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रांची में विश्वकर्मा पूजा की तैयारियां पूरी, मूर्तियों को अंतिम रूप दे रहे मूर्तिकार

रांची में विश्वकर्मा पूजा को लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. मूर्तिकार भी मूर्तियों को अंतिम रूप दे रहे है. वहीं, मिट्टी की उपलब्धता में कमी होने के कारण मूर्ति की बढ़ी कीमतों ने मूर्तिकारों को मंदी की मार झेलने पर मजबूर कर दिया है.

भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति
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Published : Sep 16, 2019, 8:54 PM IST

Updated : Sep 16, 2019, 10:05 PM IST

रांची: देशभर में 17 सितंबर को मनाए जाने वाले विश्वकर्मा पूजा को लेकर राजधानी में तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है. मूर्तिकार मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं. वहीं, मूर्तिकारों ने इस वर्ष इको फ्रेंडली मूर्ति का निर्माण करने की कोशिश की है, जिससे कि पर्यावरण को भी बचाया जा सके.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-रांची: शिक्षकेत्तर कर्मचारियों का एक दिवसीय धरना, 9 सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन की चेतावनी

मंदी की मार झेल रहे मूर्तिकार

मूर्तिकारों का कहना है कि पहले जैसा उत्साह इस पर्व में अब देखने को नहीं मिलता. उन्होंने बताया कि मंदी की मार में लोग अब ज्यादातर प्रतीकात्मक मूर्ति की पूजा-अर्चना करते हैं और बड़ी प्रतिमा खरीदने से परहेज करते हैं. वहीं, कुछ खरीदार कम पैसे में मूर्ति खरीदना चाहते हैं.

जानकारी के अनुसार मिट्टी भी अब आसानी से नहीं मिलती और प्रशासन ने भी जहां-तहां से मिट्टी उठाने पर रोक लगा रखा है. ऐसे में मूर्ति बनाने के लिए मिट्टी मिलना मुश्किल हो रहा है. जिससे की मूर्ति की कीमतों में भी इजाफा हुआ है. दूसरी ओर मूर्तिकारों ने बताया कि पिछले साल की तुलना में मूर्तियों की डिमांड बढ़ी है, लेकिन कीमतों में बढ़ोतरी होने के कारण खरीदार मोल भाव ज्यादा करने लगे हैं.

वहीं, व्यवसायी वर्ग पश्चिम बंगाल जैसे शहरों से मूर्तिकारों को बुलवाकर रांची में मूर्ति बनवा रहे हैं. कुल मिलाकर प्रतिमा की लागत ज्यादा हो गई है. इस वजह से इस धंधे में अब मुनाफा न के बराबर है.

रांची: देशभर में 17 सितंबर को मनाए जाने वाले विश्वकर्मा पूजा को लेकर राजधानी में तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है. मूर्तिकार मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं. वहीं, मूर्तिकारों ने इस वर्ष इको फ्रेंडली मूर्ति का निर्माण करने की कोशिश की है, जिससे कि पर्यावरण को भी बचाया जा सके.

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मंदी की मार झेल रहे मूर्तिकार

मूर्तिकारों का कहना है कि पहले जैसा उत्साह इस पर्व में अब देखने को नहीं मिलता. उन्होंने बताया कि मंदी की मार में लोग अब ज्यादातर प्रतीकात्मक मूर्ति की पूजा-अर्चना करते हैं और बड़ी प्रतिमा खरीदने से परहेज करते हैं. वहीं, कुछ खरीदार कम पैसे में मूर्ति खरीदना चाहते हैं.

जानकारी के अनुसार मिट्टी भी अब आसानी से नहीं मिलती और प्रशासन ने भी जहां-तहां से मिट्टी उठाने पर रोक लगा रखा है. ऐसे में मूर्ति बनाने के लिए मिट्टी मिलना मुश्किल हो रहा है. जिससे की मूर्ति की कीमतों में भी इजाफा हुआ है. दूसरी ओर मूर्तिकारों ने बताया कि पिछले साल की तुलना में मूर्तियों की डिमांड बढ़ी है, लेकिन कीमतों में बढ़ोतरी होने के कारण खरीदार मोल भाव ज्यादा करने लगे हैं.

वहीं, व्यवसायी वर्ग पश्चिम बंगाल जैसे शहरों से मूर्तिकारों को बुलवाकर रांची में मूर्ति बनवा रहे हैं. कुल मिलाकर प्रतिमा की लागत ज्यादा हो गई है. इस वजह से इस धंधे में अब मुनाफा न के बराबर है.

Intro:रांची।

भगवान विश्वकर्मा पूजा को लेकर राजधानी रांची में उत्साह देखा जा रहा है .मूर्तिकार मूर्तियों के अंतिम रूप देने में जुटे हैं .हालांकि विश्वकर्मा पूजा में भी मंदी की मार जरूर दिख रही है. मूर्ति निर्माताओं की माने तो पिछले साल की तुलना में मूर्तियों की डिमांड बढ़ी है. लेकिन लोग कम कीमतों में मूर्ति खरीदना चाहते हैं .यह संभव इसलिए नहीं है क्योंकि अब आसानी से मिट्टी मुहैया नहीं हो पाता है. हालांकि मूर्तिकार इस वर्ष इको फ्रेंडली मूर्ति का निर्माण करने की कोशिश किया है .जिससे कि पर्यावरण को भी बचाया जा सके.


Body:17 सितंबर को पूरे देश भर में विश्वकर्मा पूजा धूमधाम से मनाई जाएगी और इसकी तैयारी देश के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ झारखंड की राजधानी रांची में भी देखने को मिल रही है. जगह-जगह पर मूर्तिकार अपने मूर्तियों के अंतिम रूप देने में जुटे हैं .हालांकि इस बार विश्वकर्मा पूजा में भी मंदी का मार देखने को मिल रहा है .मूर्ति कारों का कहना है कि पहले जैसा उत्साह इस पर्व में नहीं रहा. लोग प्रतीकात्मक मूर्ति खरीद कर पूजा अर्चना करते हैं. बड़े प्रतिमा खरीदने से परहेज करते हैं .खरीदार कम पैसे में मूर्ति खरीदना चाहते हैं .लेकिन वह यह नहीं समझ पाते हैं कि मिट्टियों की उपलब्धता कम हो गई है .इस वजह से मूर्तियों के रेट भी बढ़ गए हैं. जहां तहां से मिट्टी उठाना प्रशासन द्वारा मना किया गया है .ऐसे में मूर्ति बनाने के लिए मिट्टी उपलब्ध करना काफी परेशानी का सबब बन गया है. मूर्तियों के आर्डर के संख्या में कमी तो नहीं आई है. लेकिन कीमतों में बढ़ोतरी होने के कारण खरीददार मोल भाव ज्यादा करने लगे हैं .इस वर्ष मूर्ति निर्माताओं ने भी इको फ्रेंडली मूर्ति बनाने में ज्यादा जोर दिया है. इससे पर्यावरण बचाने के संदेश के साथ जोड़ा जा रहा है. प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी रांची के कई इलाकों में मूर्ति निर्माण का काम जोर शोर से चल रहा है .


Conclusion:व्यवसाई वर्ग पश्चिम बंगाल जैसे शहरों से मूर्ति कारों को बुलवाकर रांची में मूर्ति बनवा रहे हैं . कुल मिलाकर प्रतिमा का लागत ज्यादा हो जाता है. इस वजह से इस धंधे में अब मुनाफा ना के बराबर है.

बाइट- रामदीन ,मूर्तिकार।
Last Updated : Sep 16, 2019, 10:05 PM IST
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