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लॉकडाउन 2.0: जानिए झारखंड की क्या हैं मुश्किलें और तैयारियां

कोरोना वायरस को लेकर लॉकडाउन की अवधी बढ़ा दी गई है. लॉकडाउन को लेकर झारखंड में कई समस्याएं हैं, जिनसे हेमंत सरकार को निपटना होगा. लॉकडाउन को लेकर राज्य सरकार कई स्तर पर तैयारी भी की हुई है.

preparation for lockdown in Jharkhand
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Published : Apr 14, 2020, 1:03 PM IST

रांची: कोरोना वायरस को लेकर पूरे देश में पहले 21 दिनों का लॉकडान लगा. वहीं, अब एक बार फिर 3 मई तक लॉकडाउन कर दिया गया है. इधर, झारखंड सरकार भी कोरोना वायरस को देखते हुए पहले 15 अप्रैल तक राज्य को लॉकडाउन की थी. वहीं फिर से लॉकडाउन बढ़ाने के लिए एक समिति का गठन किया गया है.

राज्य में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के मामले में लगातार इजाफा हो रहा है. खासकर रांची, बोकारो, हजारीबाग और गिरिडीह में कोरोना के कई मामले सामने आए हैं. इस कारण इस इलाके को सील कर दिया गया है. वहीं पूरे राज्य को देखते हुए हेमंत सरकार ने भी लॉकडाउन बढ़ाने का समर्थन किया है. लॉकडाउन के दौरान होने वाली समस्या को लेकर हेमंत सरकार लगातार समाधान कर रही है.

किसानों की समस्या

लॉकडाउन के दौरान लोगों को घर में रहना है. इस दौरान लोगों को जो सबसे जरूरी चिज है वो है राशन. एक तरफ किसान अपने अनाज नहीं बेच पा रहे हैं तो दूसरी तरफ लोगों को राशन भी मुहैया कराया सरकार की पहली प्राथमिकता है. हालांकि राज्य सरकार जरूरी सामानों को पहुंचाने के लिए ट्रांस्पोर्टों को अनुमति दी है, लेकिन कई छोटे जगहों पर किसान वाहन न मिलने का खामियाजा भुगत रहे हैं. सरकार को किसानों के लिए लॉकडाउन में विशेष व्यवस्था करानी होगी.

स्कूल-कॉलेज पूरी तरह रहेंगे बंद

स्कूल-कॉलेज पहले की तरह बंद रहेंगे. राज्य में कई जगहों से ऐसी भी खबरें आई कि स्कूल प्रबंधन अभिभावकों से स्कूल फीस की मांग कर रहे हैं. हालांकि शिक्षा विभाग ने स्कूल प्रबंधनों से आग्रह किया था कि लॉकडाउन के दौरान वो फीस की मांग न करें, लेकिन स्कूल प्रबंधनों के साथ भी समस्या है कि वो अपने शिक्षक को वेतन कहां से देंगे. राज्य सरकार को इस पर भी ध्यान देना होगा.

अनाज का वितरण

हेमंत सरकार ने लोग भूखे न रहे इसके लिए कई तरह की व्यवस्था की है. दाल-भात केंद्र, मुख्यमंत्री दीदी किचन के तहत लोगों को भोजन दिया जा रहा है. वहीं, कई जिलों में उपायुक्त के द्वारा खाना बनाकर पैक कराकर गरीबों के बीच बांटा जा रहा है. थाना में भी खाना बनाकर लोगों को दिया जा रहा है. इसके अलावे राशन कार्ड और बिना राशन कार्ड वालों को अनाज दिया जा रहा है.

बाहर फंसे लोगों को घर पहुंचाना

राज्य के लगभग 7 लाख से ज्यादा लोग बाहर के राज्यों में फंसे हुए हैं. इनकी भी जिम्मेदारी राज्य सरकार पर है. इनके लिए राज्य सरकार डीबीटी के माध्यम से रुपए भेज रही है. बात करें वैसे लोगों की जो लॉकडाउन के दौरान किसी तरह बॉर्डर पर रूके हुए हैं उन्हें भी 14 दिन के क्वॉरेंटाइन पूरा होने के बाद घर पहुंचाना है.

संक्रमित इलाकों की सेनेटाइज

झारखंड में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. प्रशासन उन इलाकों को चिन्हित कर सील कर रहा है और उस इलाकों की सेनेटाइज भी कराई जा रही है. राजधानी रांची में हिंदपीढ़ी के अलावा कई इलाकों को भी सेनेटाइज किया गया है.

झारखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था

कोरोना को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है, लेकिन राज्य में कोरोना से निपटने के लिए संसाधनों की कमी है. बात की जाए तो राज्य में कुल मिलाकर लगभग 350 वेंटिलेटर है, लेकिन इनमें कई वेंटिलेटर खराब पड़े हैं. हालांकि, पुराने वेंटिलेटर को सरकार ठीक कराने का काम कर रही है. वहीं प्रखंड लेवल पर क्वॉरेंटाइन सेंटर भी बनाए जा रहे हैं. डॉक्टरों को पीपीई किट को लेकर भी समस्या है. पीपीई किट की कम सप्लाई के कारण मेडिकल स्टॉफ को दिक्कत हो रही है.

ये भी पढ़ें: लॉकडाउन को लेकर बोले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, देश के फैसले के साथ है झारखंड

राज्य सरकार के पास फंड

हेमंत सरकार के मुताबिक राज्य का खजाना पहले से खाली है. ऐसे में राज्य सरकार केंद्र पर निर्भर है. केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले ही राज्य को 284 करोड़ रुपए का आर्थिक सहायता दी थी. जो कि कोरोना से लड़ने के लिए काफी नहीं है. हालांकि मुखयमंत्री राहत कोष में व्यापारी से लेकर आम लोग सहायता राशि दे रहे हैं, जो कोरोना की इस लड़ाई में अहम भूमिका निभाएगी.

रांची: कोरोना वायरस को लेकर पूरे देश में पहले 21 दिनों का लॉकडान लगा. वहीं, अब एक बार फिर 3 मई तक लॉकडाउन कर दिया गया है. इधर, झारखंड सरकार भी कोरोना वायरस को देखते हुए पहले 15 अप्रैल तक राज्य को लॉकडाउन की थी. वहीं फिर से लॉकडाउन बढ़ाने के लिए एक समिति का गठन किया गया है.

राज्य में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के मामले में लगातार इजाफा हो रहा है. खासकर रांची, बोकारो, हजारीबाग और गिरिडीह में कोरोना के कई मामले सामने आए हैं. इस कारण इस इलाके को सील कर दिया गया है. वहीं पूरे राज्य को देखते हुए हेमंत सरकार ने भी लॉकडाउन बढ़ाने का समर्थन किया है. लॉकडाउन के दौरान होने वाली समस्या को लेकर हेमंत सरकार लगातार समाधान कर रही है.

किसानों की समस्या

लॉकडाउन के दौरान लोगों को घर में रहना है. इस दौरान लोगों को जो सबसे जरूरी चिज है वो है राशन. एक तरफ किसान अपने अनाज नहीं बेच पा रहे हैं तो दूसरी तरफ लोगों को राशन भी मुहैया कराया सरकार की पहली प्राथमिकता है. हालांकि राज्य सरकार जरूरी सामानों को पहुंचाने के लिए ट्रांस्पोर्टों को अनुमति दी है, लेकिन कई छोटे जगहों पर किसान वाहन न मिलने का खामियाजा भुगत रहे हैं. सरकार को किसानों के लिए लॉकडाउन में विशेष व्यवस्था करानी होगी.

स्कूल-कॉलेज पूरी तरह रहेंगे बंद

स्कूल-कॉलेज पहले की तरह बंद रहेंगे. राज्य में कई जगहों से ऐसी भी खबरें आई कि स्कूल प्रबंधन अभिभावकों से स्कूल फीस की मांग कर रहे हैं. हालांकि शिक्षा विभाग ने स्कूल प्रबंधनों से आग्रह किया था कि लॉकडाउन के दौरान वो फीस की मांग न करें, लेकिन स्कूल प्रबंधनों के साथ भी समस्या है कि वो अपने शिक्षक को वेतन कहां से देंगे. राज्य सरकार को इस पर भी ध्यान देना होगा.

अनाज का वितरण

हेमंत सरकार ने लोग भूखे न रहे इसके लिए कई तरह की व्यवस्था की है. दाल-भात केंद्र, मुख्यमंत्री दीदी किचन के तहत लोगों को भोजन दिया जा रहा है. वहीं, कई जिलों में उपायुक्त के द्वारा खाना बनाकर पैक कराकर गरीबों के बीच बांटा जा रहा है. थाना में भी खाना बनाकर लोगों को दिया जा रहा है. इसके अलावे राशन कार्ड और बिना राशन कार्ड वालों को अनाज दिया जा रहा है.

बाहर फंसे लोगों को घर पहुंचाना

राज्य के लगभग 7 लाख से ज्यादा लोग बाहर के राज्यों में फंसे हुए हैं. इनकी भी जिम्मेदारी राज्य सरकार पर है. इनके लिए राज्य सरकार डीबीटी के माध्यम से रुपए भेज रही है. बात करें वैसे लोगों की जो लॉकडाउन के दौरान किसी तरह बॉर्डर पर रूके हुए हैं उन्हें भी 14 दिन के क्वॉरेंटाइन पूरा होने के बाद घर पहुंचाना है.

संक्रमित इलाकों की सेनेटाइज

झारखंड में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. प्रशासन उन इलाकों को चिन्हित कर सील कर रहा है और उस इलाकों की सेनेटाइज भी कराई जा रही है. राजधानी रांची में हिंदपीढ़ी के अलावा कई इलाकों को भी सेनेटाइज किया गया है.

झारखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था

कोरोना को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर है, लेकिन राज्य में कोरोना से निपटने के लिए संसाधनों की कमी है. बात की जाए तो राज्य में कुल मिलाकर लगभग 350 वेंटिलेटर है, लेकिन इनमें कई वेंटिलेटर खराब पड़े हैं. हालांकि, पुराने वेंटिलेटर को सरकार ठीक कराने का काम कर रही है. वहीं प्रखंड लेवल पर क्वॉरेंटाइन सेंटर भी बनाए जा रहे हैं. डॉक्टरों को पीपीई किट को लेकर भी समस्या है. पीपीई किट की कम सप्लाई के कारण मेडिकल स्टॉफ को दिक्कत हो रही है.

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राज्य सरकार के पास फंड

हेमंत सरकार के मुताबिक राज्य का खजाना पहले से खाली है. ऐसे में राज्य सरकार केंद्र पर निर्भर है. केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले ही राज्य को 284 करोड़ रुपए का आर्थिक सहायता दी थी. जो कि कोरोना से लड़ने के लिए काफी नहीं है. हालांकि मुखयमंत्री राहत कोष में व्यापारी से लेकर आम लोग सहायता राशि दे रहे हैं, जो कोरोना की इस लड़ाई में अहम भूमिका निभाएगी.

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