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गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर तस्कर के चंगुल से बचकर निकली नाबालिग, पुलिस ने दोबारा तस्कर को सौंप दी बच्ची!

झारखंड से मानव तस्कर एक नाबालिग लड़की को दिल्ली ले जा रहा था. इस दौरान बच्ची गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर पुलिस को भटकती मिली. हालांकि पुलिस ने परिजनों को सूचित करने के बजाए उसे एक स्थानीय एनजीओ को सौंप दिया. इसके बाद एनजीओ ने भी बिना तफ्तीश के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दोबारा फिर उसी कथित तस्कर को ही बच्ची सौंप दी.

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Published : Jul 26, 2019, 9:33 AM IST

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रांची: झारखंड की 14 साल की नाबालिग को कुछ तस्कर झांसा देकर दिल्ली ले जा रहे थे. इस दौरान गाजियाबाद स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 3 पर नाबालिग को गाजियाबाद जीआरपी ने बरामद किया. हालांकि गाजियाबाद रेल पुलिस ने परिजनों को सूचित करने के बजाए स्थानीय एनजीओ को सौंप दिया. स्थानीय एनजीओ ने भी लापरवाही बरतते हुए बिना सत्यापन के नाबालिग को तस्कर दिलीप किडो को ही सौंप दिया.
नाबालिग के परिजन गुरुवार को सिल्ली से दिल्ली के लिए रवाना हुए हैं. परिजनों की शिकायत है कि पूरे मामले में उन्होंने सिल्ली थाने में एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश भी की, लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की.

9 जुलाई को अचानक गायब हो गई नाबालिग
परिजनों के मुताबिक, नाबालिग 9 जुलाई की शाम 6 बजे तक घर नहीं आई. 10 जून को नाबालिग की बड़ी बहन के मोबाइल पर फोन आया. फोन करने वाले ने बताया कि नाबालिग अब 15 साल के बाद घर आएगी. उसे जीआरपी गाजियाबाद ने पकड़ लिया है. नाबालिग के परिजनों के मुताबिक, फोन आने के बाद सभी मूरी जीआरपी गए. वहां से गाजियाबाद जीआरपी से संपर्क किया गया, तो बताया गया की बच्ची को किसी एनजीओ को सौंपा गया है.

कैसे गाजियाबाद जीआरपी व एनजीओ ने छोड़ा
गाजियाबाद जीआरपी की एंट्री के मुताबिक, पुलिस ने कथित दिलीप किडो ने आधार कार्ड और दूसरे दस्तावेज दिखाकर खुद को बच्ची का भाई बताया. दिलीप ने सबूत के तौर पर नाबालिग का आधार कार्ड जीआरपी गाजियाबाद को दिया. आधारकार्ड में नाबालिग का पता रांची के सिल्ली का दर्ज है. इसके बाद तस्कर दिलीप किडो नाबालिग को अपने साथ लेकर चला गया. हालांकि बाद में पुलिस को पता चला कि ये सभा दस्तावेज फर्जी हैं.

बच्ची की तलाश जारी
सीआईडी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत बच्ची को बरामद करने के लिए दिल्ली पुलिस से संपर्क में है. बच्ची के मां-बाप भी सीआईडी की टीम के साथ दिल्ली रवाना हो चुके हैं. वो वहां पुलिस की टीम के साथ बच्ची को खोजने में मदद करेंगे.

रांची: झारखंड की 14 साल की नाबालिग को कुछ तस्कर झांसा देकर दिल्ली ले जा रहे थे. इस दौरान गाजियाबाद स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 3 पर नाबालिग को गाजियाबाद जीआरपी ने बरामद किया. हालांकि गाजियाबाद रेल पुलिस ने परिजनों को सूचित करने के बजाए स्थानीय एनजीओ को सौंप दिया. स्थानीय एनजीओ ने भी लापरवाही बरतते हुए बिना सत्यापन के नाबालिग को तस्कर दिलीप किडो को ही सौंप दिया.
नाबालिग के परिजन गुरुवार को सिल्ली से दिल्ली के लिए रवाना हुए हैं. परिजनों की शिकायत है कि पूरे मामले में उन्होंने सिल्ली थाने में एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश भी की, लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की.

9 जुलाई को अचानक गायब हो गई नाबालिग
परिजनों के मुताबिक, नाबालिग 9 जुलाई की शाम 6 बजे तक घर नहीं आई. 10 जून को नाबालिग की बड़ी बहन के मोबाइल पर फोन आया. फोन करने वाले ने बताया कि नाबालिग अब 15 साल के बाद घर आएगी. उसे जीआरपी गाजियाबाद ने पकड़ लिया है. नाबालिग के परिजनों के मुताबिक, फोन आने के बाद सभी मूरी जीआरपी गए. वहां से गाजियाबाद जीआरपी से संपर्क किया गया, तो बताया गया की बच्ची को किसी एनजीओ को सौंपा गया है.

कैसे गाजियाबाद जीआरपी व एनजीओ ने छोड़ा
गाजियाबाद जीआरपी की एंट्री के मुताबिक, पुलिस ने कथित दिलीप किडो ने आधार कार्ड और दूसरे दस्तावेज दिखाकर खुद को बच्ची का भाई बताया. दिलीप ने सबूत के तौर पर नाबालिग का आधार कार्ड जीआरपी गाजियाबाद को दिया. आधारकार्ड में नाबालिग का पता रांची के सिल्ली का दर्ज है. इसके बाद तस्कर दिलीप किडो नाबालिग को अपने साथ लेकर चला गया. हालांकि बाद में पुलिस को पता चला कि ये सभा दस्तावेज फर्जी हैं.

बच्ची की तलाश जारी
सीआईडी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत बच्ची को बरामद करने के लिए दिल्ली पुलिस से संपर्क में है. बच्ची के मां-बाप भी सीआईडी की टीम के साथ दिल्ली रवाना हो चुके हैं. वो वहां पुलिस की टीम के साथ बच्ची को खोजने में मदद करेंगे.

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रांची।
झारखंड की 14 साल की नाबालिग को तस्कर झांसा देकर दिल्ली ले जा रहे थे। रास्ते में गाजियाबाद स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर तीन पर नाबालिग गाजियाबाद जीआरपी ने बरामद किया। लेकिन बजाय परिजनों को सौंपने के गाजियाबाद रेल पुलिस और स्थानीय एनजीओ ने बगैर सत्यापन नाबालिग को तस्कर दिलीप किडो को ही सौंप दिया। नाबालिग के परिजन गुरुवार को सिल्ली से दिल्ली के लिए रवाना हुए। परिजनों की शिकायत थी कि पूरे मामले में उन्होंने सिल्ली थाने में एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश भी की, लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं किया।

9 जुलाई को अचानक गायब हो गई थी नाबालिग

परिजनों के मुताबिक, नाबालिग 9 जुलाई की शाम छह बजे तक घर नहीं आयी। 10 जून को नाबालिग की बड़ी बहन के मोबाइल नंबर पर मोबाइल नंबर 8826595408 से फोन आया। फोन करने वाले ने बताया कि नाबालिग अब पंद्रह साल के बाद घर आएगी। उसे जीआरपी गाजियाबाद ने पकड़ लिया है। नाबालिग के परिजनों के मुताबिक, फोन आने के बाद सभी मूरी जीआरपी गए। वहां से गाजियाबाद जीआरपी से संपर्क किया गया, तब बताया गया की बच्ची को किसी एनजीओ को सौंपा गया है।

कैसे गाजियाबाद जीआरपी व एनजीओ ने छोड़ा

गाजियाबाद जीआरपी की इंट्री के मुताबिक, बच्ची के भाई से संपर्क के बाद उसे भाई दिलीप किडो को सौंप दिया गया। लेकिन चौकानें वाली बात यह है कि तस्कर दिलीप किंडो का आधार कार्ड सिमडेगा के पते पर बना है, वहीं दिलीप ने सबूत के तौर पर नाबालिग का आधार कार्ड जीआरपी गाजियाबाद को दिया है, उस आधारकार्ड में नाबालिग का पता रांची के सिल्ली का दर्ज है।

बच्ची की तलाश जारी

सीआईडी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत बच्ची को बरामद करने दिल्ली पुलिस से संपर्क में है। बच्ची के मां-बाप भी सीआईडी की टीम के साथ दिल्ली रवाना हो चुके हैं ।वह वहां पुलिस की टीम के साथ बच्ची को खोजने में मदद करेंगे।Body:1Conclusion:2
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