रांची: देशभर में 17 सितंबर को मनाए जाने वाले विश्वकर्मा पूजा को लेकर राजधानी में तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है. मूर्तिकार मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं. वहीं, मूर्तिकारों ने इस वर्ष इको फ्रेंडली मूर्ति का निर्माण करने की कोशिश की है, जिससे कि पर्यावरण को भी बचाया जा सके.
ये भी पढ़ें-रांची: शिक्षकेत्तर कर्मचारियों का एक दिवसीय धरना, 9 सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन की चेतावनी
मंदी की मार झेल रहे मूर्तिकार
मूर्तिकारों का कहना है कि पहले जैसा उत्साह इस पर्व में अब देखने को नहीं मिलता. उन्होंने बताया कि मंदी की मार में लोग अब ज्यादातर प्रतीकात्मक मूर्ति की पूजा-अर्चना करते हैं और बड़ी प्रतिमा खरीदने से परहेज करते हैं. वहीं, कुछ खरीदार कम पैसे में मूर्ति खरीदना चाहते हैं.
जानकारी के अनुसार मिट्टी भी अब आसानी से नहीं मिलती और प्रशासन ने भी जहां-तहां से मिट्टी उठाने पर रोक लगा रखा है. ऐसे में मूर्ति बनाने के लिए मिट्टी मिलना मुश्किल हो रहा है. जिससे की मूर्ति की कीमतों में भी इजाफा हुआ है. दूसरी ओर मूर्तिकारों ने बताया कि पिछले साल की तुलना में मूर्तियों की डिमांड बढ़ी है, लेकिन कीमतों में बढ़ोतरी होने के कारण खरीदार मोल भाव ज्यादा करने लगे हैं.
वहीं, व्यवसायी वर्ग पश्चिम बंगाल जैसे शहरों से मूर्तिकारों को बुलवाकर रांची में मूर्ति बनवा रहे हैं. कुल मिलाकर प्रतिमा की लागत ज्यादा हो गई है. इस वजह से इस धंधे में अब मुनाफा न के बराबर है.