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अर्थ डे पर लॉकडाउन इफेक्ट: जानवरों की आवाज और पक्षियों की चहचहाहट से गूंज रही बस्ती

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Published : Apr 22, 2020, 8:50 PM IST

लॉकडाउन में भले ही हर आदमी अपने घरों में कैद है लेकिन पशु-पक्षियों के लिए यह वरदान साबित हो रहा है. गांवों में पशु-पक्षी खुल कर वातावरण का आनंद ले रहे हैं. चिड़ियों की चहचहाहट हर तरफ सुनाई दे रही है.

Pollution has reduced
अर्थ डे पर लॉकडाउन इफेक्ट

रांची: पूरे विश्व में पृथ्वी दिवस मनाया जा रहा है. लॉकडाउन की वजह से आर्थिक नुकसान हुआ है, पर एक बड़ा फायदा भी हुआ है. धरती को नया जीवन मिल गया है. न सिर्फ हवा बल्कि पानी भी साफ हो गया है. चिड़ियों की चहचहाहट बढ़ गई है. शोर और भीड़भाड़ के कारण राष्ट्रीय पक्षी मोर का नाच, कोयल की कूक और गोरैये की चहचहाहट कम सुनाई देती थी. न जाने ऐसे कई पशु-पक्षी हैं जिनकी आवाज शहर के शोरगुल में गुम हो जाती हैं.

वीडियो में देखिए पूरी खबर

इन दिनों प्राकृतिक में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है लॉकडाउन के कारण लोग अपने घरों में कैद हैं. मोटर, कल-कारखाने सब बंद हैं, जिसके कारण पक्षियों की चहचहाहट एक बार फिर से सुनने को मिल रही है. यहां तक कि पशु पक्षी जंगल से सटे इलाकों में देखने को मिल रहे हैं. इलाके में सुबह शाम घरों के छत और बागीचे में मोर के दर्शन हो रहे हैं. यू कहें तो लॉकडाउन की वजह वातावरण में काफी सुधार देखने को मिल रहा है.

टोले- बस्ती में आने लगे पशु-पक्षी

राजधानी रांची से सटे पिठोरिया पंचायत की अंबा टोली गांव में इन दिनों जंगली पशु पक्षियों का आना-जाना लगा हुआ है. हाथी, लकड़बग्घा, बाघ, भालू की आवाज सुनाई देती है. सुबह शाम घरों की छत या छप्पर पर मोर देखने को मिल जाता है. लोग सुबह शाम राष्ट्रीय पक्षी मोर को देख रहे हैं और दाना खिला रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से हर तरफ शांति का माहौल बना हुआ है. जंगल से सटे होने के कारण बस्ती में पशु-पक्षियों का आना जाना लगा रहता है.

ये भी पढ़ें- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लांच किया बाजार ऐप, दुकानदार और खरीदारों को होगी सहूलियत

बस्ती में जब वह आते हैं तो उन पशु पक्षियों को दाना-पानी खिलाकर बिना छेड़छाड़ किए ही जाने दिया जाता है. लॉकडाउन की वजह से छेड़छाड़ और शोर काफी कम हो गया है. यह परिवेश पक्षियों को आकर्षित कर रहा है. यही वजह है कि दुर्लभ पक्षी भी अब दिखाई देने लगे हैं. राष्ट्रीय पक्षी मोर जंगल से निकलकर अपने दाना-पानी की तलाश में बस्ती तक पहुंच रहे हैं. इस लॉकडाउन में ईटीवी भारत के संवाददाता विजय कुमार गोप ने भी खुद अपने हाथों से मोर को दाना खिलाने का काम किया.

माहौल शांत होने के कारण बस्तियों में आ रहे पशु-पक्षी

पशु प्रेमी रमेश कुमार महतो का कहना है कि हर तरफ शांति का माहौल होने के कारण पशु-पक्षी जंगल से निकलकर सटे हुए बस्तियों में जा रहे हैं. इसका दो कारण है. क्योंकि जंगलों का हम लोग अत्यधिक कटाई कर चुके हैं. ऐसे में शांति की तलाश कर वह बस्ती की ओर जा रहे हैं. क्योंकि लॉकडाउन की वजह से पूरा शांति का माहौल बना हुआ है.

ये भी पढ़ें- झारखंड में ब्लड की कमी को लेकर स्वास्थ्य विभाग गंभीर, चालू किए गए चार मोबाइल रक्तदान वैन

पर्यावरणविद नीतीश प्रियदर्शी ने कहा की सही मायने में सालों बाद पृथ्वी अपना दिवस मना रहा है. 200 से 300 सालों की जख्मों के बाद पृथ्वी आज खुल कर सास ले रही है. हमलोग नीला आसमान देख रहे हैं. तरह-तरह के पशु-पक्षी आ रहे हैं. जंगली जानवरों में हाथी, मोर और लकड़बग्घे गांव में देखने को मिल रहे हैं यह लॉकडाउन की वजह से कहीं न कहीं पर्यावरण साफ होता नजर आ रहा है.

रांची: पूरे विश्व में पृथ्वी दिवस मनाया जा रहा है. लॉकडाउन की वजह से आर्थिक नुकसान हुआ है, पर एक बड़ा फायदा भी हुआ है. धरती को नया जीवन मिल गया है. न सिर्फ हवा बल्कि पानी भी साफ हो गया है. चिड़ियों की चहचहाहट बढ़ गई है. शोर और भीड़भाड़ के कारण राष्ट्रीय पक्षी मोर का नाच, कोयल की कूक और गोरैये की चहचहाहट कम सुनाई देती थी. न जाने ऐसे कई पशु-पक्षी हैं जिनकी आवाज शहर के शोरगुल में गुम हो जाती हैं.

वीडियो में देखिए पूरी खबर

इन दिनों प्राकृतिक में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है लॉकडाउन के कारण लोग अपने घरों में कैद हैं. मोटर, कल-कारखाने सब बंद हैं, जिसके कारण पक्षियों की चहचहाहट एक बार फिर से सुनने को मिल रही है. यहां तक कि पशु पक्षी जंगल से सटे इलाकों में देखने को मिल रहे हैं. इलाके में सुबह शाम घरों के छत और बागीचे में मोर के दर्शन हो रहे हैं. यू कहें तो लॉकडाउन की वजह वातावरण में काफी सुधार देखने को मिल रहा है.

टोले- बस्ती में आने लगे पशु-पक्षी

राजधानी रांची से सटे पिठोरिया पंचायत की अंबा टोली गांव में इन दिनों जंगली पशु पक्षियों का आना-जाना लगा हुआ है. हाथी, लकड़बग्घा, बाघ, भालू की आवाज सुनाई देती है. सुबह शाम घरों की छत या छप्पर पर मोर देखने को मिल जाता है. लोग सुबह शाम राष्ट्रीय पक्षी मोर को देख रहे हैं और दाना खिला रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से हर तरफ शांति का माहौल बना हुआ है. जंगल से सटे होने के कारण बस्ती में पशु-पक्षियों का आना जाना लगा रहता है.

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बस्ती में जब वह आते हैं तो उन पशु पक्षियों को दाना-पानी खिलाकर बिना छेड़छाड़ किए ही जाने दिया जाता है. लॉकडाउन की वजह से छेड़छाड़ और शोर काफी कम हो गया है. यह परिवेश पक्षियों को आकर्षित कर रहा है. यही वजह है कि दुर्लभ पक्षी भी अब दिखाई देने लगे हैं. राष्ट्रीय पक्षी मोर जंगल से निकलकर अपने दाना-पानी की तलाश में बस्ती तक पहुंच रहे हैं. इस लॉकडाउन में ईटीवी भारत के संवाददाता विजय कुमार गोप ने भी खुद अपने हाथों से मोर को दाना खिलाने का काम किया.

माहौल शांत होने के कारण बस्तियों में आ रहे पशु-पक्षी

पशु प्रेमी रमेश कुमार महतो का कहना है कि हर तरफ शांति का माहौल होने के कारण पशु-पक्षी जंगल से निकलकर सटे हुए बस्तियों में जा रहे हैं. इसका दो कारण है. क्योंकि जंगलों का हम लोग अत्यधिक कटाई कर चुके हैं. ऐसे में शांति की तलाश कर वह बस्ती की ओर जा रहे हैं. क्योंकि लॉकडाउन की वजह से पूरा शांति का माहौल बना हुआ है.

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पर्यावरणविद नीतीश प्रियदर्शी ने कहा की सही मायने में सालों बाद पृथ्वी अपना दिवस मना रहा है. 200 से 300 सालों की जख्मों के बाद पृथ्वी आज खुल कर सास ले रही है. हमलोग नीला आसमान देख रहे हैं. तरह-तरह के पशु-पक्षी आ रहे हैं. जंगली जानवरों में हाथी, मोर और लकड़बग्घे गांव में देखने को मिल रहे हैं यह लॉकडाउन की वजह से कहीं न कहीं पर्यावरण साफ होता नजर आ रहा है.

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