ETV Bharat / city

नक्सली संगठन का मास्टरमाइंड था नक्सलियों का बॉस प्रशांत बोस, उसकी बातों से गुमराह होकर युवा बन जाते थे नक्सली

झारखंड के नक्सल इतिहास में प्रशांत बोस की गिरफ्तारी पुलिस के लिए बड़ी कामयाबी मानी जा रही है. नक्सल संगठन का मास्टरमाइंड कहे जाने वाले प्रशांत बोस में युवाओं को गुमराह करने की बड़ी क्षमता थी जिसका प्रयोग कर उसने संगठन को मजबूत किया.

prashant-bose
प्रशांत बोस
author img

By

Published : Nov 28, 2021, 1:38 PM IST

Updated : Nov 28, 2021, 2:12 PM IST

रांची: झारखंड के नक्सल इतिहास में जहां पुलिस की सबसे बड़ी कामयाबी एक करोड़ का इनामी प्रशांत बोस उर्फ किशन दा की गिरफ्तारी है वही ये माओवादियों के लिए अब तक का सबसे बड़ा झटका है. भाकपा माओवादियों के ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो प्रशांत बोस के बारे में कहा जाता है कि वह नक्सल संगठन का मास्टरमाइंड था जिनमें लोगों को प्रभावित करने की क्षमता इतनी मजबूत थी की वह नक्सल विचारधारा से किसी भी व्यक्ति को तुरंत प्रभावित कर देता था.

ये भी पढ़ें- कुख्यात नक्सली प्रशांत बोस का खुलासा, झारखंड के इस इलाके से होती है सबसे ज्यादा लेवी की वसूली

10 मिनट बात कीजिये आप नक्सली बन जाएंगे
नक्सलियों का बॉस कहा जाना वाल प्रशांत बोस नक्सलियों के लिए कितना अहम था और उसमें किसी को भी अपनी बातों से प्रभावित करने की कितनी क्षमता थी इसका अंदाजा झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा के बयान से लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा था कि अगर आप 10 मिनट भी प्रशांत बोस उर्फ किशन दा के साथ बिताएंगे तो आप नक्सली बन जाएंगे. डीजीपी ने भले ही ये बात मजाक में कही हो लेकिन असलियत में नक्सल विचारधारा को बड़े पैमाने फैलाने में प्रशांत बोस की महत्वपूर्ण भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता.

देखें वीडियो

5 दशकों तक बना रहा नक्सलियों का बड़ा चेहरा

प्रशांत बोस पांच दशकों तक झारखंड, बिहार में माओवादियों का सबसे बड़ा चेहरा रहा. संयुक्त बिहार में 70 के दशक में लालखंड के दौर में विनोद बिहारी महतो और शिबू सोरेन के महाजनी आंदोलन के वक्त प्रशांत बोस पश्चिम बंगाल से झारखंड के गिरिडीह आया था. इसके बाद से एमसीसीआई के प्रमुख बनने से लेकर कई राजनीतिक हत्याओं तक में प्रशांत बोस मास्टरमाइंड की भूमिका में रहा. यही वजह थी कि झारखंड, बिहार, छतीसगढ़, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों की पुलिस को ही नहीं बल्कि केंद्रीय एजेंसी सीबीआई और एनआईए तक को प्रशांत बोस की तलाश थी. झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा के अनुसार प्रशांत बोस भाकपा माओवादियो के जनक थे. उनके रैंक को देख कर उनकी संगठन में पकड़ का अंदाजा नही लगाया जा सकता है.

ये भी पढे़ं- गिरफ्तारी के बाद कई राज उगल रहा है प्रशांत बोस, भीमा कोरेगांव समेत कई कांडो में संलिप्तता कबूली

नक्सल थेरेपिस्ट है प्रशांत बोस
रांची स्थित रिनपास के वरीय मनोचिकित्सक डॉ सिद्दार्थ सिन्हा प्रशांत बोस को एक नक्सल थेरेपिस्ट की संज्ञा देते है. उनके अनुसार जो व्यक्ति एक नक्सल संगठन का जनक हो तो उसकी मोटिवेसन की क्षमता को कम नही आंका जा सकता है. डॉ सिद्दार्थ के अनुसार मनोविज्ञान में एक हिपनोटाइज थेरेपी होता है जिससे किसी को भी प्रभावित किया जा सकता है. कुछ इसी तरह के गुण प्रशांत बोस के पास भी था .जिसका इस्तेमाल उसने संगठन को मजबूत करने में किया.

ये भी पढे़ं- एक करोड़ का इनामी नक्सली प्रशांत बोस होटवार जेल शिफ्ट, सरायकेला से रांची लाया गया नक्सली

लालच का दिया जाता है ओवरडोज
आत्मसमर्पण कर चुकी महिला नक्सली प्रिया के अनुसार संगठन में ले जाने से पहले लालच और सरकार के खिलाफ मन में इस कदर जहर घोल दिया जाता है कि कोई भी संगठन में शामिल हो जाए ,वो भी इसी वजह से संगठन में शामिल हुई थी लेकिन जब संगठन की सच्चाई सामने आई तब वे भागकर पुलिस के पास पहुंची और आत्मसमर्पण कर दिया. प्रिया के अनुसार झारखंड में भगवान स्वरूप माने जाने वाले बिरसा मुंडा के आंदोलन को भी नक्सली नेता उन्हें सुनाते थे और यह बताते थे कि जिस तरह बिरसा मुंडा का आंदोलन जुल्म के खिलाफ था उसी तरह उनका आंदोलन भी अत्याचार के खिलाफ है.


महाजनी प्रथा के खिलाफ उठाई थी आवाज

पश्चिम बंगाल में नक्सलवाड़ी आंदोलन के बाद झारखंड में महाजनों के खिलाफ आंदोलन शुरू हो गया था. इसी दौर में गिरिडीह में प्रशांत बोस आया, इस दौरान मिसिर बेसरा उर्फ सुनिर्मल जैसे बड़े नक्सली का साथ प्रशांत बोस को मिला. 70 से 90 के दशक तक प्रशांत बोस इसी इलाके में रहा. इसी दौरान आंदोलन से ही जुड़ी धनबाद के टुंडी की शीला मरांडी से प्रशांत बोस ने शादी भी की. इसके बाद बिहार में मध्य जोन में गया औरंगाबाद इलाके में प्रशांत बोस की सक्रियता रही. 90 के दशक के अंत में ही चाईबासा के सारंडा, जमशेदपुर के गुड़ाबंधा, ओड़िसा के मयूरभंज जैसे इलाकों में भी प्रशांत बोस ने संगठन को खड़ा किया. प्रशांत बॉस ने अपनी मोटिवेशन क्षमता का इस्तेमाल करते हुए युवाओं को सरकार के खिलाफ भड़काया और उन्हें अपने संगठन में शामिल किया.

ये भी पढे़ं- प्रमोद मिश्रा या मिसिर बेसरा बन सकता है माओवादी ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो चीफ, कौन है जिसके नाम पर प्रशांत बोस ने लगाई थी मुहर
20 सालों में सबसे बड़ा झटका
देशभर में 20 सालों में माओवादियों के लिए प्रशांत बोस और शीला मरांडी की गिरफ्तारी सबसे बड़ी गिरफ्तारी है. प्रशांत बोस के रैंक का कोई माओवादी न पहले देशभर में कहीं पकड़ा गया था न ही मारा ही गया था। साल 2004 के बाद से लगातार ईआरबी के सचिव रहे प्रशांत बोस 80 से अधिक उम्र के होने के बाद भी पुलिस की पकड़ से दूर था. साल 2016 के बाद से प्रशांत बोस की तबीयत लगातार खराब रहती थी. इसलिए जंगल में प्रशांत बोस के लिए अलग से प्रोटेक्शन दस्ता बनाया गया था. छतीसगढ़ के तेजतर्रार माओवादियों के प्रोटेक्शन दस्ता की सुरक्षा में प्रशांत बोस को सारंडा में रखा जाता था. माना जा रहा है कि भाकपा माओवादी संगठन प्रशांत की गिरफ्तारी के बाद बेहद कमजोर हो गया है क्योंकि जो क्षमता प्रशांत बॉस में थी वह फिलहाल झारखंड बिहार और छत्तीसगढ़ के किसी भी नक्सल नेता में नहीं है.

ये भी पढ़ें- माओवादी प्रशांत बोस के कारण एमसीसी को कहा जाता था मुड़कटवा, 1988-89 में किता नरसंहार के बाद इस इलाके में हुए थे सक्रिय

ये भी पढ़ें- एक करोड़ का ईनामी माओवादी गिरफ्तार, पुलिस से किए कई चौंकाने वाले खुलासे

रांची: झारखंड के नक्सल इतिहास में जहां पुलिस की सबसे बड़ी कामयाबी एक करोड़ का इनामी प्रशांत बोस उर्फ किशन दा की गिरफ्तारी है वही ये माओवादियों के लिए अब तक का सबसे बड़ा झटका है. भाकपा माओवादियों के ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो प्रशांत बोस के बारे में कहा जाता है कि वह नक्सल संगठन का मास्टरमाइंड था जिनमें लोगों को प्रभावित करने की क्षमता इतनी मजबूत थी की वह नक्सल विचारधारा से किसी भी व्यक्ति को तुरंत प्रभावित कर देता था.

ये भी पढ़ें- कुख्यात नक्सली प्रशांत बोस का खुलासा, झारखंड के इस इलाके से होती है सबसे ज्यादा लेवी की वसूली

10 मिनट बात कीजिये आप नक्सली बन जाएंगे
नक्सलियों का बॉस कहा जाना वाल प्रशांत बोस नक्सलियों के लिए कितना अहम था और उसमें किसी को भी अपनी बातों से प्रभावित करने की कितनी क्षमता थी इसका अंदाजा झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा के बयान से लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा था कि अगर आप 10 मिनट भी प्रशांत बोस उर्फ किशन दा के साथ बिताएंगे तो आप नक्सली बन जाएंगे. डीजीपी ने भले ही ये बात मजाक में कही हो लेकिन असलियत में नक्सल विचारधारा को बड़े पैमाने फैलाने में प्रशांत बोस की महत्वपूर्ण भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता.

देखें वीडियो

5 दशकों तक बना रहा नक्सलियों का बड़ा चेहरा

प्रशांत बोस पांच दशकों तक झारखंड, बिहार में माओवादियों का सबसे बड़ा चेहरा रहा. संयुक्त बिहार में 70 के दशक में लालखंड के दौर में विनोद बिहारी महतो और शिबू सोरेन के महाजनी आंदोलन के वक्त प्रशांत बोस पश्चिम बंगाल से झारखंड के गिरिडीह आया था. इसके बाद से एमसीसीआई के प्रमुख बनने से लेकर कई राजनीतिक हत्याओं तक में प्रशांत बोस मास्टरमाइंड की भूमिका में रहा. यही वजह थी कि झारखंड, बिहार, छतीसगढ़, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों की पुलिस को ही नहीं बल्कि केंद्रीय एजेंसी सीबीआई और एनआईए तक को प्रशांत बोस की तलाश थी. झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा के अनुसार प्रशांत बोस भाकपा माओवादियो के जनक थे. उनके रैंक को देख कर उनकी संगठन में पकड़ का अंदाजा नही लगाया जा सकता है.

ये भी पढे़ं- गिरफ्तारी के बाद कई राज उगल रहा है प्रशांत बोस, भीमा कोरेगांव समेत कई कांडो में संलिप्तता कबूली

नक्सल थेरेपिस्ट है प्रशांत बोस
रांची स्थित रिनपास के वरीय मनोचिकित्सक डॉ सिद्दार्थ सिन्हा प्रशांत बोस को एक नक्सल थेरेपिस्ट की संज्ञा देते है. उनके अनुसार जो व्यक्ति एक नक्सल संगठन का जनक हो तो उसकी मोटिवेसन की क्षमता को कम नही आंका जा सकता है. डॉ सिद्दार्थ के अनुसार मनोविज्ञान में एक हिपनोटाइज थेरेपी होता है जिससे किसी को भी प्रभावित किया जा सकता है. कुछ इसी तरह के गुण प्रशांत बोस के पास भी था .जिसका इस्तेमाल उसने संगठन को मजबूत करने में किया.

ये भी पढे़ं- एक करोड़ का इनामी नक्सली प्रशांत बोस होटवार जेल शिफ्ट, सरायकेला से रांची लाया गया नक्सली

लालच का दिया जाता है ओवरडोज
आत्मसमर्पण कर चुकी महिला नक्सली प्रिया के अनुसार संगठन में ले जाने से पहले लालच और सरकार के खिलाफ मन में इस कदर जहर घोल दिया जाता है कि कोई भी संगठन में शामिल हो जाए ,वो भी इसी वजह से संगठन में शामिल हुई थी लेकिन जब संगठन की सच्चाई सामने आई तब वे भागकर पुलिस के पास पहुंची और आत्मसमर्पण कर दिया. प्रिया के अनुसार झारखंड में भगवान स्वरूप माने जाने वाले बिरसा मुंडा के आंदोलन को भी नक्सली नेता उन्हें सुनाते थे और यह बताते थे कि जिस तरह बिरसा मुंडा का आंदोलन जुल्म के खिलाफ था उसी तरह उनका आंदोलन भी अत्याचार के खिलाफ है.


महाजनी प्रथा के खिलाफ उठाई थी आवाज

पश्चिम बंगाल में नक्सलवाड़ी आंदोलन के बाद झारखंड में महाजनों के खिलाफ आंदोलन शुरू हो गया था. इसी दौर में गिरिडीह में प्रशांत बोस आया, इस दौरान मिसिर बेसरा उर्फ सुनिर्मल जैसे बड़े नक्सली का साथ प्रशांत बोस को मिला. 70 से 90 के दशक तक प्रशांत बोस इसी इलाके में रहा. इसी दौरान आंदोलन से ही जुड़ी धनबाद के टुंडी की शीला मरांडी से प्रशांत बोस ने शादी भी की. इसके बाद बिहार में मध्य जोन में गया औरंगाबाद इलाके में प्रशांत बोस की सक्रियता रही. 90 के दशक के अंत में ही चाईबासा के सारंडा, जमशेदपुर के गुड़ाबंधा, ओड़िसा के मयूरभंज जैसे इलाकों में भी प्रशांत बोस ने संगठन को खड़ा किया. प्रशांत बॉस ने अपनी मोटिवेशन क्षमता का इस्तेमाल करते हुए युवाओं को सरकार के खिलाफ भड़काया और उन्हें अपने संगठन में शामिल किया.

ये भी पढे़ं- प्रमोद मिश्रा या मिसिर बेसरा बन सकता है माओवादी ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो चीफ, कौन है जिसके नाम पर प्रशांत बोस ने लगाई थी मुहर
20 सालों में सबसे बड़ा झटका
देशभर में 20 सालों में माओवादियों के लिए प्रशांत बोस और शीला मरांडी की गिरफ्तारी सबसे बड़ी गिरफ्तारी है. प्रशांत बोस के रैंक का कोई माओवादी न पहले देशभर में कहीं पकड़ा गया था न ही मारा ही गया था। साल 2004 के बाद से लगातार ईआरबी के सचिव रहे प्रशांत बोस 80 से अधिक उम्र के होने के बाद भी पुलिस की पकड़ से दूर था. साल 2016 के बाद से प्रशांत बोस की तबीयत लगातार खराब रहती थी. इसलिए जंगल में प्रशांत बोस के लिए अलग से प्रोटेक्शन दस्ता बनाया गया था. छतीसगढ़ के तेजतर्रार माओवादियों के प्रोटेक्शन दस्ता की सुरक्षा में प्रशांत बोस को सारंडा में रखा जाता था. माना जा रहा है कि भाकपा माओवादी संगठन प्रशांत की गिरफ्तारी के बाद बेहद कमजोर हो गया है क्योंकि जो क्षमता प्रशांत बॉस में थी वह फिलहाल झारखंड बिहार और छत्तीसगढ़ के किसी भी नक्सल नेता में नहीं है.

ये भी पढ़ें- माओवादी प्रशांत बोस के कारण एमसीसी को कहा जाता था मुड़कटवा, 1988-89 में किता नरसंहार के बाद इस इलाके में हुए थे सक्रिय

ये भी पढ़ें- एक करोड़ का ईनामी माओवादी गिरफ्तार, पुलिस से किए कई चौंकाने वाले खुलासे

Last Updated : Nov 28, 2021, 2:12 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.