होती नजर आ रही है. कई नेता और कार्यकर्ता कमल की सदस्यता ले रहे हैं. जिसकी तैयारी अभी से शुरु हो गई है.

बीजेपी की सदस्यता लेते नेता
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Published : Jul 27, 2019, 4:14 PM IST

रांची: प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों में सुगबुगाहट भले ही अभी शुरू नहीं हुई हो. लेकिन नेताओं के एक दल से दूसरे दल में जाने का सिलसिला तेज हो गया है. इस मामले में राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी 'गंगोत्री' साबित हो रही है. जहां दूसरे दलों के लिए लंबे समय तक काम करने वाले पार्टी के नेता और कार्यकर्ता अपना दल छोड़कर कमल का दामन थाम रहे हैं.

देखें पूरी खबर

बीजेपी में हो रही नेताओं की वापसी
दरअसल, विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों में चहल-पहल नजर आनी शुरु हो गई. इसे लेकर कई नेता और कार्यकर्ता कमल का साथ होते नजर आ रहे है. उनमें कुछ वैसे भी हैं जिन्होंने एक समय बीजेपी में लंबी पारी खेली और कथित रूप से मोहभंग होने के बाद दूसरे दल में चले गए. वैसे लोग भी बीजेपी में घर वापसी कर रहे हैं.

65 प्लस के दावे में एडजस्टमेंट को लेकर लग रहे हैं कयास
सारा माजरा विधानसभा चुनावों का है, जिसमें बीजेपी ने 65 प्लस का लक्ष्य रखा है. आंकड़ों को देखें तो मौजूदा 81 इलेक्टेड सदस्यों वाली झारखंड विधानसभा में 43 बीजेपी के विधायक हैं. ऐसे में 22 नई सीटों पर पार्टी उम्मीदवार उतारने के मूड में है. साथ ही सिटिंग विधायकों में से कुछ सीटों पर चेहरे बदलने की संभावनाएं भी जाहिर की जा रही है.
हालांकि दल बदलने का सिलसिला कोई नया नहीं है, लेकिन लोकसभा चुनाव में जिस तरह बीजेपी ने अपनी एक सीट पर राजद छोड़ कर आई अन्नपूर्णा देवी को मौका दिया और वह भी रिकॉर्ड मतों से जीती. इससे विधानसभा चुनाव के पहले अपना दल छोड़कर बीजेपी आने वाले वैसे कथित नेता काफी आशान्वित है.

एक दर्जन से अधिक नेताओं ने बदला दल
पिछले कुछ महीनों का रिकॉर्ड देखें तो 12 से अधिक वैसे नेता जो दूसरे दलों में थे, उन्होंने बीजेपी ज्वाइन किया. उनमें कुछ ऐसे भी हैं जो 'इलेक्टोरल पॉलिटिक्स' में पहले भी अपना भाग्य आजमा चुके हैं. उनमें पलामू के छतरपुर से प्रभात भुइयां, गढ़वा से गिरिनाथ सिंह, चतरा से जनार्दन पासवान के नाम प्रमुख हैं.

इसके अलावा अपने इलाके में मजबूत समझे जानेवाले बोरियों से सूर्या हांसदा, दुमका के शिकारीपाड़ा से परितोष सोरेन, बरहेट विधानसभा इलाके से रेणुका मुर्मू, डुमरी विधानसभा के प्रदीप साहू, हजारीबाग से एके मिश्रा गिरिडीह के गांडेय विधानसभा से दो बार विधायक रह चुके लक्ष्मण स्वर्णकार, चतरा के निवासी योगेंद्र प्रताप सिंह, झाविमो के पूर्व नेता मुन्ना मलिक समेत कई ऐसे नाम है, जिन्होंने बीजेपी की सदस्यता हाल में ली है.

ये भी पढ़ें- रांची के बैंककर्मी की दो दिनों से नहीं हो रही थी मां-बहन से बात, घर पहुंचा तो मिली दोनों की लाश

रांची में जॉइनिंग के बाद हो रहा है दिल्ली दौरा
बीजेपी के अंदरखाने से मिली जानकारी के अनुसार इनमें से कुछ ऐसे नेता है जिन्होंने अभी से रांची और दिल्ली एक करना शुरू कर दिया है. उनमें से कुछ ने तो अपने-अपने इलाकों में जमीन मजबूत करना भी शुरू कर दिया है. हालांकि बीजेपी इस मामले में मुखर होकर कुछ नहीं बोल रही, लेकिन सूत्रों की मानें तो पार्टी इस बार नए चेहरे को मौका देने के मूड में है. बावजूद इसके जिस रफ्तार से बीजेपी में अन्य दलों के नेताओं की जॉइनिंग हो रही है उस रफ्तार से आगामी विधानसभा चुनाव में उन्हें मौका मिलना आसान नहीं है.

रांची: प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों में सुगबुगाहट भले ही अभी शुरू नहीं हुई हो. लेकिन नेताओं के एक दल से दूसरे दल में जाने का सिलसिला तेज हो गया है. इस मामले में राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी 'गंगोत्री' साबित हो रही है. जहां दूसरे दलों के लिए लंबे समय तक काम करने वाले पार्टी के नेता और कार्यकर्ता अपना दल छोड़कर कमल का दामन थाम रहे हैं.

देखें पूरी खबर

बीजेपी में हो रही नेताओं की वापसी
दरअसल, विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों में चहल-पहल नजर आनी शुरु हो गई. इसे लेकर कई नेता और कार्यकर्ता कमल का साथ होते नजर आ रहे है. उनमें कुछ वैसे भी हैं जिन्होंने एक समय बीजेपी में लंबी पारी खेली और कथित रूप से मोहभंग होने के बाद दूसरे दल में चले गए. वैसे लोग भी बीजेपी में घर वापसी कर रहे हैं.

65 प्लस के दावे में एडजस्टमेंट को लेकर लग रहे हैं कयास
सारा माजरा विधानसभा चुनावों का है, जिसमें बीजेपी ने 65 प्लस का लक्ष्य रखा है. आंकड़ों को देखें तो मौजूदा 81 इलेक्टेड सदस्यों वाली झारखंड विधानसभा में 43 बीजेपी के विधायक हैं. ऐसे में 22 नई सीटों पर पार्टी उम्मीदवार उतारने के मूड में है. साथ ही सिटिंग विधायकों में से कुछ सीटों पर चेहरे बदलने की संभावनाएं भी जाहिर की जा रही है.
हालांकि दल बदलने का सिलसिला कोई नया नहीं है, लेकिन लोकसभा चुनाव में जिस तरह बीजेपी ने अपनी एक सीट पर राजद छोड़ कर आई अन्नपूर्णा देवी को मौका दिया और वह भी रिकॉर्ड मतों से जीती. इससे विधानसभा चुनाव के पहले अपना दल छोड़कर बीजेपी आने वाले वैसे कथित नेता काफी आशान्वित है.

एक दर्जन से अधिक नेताओं ने बदला दल
पिछले कुछ महीनों का रिकॉर्ड देखें तो 12 से अधिक वैसे नेता जो दूसरे दलों में थे, उन्होंने बीजेपी ज्वाइन किया. उनमें कुछ ऐसे भी हैं जो 'इलेक्टोरल पॉलिटिक्स' में पहले भी अपना भाग्य आजमा चुके हैं. उनमें पलामू के छतरपुर से प्रभात भुइयां, गढ़वा से गिरिनाथ सिंह, चतरा से जनार्दन पासवान के नाम प्रमुख हैं.

इसके अलावा अपने इलाके में मजबूत समझे जानेवाले बोरियों से सूर्या हांसदा, दुमका के शिकारीपाड़ा से परितोष सोरेन, बरहेट विधानसभा इलाके से रेणुका मुर्मू, डुमरी विधानसभा के प्रदीप साहू, हजारीबाग से एके मिश्रा गिरिडीह के गांडेय विधानसभा से दो बार विधायक रह चुके लक्ष्मण स्वर्णकार, चतरा के निवासी योगेंद्र प्रताप सिंह, झाविमो के पूर्व नेता मुन्ना मलिक समेत कई ऐसे नाम है, जिन्होंने बीजेपी की सदस्यता हाल में ली है.

ये भी पढ़ें- रांची के बैंककर्मी की दो दिनों से नहीं हो रही थी मां-बहन से बात, घर पहुंचा तो मिली दोनों की लाश

रांची में जॉइनिंग के बाद हो रहा है दिल्ली दौरा
बीजेपी के अंदरखाने से मिली जानकारी के अनुसार इनमें से कुछ ऐसे नेता है जिन्होंने अभी से रांची और दिल्ली एक करना शुरू कर दिया है. उनमें से कुछ ने तो अपने-अपने इलाकों में जमीन मजबूत करना भी शुरू कर दिया है. हालांकि बीजेपी इस मामले में मुखर होकर कुछ नहीं बोल रही, लेकिन सूत्रों की मानें तो पार्टी इस बार नए चेहरे को मौका देने के मूड में है. बावजूद इसके जिस रफ्तार से बीजेपी में अन्य दलों के नेताओं की जॉइनिंग हो रही है उस रफ्तार से आगामी विधानसभा चुनाव में उन्हें मौका मिलना आसान नहीं है.

Intro:रांची। प्रदेश में विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक दलों में सुगबुगाहट भले ही अभी शुरू नहीं हुई हो लेकिन नेताओं के एक दल से दूसरे दल में जाने का सिलसिला तेज हो गया है। इस मामले में राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी 'गंगोत्री' साबित हो रही है जहां दूसरे दलों के लिए लंबे समय तक काम करने वाले पार्टी के नेता और कार्यकर्ता अपना दल छोड़कर कमल का दामन थाम रहे हैं। उनमें कुछ वैसे भी हैं जिन्होंने एक समय बीजेपी में लंबी पारी खेली और कथित रूप से मोहभंग होने के बाद दूसरे दल में चले गए। वैसे लोग भी बीजेपी में घर वापसी कर रहे हैं।

65 प्लस के दावे में एडजस्टमेंट को लेकर लग रहे हैं कयास
दरअसल सारा माजरा विधानसभा चुनावों का है। जिसमें बीजेपी ने 65 प्लस का लक्ष्य रखा है। आंकड़ों को देखें तो मौजूदा 81 इलेक्टेड सदस्यों वाली झारखंड विधानसभा में 43 बीजेपी के विधायक हैं। ऐसे में 22 नई सीटों पर पार्टी उम्मीदवार उतारने के मूड में है। साथ ही सिटिंग विधायकों में से कुछ सीटों पर चेहरे बदलने की संभावनाएं भी जाहिर की जा रही है।


Body:हालांकि दल बदलने का सिलसिला कोई नया नहीं है लेकिन लोकसभा चुनाव में जिस तरह बीजेपी ने अपनी एक सीट पर राजद छोड़ कर आई अन्नपूर्णा देवी को मौका दिया और वह भी रिकॉर्ड मतों से जीती। इससे विधानसभा चुनाव के पहले अपना दल छोड़कर बीजेपी आने वाले वैसे कथित नेता काफी आशान्वित है।

एक दर्जन से अधिक नेताओं ने बदला दल
पिछले कुछ महीनों का रिकॉर्ड देखें तो 1 दर्जन से अधिक वैसे नेता जो दूसरे दलों में थे। उन्होंने बीजेपी ज्वाइन किया। साथ ही उनमें कुछ ऐसे भी हैं जो 'इलेक्टोरल पॉलिटिक्स' में पहले भी अपना भाग्य आजमा चुके हैं। उनमें पलामू के छतरपुर से प्रभात भुइया, गढ़वा से गिरिनाथ सिंह, चतरा से जनार्दन पासवान, के नाम प्रमुकह हैं। साथ ही अपने इलाके में मजबूत समझे जानेवाले बोरियों से सूर्या हांसदा, दुमका के शिकारीपाड़ा से परितोष सोरेन, बरहेट विधानसभा इलाके से रेणुका मुर्मू, डुमरी विधानसभा के प्रदीप साहू, हजारीबाग से ए के मिश्रा गिरिडीह के गांडेय विधानसभा से दो बार विधायक रह चुके लक्ष्मण स्वर्णकार, चतरा के निवासी योगेंद्र प्रताप सिंह, झाविमो के पूर्व नेता मुन्ना मलिक समेत कई ऐसे नाम है जिन्होंने बीजेपी की सदस्यता हाल में ली है।


Conclusion:
रांची में जॉइनिंग के बाद हो रहा है दिल्ली दौरा
बीजेपी के अंदरखाने से मिली जानकारी के अनुसार इनमें से कुछ ऐसे नेता है जिन्होंने अभी से रांची और दिल्ली एक करना शुरू कर दिया है। साथ ही उनमें से कुछ ने तो अपने-अपने इलाकों में जमीन मजबूत करना भी शुरू कर दिया है। हालांकि बीजेपी इस मामले में मुखर होकर कुछ नहीं बोल रही लेकिन सूत्रों की मानें तो पार्टी इस बार नए चेहरे को मौका देने के मूड में है। बावजूद इसके जिस रफ्तार से बीजेपी में अन्य दलों के नेताओं की जॉइनिंग हो रही है उस रफ्तार से आगामी विधानसभा चुनाव में उन्हें मौका मिलना आसान नहीं है।
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