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रांची में छोटे अपराधी भी कर रहे 'AK-47' का इस्तेमाल, लड़कियां हैं सबसे बड़ी खरीदार - रांची में लूट

राजधानी रांची में इस चाकू का नाम एके-47 का नाम दे दिया गया है. राजधानी रांची के हर छोटे-मोटे अपराधी के पास यह एके-47 चाकू मौजूद है. जिसके बल पर भी अपराध की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. इसकी सबसे ज्यादा खरीदार लड़कियां हैं.

रांची में बढ़ता अपराध
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Published : Feb 12, 2019, 1:08 PM IST

रांची: राजधानी रांची में हाल के दिनों में एके-47 नाम के हथियार का आतंक छाया हुआ है. हर छोटे-मोटे अपराधी के पास यह हथियार मौजूद है. जिसके बल पर वे लूटपाट की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं.

AK-47 चाकू

चौंकिए मत दरअसल हम सोवियत संघ के मिखाइल कलाशनिकोव के द्वारा बनाए गए अब तक कि सबसे खतरनाक असाल्ट राइफल एके-47 की बात नहीं कर रहे हैं. हम तो 70 के दशक के उस रामपुरिया चाकू की बात कर रहे हैं जिसे राजधानी रांची में एके-47 का नाम दे दिया गया है. राजधानी रांची के हर छोटे-मोटे अपराधी के पास यह एके-47 चाकू मौजूद है. जिसके बल पर भी अपराध की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं.

कई बड़े कांडों में भी हुआ प्रयोग
फरवरी महीने में ही रांची के एक रिटायर वन अधिकारी के घर में हुई डकैती में भी इसी हथियार का प्रयोग किया गया था. लूटपाट के दौरान किसी अपराधी का यह चाकू रिटायर वन अधिकारी के घर में ही छूट गया था. जिसे पुलिस ने बरामद कर लिया. दरअसल छोटे अपराधों के लिए यह हथियार एके-47 से कम नहीं है.

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छिनतई और लूट की वारदात
आमतौर पर यह छोटे अपराधी सड़क पर छिनतई और लूट की वारदातों को वैसे समय अंजाम देते हैं जिस समय सड़क पर भीड़ कम रहती है. उस समय अपराधियों का काम इस चाकू के बल पर ही चल जाता है और वह आसानी से मोबाइल और महिलाओं से सोने के चेन लूटकर फरार हो जाते हैं.

लगभग एक दर्जन वारदातों को अंजाम
रांची के कोतवाली थाना क्षेत्र से अब तक सबसे ज्यादा यह चाकू बरामद किए गए हैं. इसके अलावा रांची के लालपुर, अरगोड़ा, लोअर बाजार में भी अपराधियों की गिरफ्तारी के बाद यह चाकू बरामद किए गए हैं. पिछले साल लालपुर थाना क्षेत्र में तो इस चाकू के बल पर लगभग एक दर्जन वारदातों को अंजाम दिया गया था.

दुकानों में आसानी से है उपलब्ध
वैसे तो यह चाकू रामपुरिया चाकू के नाम से 70 के दशक से ही फेमस है. इसके कई प्रकार रांची के बाजारों में खुलेआम बिकते हैं. इसकी कीमत दो सौ रुपये से शुरू होती है जो एक हजार तक जाती है. खासकर एके-47 ब्रांड का चाकू सबसे अधिक बिक रहा है. इसकी कीमत बाजार में 600 रुपये है.

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दुकानदार परेशान
अपराधियों के द्वारा इस चाकू के इस्तेमाल की जाने की सूचना जब ईटीवी भारत को मिली तो हम ने बाजार जाकर कौन-कौन लोग इस चाकू को खरीदते हैं इसकी पड़ताल की. हालांकि जैसे ही इस चाकू के बारे में पूछताछ शुरू हुई दुकानदार परेशान हो गए. उन्हें लगा कि शायद पुलिसिया पूछताछ है. हालांकि समझाने पर उन्होंने नाम न छापने और चेहरा नहीं दिखाने की शर्त पर कहा कि कई लोग शौकिया तौर पर भी इस चाकू को रखते हैं. लेकिन अब कौन उसका प्रयोग अपराध की वारदातों के लिए करता है इसे पहचानना बड़ा मुश्किल है.

लड़कियां भी हैं खरीदार
रांची के कोतवाली थाना क्षेत्र के ही एक दुकानदार ने बताया कि इस चाकू का सबसे छोटा रूप जिसकी कीमत मात्र 150 रुपये है. उसकी सबसे ज्यादा खरीदार कॉलेज जाने वाली लड़कियां हैं. कॉलेज की लड़कियां इस चाकू को अपने पर्स में रखती हैं, ताकि समय आने पर वह अपनी सुरक्षा के लिए इसका इस्तेमाल कर सकें.

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चाकू पर रोक नहीं
भारत में चाकू-तलवार जैसे हथियार को बेचने पर रोक नहीं है. पर्व त्योहारों और कई धार्मिक कार्यों के लिए भी इनका प्रयोग किया जाता है. ऐसे में पुलिस चाह कर भी इस चाकू पर रोक नहीं लगा सकती है. हालांकि रांची के सीनियर एसपी अनीश गुप्ता जरूर यह कहते हैं कि इन चाकुओं की बिक्री करने वाले दुकानदारों को यह नसीहत दी जाएगी कि वह चाकू बेचने से पहले जरूरी जांच पड़ताल कर लें. जांच पड़ताल करने के बाद ही वह इस चाकू की बिक्री करें.

ये भी पढ़ें- महागठबंधन में JVM कहीं भी फिट नहीं बैठता: भाकपा माले

AK-47 ब्रांड बनाने वाले की तलाश
रांची पुलिस रामपुरिया चाकू को एके-47 का नया नाम देने वाले की तलाश कर रही है. पुलिस यह भी पता करने की कोशिश कर रही है कि क्या कंपनी से ही लिखकर एके-47 आता है या फिर अपराधी उसे खरीदने के बाद उसमें एके-47 लिख देते हैं.

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रांची: राजधानी रांची में हाल के दिनों में एके-47 नाम के हथियार का आतंक छाया हुआ है. हर छोटे-मोटे अपराधी के पास यह हथियार मौजूद है. जिसके बल पर वे लूटपाट की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं.

AK-47 चाकू

चौंकिए मत दरअसल हम सोवियत संघ के मिखाइल कलाशनिकोव के द्वारा बनाए गए अब तक कि सबसे खतरनाक असाल्ट राइफल एके-47 की बात नहीं कर रहे हैं. हम तो 70 के दशक के उस रामपुरिया चाकू की बात कर रहे हैं जिसे राजधानी रांची में एके-47 का नाम दे दिया गया है. राजधानी रांची के हर छोटे-मोटे अपराधी के पास यह एके-47 चाकू मौजूद है. जिसके बल पर भी अपराध की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं.

कई बड़े कांडों में भी हुआ प्रयोग
फरवरी महीने में ही रांची के एक रिटायर वन अधिकारी के घर में हुई डकैती में भी इसी हथियार का प्रयोग किया गया था. लूटपाट के दौरान किसी अपराधी का यह चाकू रिटायर वन अधिकारी के घर में ही छूट गया था. जिसे पुलिस ने बरामद कर लिया. दरअसल छोटे अपराधों के लिए यह हथियार एके-47 से कम नहीं है.

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छिनतई और लूट की वारदात
आमतौर पर यह छोटे अपराधी सड़क पर छिनतई और लूट की वारदातों को वैसे समय अंजाम देते हैं जिस समय सड़क पर भीड़ कम रहती है. उस समय अपराधियों का काम इस चाकू के बल पर ही चल जाता है और वह आसानी से मोबाइल और महिलाओं से सोने के चेन लूटकर फरार हो जाते हैं.

लगभग एक दर्जन वारदातों को अंजाम
रांची के कोतवाली थाना क्षेत्र से अब तक सबसे ज्यादा यह चाकू बरामद किए गए हैं. इसके अलावा रांची के लालपुर, अरगोड़ा, लोअर बाजार में भी अपराधियों की गिरफ्तारी के बाद यह चाकू बरामद किए गए हैं. पिछले साल लालपुर थाना क्षेत्र में तो इस चाकू के बल पर लगभग एक दर्जन वारदातों को अंजाम दिया गया था.

दुकानों में आसानी से है उपलब्ध
वैसे तो यह चाकू रामपुरिया चाकू के नाम से 70 के दशक से ही फेमस है. इसके कई प्रकार रांची के बाजारों में खुलेआम बिकते हैं. इसकी कीमत दो सौ रुपये से शुरू होती है जो एक हजार तक जाती है. खासकर एके-47 ब्रांड का चाकू सबसे अधिक बिक रहा है. इसकी कीमत बाजार में 600 रुपये है.

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दुकानदार परेशान
अपराधियों के द्वारा इस चाकू के इस्तेमाल की जाने की सूचना जब ईटीवी भारत को मिली तो हम ने बाजार जाकर कौन-कौन लोग इस चाकू को खरीदते हैं इसकी पड़ताल की. हालांकि जैसे ही इस चाकू के बारे में पूछताछ शुरू हुई दुकानदार परेशान हो गए. उन्हें लगा कि शायद पुलिसिया पूछताछ है. हालांकि समझाने पर उन्होंने नाम न छापने और चेहरा नहीं दिखाने की शर्त पर कहा कि कई लोग शौकिया तौर पर भी इस चाकू को रखते हैं. लेकिन अब कौन उसका प्रयोग अपराध की वारदातों के लिए करता है इसे पहचानना बड़ा मुश्किल है.

लड़कियां भी हैं खरीदार
रांची के कोतवाली थाना क्षेत्र के ही एक दुकानदार ने बताया कि इस चाकू का सबसे छोटा रूप जिसकी कीमत मात्र 150 रुपये है. उसकी सबसे ज्यादा खरीदार कॉलेज जाने वाली लड़कियां हैं. कॉलेज की लड़कियां इस चाकू को अपने पर्स में रखती हैं, ताकि समय आने पर वह अपनी सुरक्षा के लिए इसका इस्तेमाल कर सकें.

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चाकू पर रोक नहीं
भारत में चाकू-तलवार जैसे हथियार को बेचने पर रोक नहीं है. पर्व त्योहारों और कई धार्मिक कार्यों के लिए भी इनका प्रयोग किया जाता है. ऐसे में पुलिस चाह कर भी इस चाकू पर रोक नहीं लगा सकती है. हालांकि रांची के सीनियर एसपी अनीश गुप्ता जरूर यह कहते हैं कि इन चाकुओं की बिक्री करने वाले दुकानदारों को यह नसीहत दी जाएगी कि वह चाकू बेचने से पहले जरूरी जांच पड़ताल कर लें. जांच पड़ताल करने के बाद ही वह इस चाकू की बिक्री करें.

ये भी पढ़ें- महागठबंधन में JVM कहीं भी फिट नहीं बैठता: भाकपा माले

AK-47 ब्रांड बनाने वाले की तलाश
रांची पुलिस रामपुरिया चाकू को एके-47 का नया नाम देने वाले की तलाश कर रही है. पुलिस यह भी पता करने की कोशिश कर रही है कि क्या कंपनी से ही लिखकर एके-47 आता है या फिर अपराधी उसे खरीदने के बाद उसमें एके-47 लिख देते हैं.

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Intro:राजधानी रांची में हाल के दिनों में एके-47 नाम के हथियार का आतंक छाया हुआ है। हर छोटे-मोटे अपराधी के पास यह हथियार मौजूद है जिसके बल पर वे लूटपाट की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। पर आप चौंकिए मत दरअसल हम सोवियत संघ के मिखाइल कलाशनिकोव के द्वारा बनाए गए अब तक कि सबसे खतरनाक असाल्ट राइफल एके-47 की बात नहीं कर रहे हैं। हम तो 70 के दशक के उस रामपुरिया चाकू की बात कर रहे हैं जिसे राजधानी रांची में एके 47 का नाम दे दिया गया है। राजधानी रांची के हर छोटे-मोटे अपराधी के पास यह एके-47 चाकू मौजूद है जिसके बल पर भी अपराध की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।



कई बड़े कांडो में भी हुआ प्रयोग

फरवरी महीने में ही रांची के एक रिटायर वन अधिकारी के घर में हुई डकैती में भी इसी हथियार का प्रयोग किया गया था। लूटपाट के दौरान किसी अपराधी का यह चाकू रिटायर वन अधिकारी के घर में ही छूट गया था। जिसे पुलिस ने बरामद कर लिया। दरअसल छोटे अपराधों के लिए यह हथियार एके-47 से कम नहीं है। क्योंकि आमतौर पर यह छोटे अपराधी सड़क पर छिनतई और लूट की वारदातों को वैसे समय अंजाम देते हैं जिस समय सड़क पर भीड़ कम रहती है। उस समय अपराधियों का काम इस चाकू के बल पर ही चल जाता है और वह आसानी से मोबाइल और महिलाओं से सोने के चेन लूटकर फरार हो जाते हैं। रांची के कोतवाली थाना क्षेत्र से अब तक सबसे ज्यादा यह चाकू बरामद किए गए हैं ।इसके अलावा रांची के लालपुर, अरगोड़ा, लोअर बाजार में भी अपराधियों की गिरफ्तारी के बाद यह चाकू बरामद किए गए हैं। पिछले साल लालपुर थाना क्षेत्र में तो इस चाकू के बल पर लगभग एक दर्जन वारदातों को अंजाम दिया गया था।

दुकानों में आसानी से है उपलब्ध

वैसे तो यह चाकू रामपुरिया चाकू के नाम से 70 के दशक से ही फेमस है। इसके कई प्रकार रांची के बाजारों में खुलेआम बिकते हैं। इसकी कीमत दो सौ रुपए से शुरू होती है जो एक हजार तक जाती है। खासकर एके-47 ब्रांड का चाकू सबसे अधिक बिक रहा है। इसकी कीमत बाजार में 600 रुपये है।

दुकानदार परेशान

अपराधियों के द्वारा इस चाकू के इस्तेमाल की जाने की सूचना जब ईटीवी भारत को मिली तो हम ने बाजार जाकर कौन-कौन लोग इस चाकू को खरीदते हैं इसकी पड़ताल की। हालांकि जैसे ही इस चाकू के बारे में पूछताछ शुरू हुई दुकानदार परेशान हो गए । उन्हें लगा कि शायद पुलिसिया पूछताछ है। हालांकि समझाने पर उन्होंने नाम ना छापने और चेहरा नहीं दिखाने का शर्त पर कहा की कई लोग शौकिया तौर पर भी इस चाकू को रखते हैं ।लेकिन अब कौन उसका प्रयोग अपराध की वारदातों के लिए करता है इसे पहचाना बड़ा मुश्किल है।

लड़कियां भी है खरीदार

रांची के कोतवाली थाना क्षेत्र के ही एक दुकानदार ने बताया कि इस चाकू का सबसे छोटा रूप जिसकी कीमत मात्र 150 रुपये है। उसकी सबसे बड़ी खरीदार कॉलेज जाने वाली लड़कियां हैं। कॉलेज की लड़कियां इस चाकू को अपने पर्स में रखती हैं ,ताकि समय आने पर वह अपनी सुरक्षा के लिए इसका इस्तेमाल कर सके।

चाकू पर रोक नही

दरअसल भारत में चाकू - तलवार जैसे हथियार की बेचने पर रोक नहीं है ।पर्व त्योहारों और कई धार्मिक कार्यों के लिए भी इनका प्रयोग किया जाता है। ऐसे में पुलिस चाह कर भी इस चाकू पर रोक नहीं लगा सकती है। हालांकि रांची के सीनियर एसपी अनीश गुप्ता जरूर यह कहते हैं कि इन चाकुओं की बिक्री करने वाले दुकानदारों को यह नसीहत दी जाएगी कि वह चाकू बेचने से पहले जरूरी जांच पड़ताल कर ले। जांच पड़ताल करने के बाद ही वह इस चाकू की बिक्री करें।

एके 47 ब्रांड बनाने वाले कि तलाश

हालांकि रांची पुलिस रामपुरिया चाकू को एके-47 का नया नाम देने वाले की तलाश कर रही है। पुलिस यह भी पता करने की कोशिश कर रही है कि क्या कंपनी से ही लिखकर एके-47 आता है या फिर अपराधी उसे खरीदने के बाद उसमें एके-47 लिख देते है।





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