रांचीः कोरोना के कारण इस वर्ष दुर्गा पूजा में कई बड़े बदलाव देखने को मिल रहा हैं. राजधानी के प्रसिद्ध पौराणिक और ऐतिहासिक दुर्गा बाड़ी में तो इस बार आधुनिकता का रंग चढ़ा दिख रहा है. एक वेबसाइट के माध्यम से इस वर्ष दुर्गा बाड़ी में तमाम पूजा अर्चना को लेकर ऑनलाइन भक्त जुड़ रहे हैं. चढ़ावे के लिए पेमेंट भी ऑनलाइन ही लिया और दिया जा रहा है. लगातार नौ दिनों तक श्रद्धालु दुर्गा बाड़ी में आयोजित पूजा अर्चना का ऑनलाइन प्रसारण durgabadiranchi.in पर देख सकते हैं.
कोरोना महामारी के कारण इस वर्ष दुर्गा पूजा में कई बदलाव देखने को मिल रहा हैं. सामाजिक दूरी का पालन करते हुए दुर्गोत्सव मनाया जा रही है. वहीं, कई परंपरा भी इस कोरोना महामारी ने तोड़ दी है. पारंपरिक और ऐतिहासिक दुर्गा पूजा आयोजन भी इस बार आधुनिकता के रंग में रंग चुका है. राजधानी रांची के प्रसिद्ध दुर्गा बाड़ी में ऑनलाइन तरीके से मां की आराधना हो रही है. भक्त ऑनलाइन पूजा कर रहे हैं. ऑनलाइन ही चढ़ावे के लिए पेमेंट भी कर रहे हैं. यहां तक कि पुष्पांजलि ऑनलाइन तरीके से घरों में रहकर ही भक्तों की ओर से मां के चरणों में अर्पित किया जा रहा है.
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138 वर्ष का है इतिहास
जानकारी के अनुसार राजधानी रांची के दुर्गा बाड़ी की दुर्गा पूजा इतिहास के पन्नों में दर्ज है. ऐतिहासिक पूजा अर्चना के अलावा पारंपरिक रीति रिवाज के नाम पर भी दुर्गाबाड़ी सबसे आगे है. मां की पूजा अर्चना हो, विसर्जन हो, सिंदूर खेला हो या ढाक बजाने की परंपरा सबकी बात ही निराली है. लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण तमाम चीजों में बदलाव देखने को मिल रहा हैं ना तो सिंदूर खेला का आयोजन हो रहा है .नाही विसर्जन में वह परंपरा देखने को मिलेंगे और पूजा अर्चना तो इस बार मां का ऑनलाइन तरीके से की जा रही है.
वेबसाइट के माध्यम से पूजा अर्चना
इसके लिए दुर्गाबाड़ी पूजा समिति की ओर से बकायदा एक वेबसाइट लांच किया गया है. durgabadiranchi.in पर भक्त ऑनलाइन मां की पूजा अर्चना में जुड़ रहे हैं और चढ़ावे के लिए पेमेंट कर रहे हैं. पुष्पांजलि भी ऑनलाइन तरीके से देने की व्यवस्था इस वेबसाइट के माध्यम से की गई है. इसके अलावा दुर्गाबाड़ी में श्रद्धालु मां को चुनरी साड़ी अगर चढ़ाना चाहते हैं तो उनके लिए भी व्यवस्था की गई है.
स्टिकर चिपका कर पूजा समिति को देना है साड़ी-चुनरी
श्रद्धालुओं को दुर्गा बाड़ी आकर साड़ी और चुनरी चढ़ाना होगा, लेकिन इसके लिए एक जगह निर्धारित की गई है. उसी जगह पर चढ़ावे की सामग्री रखनी होगी जहां पर स्टिकर मुहैया कराया गया है. स्टिकर को साड़ी या चुनरी पर चिपकाना होगा और पूजा का दिन चयन करना है. उनका यह चढ़ावा मां के चरणों तक पहुंचा दिया जाएगा.
सरकारी गाइडलाइन का पूरा पालन
सरकारी गाइडलाइन के कारण इस वर्ष पूजा अर्चना में यह बदलाव देखने को मिल रहा है. राजधानी रांची में कोलकाता के तर्ज पर धूमधाम से प्रत्येक वर्ष पूजा अर्चना देखने को मिलता है, लेकिन इस बार कोरोना के कारण तमाम चीजों में बदलाव है और श्रद्धालुओं को भारी मन से ही मां की आराधना करनी पड़ रही है. तामझाम तो कहीं नहीं दिख रहा है लेकिन पारंपरिक पूजा इस बार आधुनिकता के रंग में रंगा जरूर दिख रही है.