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सैकड़ों पासपोर्ट और 10 लाख नगद बरामदगी मामला, पासपोर्ट और आईटी विभाग के संपर्क में रांची पुलिस

रांची के बिरसा चौक से 1250 पासपोर्ट और 10 लाख रुपये नगद बरामदगी मामले में पुलिस की जांच तेज हो गई है. एसपी विनीत कुमार ने बताया कि इस मामले में पासपोर्ट और इनकम टैक्स की रिपोर्ट भी बेहद जरूरी है इसीलिए पुलिस पूरे मामले में सोच समझकर कदम उठाएगी.

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Published : Oct 13, 2020, 6:16 PM IST

रांची: बिरसा चौक से 1250 पासपोर्ट और 10 लाख रुपये नगद बरामदगी मामले में पुलिस की जांच तेज हो गई है. मामले को लेकर रांची पुलिस पासपोर्ट और इनकम टैक्स कार्यालय के संपर्क में है.

देखें पूरी खबर
अब तक जांच में क्या आया पुलिस की जांच में यह बात सामने आई है की राजेश प्रसाद और राजेश सिंह प्लेसमेंट एजेंसी चलाते हैं. एजेंसी बेरोजगार युवकों को विदेश में नौकरी के लिए भेजा करते थे. लेकिन पुलिस के जांच में यह अभी तक पता नहीं चल पाया है कि प्लेसमेंट एजेंसी का लाइसेंस है या नहीं. जितने भी पासपोर्ट जब्त किए गए हैं उसकी जांच पासपोर्ट कार्यालय से करवाई जा रही है. जांच के क्रम में अधिकांश पासपोर्ट सही पाए गए हैं. एसपी विनीत कुमार ने बताया कि इस मामले में पासपोर्ट और इनकम टैक्स की रिपोर्ट भी बेहद जरूरी है इसीलिए पुलिस पूरे मामले में सोच समझकर कदम उठाएगी. पुलिस की टीम ने इस मामले में राजेश प्रसाद को हिरासत में लिया है.प्लेसमेंट एजेंसी लाइसेंसी हैवहीं, 1,250 पासपोर्ट और 10 लाख रुपए नगद के साथ पकड़े गए राजेश प्रसाद ने बताया कि वह नहीं जानता कि 1,250 पासपोर्ट और 10 लाख रुपए नगद बैग में कहां से आया. वह राजेश सिंह के लिए काम किया करता था और उसी के कहने पर बैग जमशेदपुर लेकर जा रहा था. पूरे मामले को लेकर राजेश प्रसाद ने बताया कि उनका प्लेसमेंट एजेंसी लाइसेंसी है, अभी तक बहुत सारे लोगों को विदेश चुके हैं.

ये भी पढ़ें- धनबाद में हिमाचल प्रदेश के एडीजीपी के घर डकैती, गार्ड को बनाया बंधक


कैसे पकड़ में आया राजेश
सोमवार की रात पुलिस को सूचना मिली थी कि रांची के बिरसा चौक के पास भारी मात्रा में नकद रुपये और फर्जी पासपोर्ट रांची से जमशेदपुर भेजा जा रहा है. जगन्नाथपुर थाना प्रभारी अभय कुमार सिंह ने तत्काल छापेमारी की. इस दौरान मौके से एक कार से दो सूटकेस में रखे 10 लाख रुपये नकद और 1,250 पासपोर्ट बरामद किए गए. मौके से राजेश प्रसाद को हिरासत में ले लिया गया. हालांकि सोमवार को जांच में कोई भी पासपोर्ट फर्जी नहीं पाया गया.

कबूतरबाजी के संदेह पर जांच जारी
फिलहाल पुलिस यह पता लगा रही है कि कहीं यह मामला कबूतरबाजी का तो नहीं. लॉकडाउन में बेरोजगारों को बाहर भेजने की तैयारी तो नहीं थी. पुलिस इस मामले में एक-एक बिंदु पर जांच कर रही है, अगर साथ में सब कुछ सही पाया गया तो विरासत में दिए गए राजेश को रिहा भी किया जा सकता है.

रांची: बिरसा चौक से 1250 पासपोर्ट और 10 लाख रुपये नगद बरामदगी मामले में पुलिस की जांच तेज हो गई है. मामले को लेकर रांची पुलिस पासपोर्ट और इनकम टैक्स कार्यालय के संपर्क में है.

देखें पूरी खबर
अब तक जांच में क्या आया पुलिस की जांच में यह बात सामने आई है की राजेश प्रसाद और राजेश सिंह प्लेसमेंट एजेंसी चलाते हैं. एजेंसी बेरोजगार युवकों को विदेश में नौकरी के लिए भेजा करते थे. लेकिन पुलिस के जांच में यह अभी तक पता नहीं चल पाया है कि प्लेसमेंट एजेंसी का लाइसेंस है या नहीं. जितने भी पासपोर्ट जब्त किए गए हैं उसकी जांच पासपोर्ट कार्यालय से करवाई जा रही है. जांच के क्रम में अधिकांश पासपोर्ट सही पाए गए हैं. एसपी विनीत कुमार ने बताया कि इस मामले में पासपोर्ट और इनकम टैक्स की रिपोर्ट भी बेहद जरूरी है इसीलिए पुलिस पूरे मामले में सोच समझकर कदम उठाएगी. पुलिस की टीम ने इस मामले में राजेश प्रसाद को हिरासत में लिया है.प्लेसमेंट एजेंसी लाइसेंसी हैवहीं, 1,250 पासपोर्ट और 10 लाख रुपए नगद के साथ पकड़े गए राजेश प्रसाद ने बताया कि वह नहीं जानता कि 1,250 पासपोर्ट और 10 लाख रुपए नगद बैग में कहां से आया. वह राजेश सिंह के लिए काम किया करता था और उसी के कहने पर बैग जमशेदपुर लेकर जा रहा था. पूरे मामले को लेकर राजेश प्रसाद ने बताया कि उनका प्लेसमेंट एजेंसी लाइसेंसी है, अभी तक बहुत सारे लोगों को विदेश चुके हैं.

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कैसे पकड़ में आया राजेश
सोमवार की रात पुलिस को सूचना मिली थी कि रांची के बिरसा चौक के पास भारी मात्रा में नकद रुपये और फर्जी पासपोर्ट रांची से जमशेदपुर भेजा जा रहा है. जगन्नाथपुर थाना प्रभारी अभय कुमार सिंह ने तत्काल छापेमारी की. इस दौरान मौके से एक कार से दो सूटकेस में रखे 10 लाख रुपये नकद और 1,250 पासपोर्ट बरामद किए गए. मौके से राजेश प्रसाद को हिरासत में ले लिया गया. हालांकि सोमवार को जांच में कोई भी पासपोर्ट फर्जी नहीं पाया गया.

कबूतरबाजी के संदेह पर जांच जारी
फिलहाल पुलिस यह पता लगा रही है कि कहीं यह मामला कबूतरबाजी का तो नहीं. लॉकडाउन में बेरोजगारों को बाहर भेजने की तैयारी तो नहीं थी. पुलिस इस मामले में एक-एक बिंदु पर जांच कर रही है, अगर साथ में सब कुछ सही पाया गया तो विरासत में दिए गए राजेश को रिहा भी किया जा सकता है.

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