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हजारीबाग गौशाला का हाल बेहाल, दान-दक्षिणा से मिल रहा गाय को चारा

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Published : Mar 19, 2021, 4:36 PM IST

Updated : Mar 20, 2021, 3:04 PM IST

हजारीबाग स्थित झारखंड की सबसे पुरानी गौशाला पिंजरापोल की स्थिति अब बदहाल है. शुरूआती दौर में जिस उद्देश्य से यह गौशाला स्थापित की गई थी, आज उस उद्देश्य की पूर्ति करने में गौशाला समिति असमर्थ है. गायों की न सही से देखभाल हो पा रही, न ही उनके खुराक की अच्छी व्यवस्था है. ऐसे में गाय गोद लेने वाला गौशाला अब गाय गोद देने की योजना बना रही है.

Pinjarapol Gaushala of hazaribag in bad condition
पिंजरापोल गौशाला

हजारीबागः देश के सबसे पुराने गौशाला में से एक हजारीबाग स्थित पिंजरापोल गौशाला है. इन दिनों इस गौशाला का हाल बेहाल है. चंदा से यह गौशाला चल रही है. जिला प्रशासन के ऊपर लगभग 50 लाख रुपए गौशाला का बकाया हो चुका है. ऐसे में अब समिति का गौशाला चलाना मुश्किल हो रहा है. आलम यह है कि गौशाला प्रबंधन समिति गाय गोद देने की योजना बना रही है ताकि गायों को चारा मिल सके.

देखें पूरी खबर

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क्षमता से अधिक रखी गई हैं गाय

यहा क्षमता से 65% अधिक गाय रखी जा रही है, जबकि संसाधनों की घोर कमी है. गौशाला में 350 गाय रखने की क्षमता थी. आज के समय में 500 से अधिक गाय यहां रह रही हैं. इन गायों को खिलाने के लिए सरकार से मिलने वाली अनुदान राशि भी अब नहीं मिल रही है. पशु हत्या प्रतिशोध अधिनियम 2005 में लागू किया गया. इसके बाद से जब भी गाय पकड़ी जाती है. जिला प्रशासन और आसपास से तो इसी गौशाला में गाय भेजी जाती हैं.

2 साल से नहीं मिला फंड

पहले सरकार की तरफ से 25 रुपए और फिर बाद में 50 रुपए प्रति दिन खुराक देने की व्यवस्था थी. 2 साल पहले तक तो पैसा दिया गया लेकिन पिछले 2 साल से गौशाला को फंड नहीं मिल रहा है. ऐसे में समिति के लोग कहते हैं कि वो बहुत ही विकट परिस्थिति से चल रहे हैं.

गौशाला चलाना बहुत ही चुनौती भरा होता जा रहा है. गायों को पर्याप्त पौष्टिक आहार अब नहीं मिल रहा है. झारखंड गौ सेवा आयोग के नियम अनुसार 50 रुपए प्रतिदिन गाय का खर्च जिला प्रशासन को देना है. हजारीबाग जिला प्रशासन ने 45 लाख रुपए सुकृति कर अनुमोदन के लिए गौ सेवा आयोग को भी भेजा है, लेकिन लालफीताशाही के कारण अब तक फंड फंसा हुआ है. ऐसे में आयोग पर भी अब सवाल उठने लगे हैं. यह चिंता का विषय है कि जब आयोग ही गंभीर ना हो तो जिला प्रशासन कैसे पैसा भुगतान करेगा.

ये भी पढ़ें-हाई कोर्ट ने पूछा, रांची के हिनू में नदी पर कैसे बना होटल? जवाब दें RMC

हजारीबाग पिंजरापोल गौशाला में 500 से अधिक गाय हैं, उन्हें स्वास्थ्य चिकित्सा की पर्याप्त व्यवस्था भी नहीं मिल पा रही है. गौशाला संचालन अपने खर्च पर गायों का इलाज भी करवाती है. पशुपालन विभाग की ओर से गौशाला में चिकित्सा केंद्र बनाया गया है लेकिन जांच के लिए चिकित्सक कभी-कभी ही आते हैं. ऐसे में संचालन समिति भी गाय के स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर परेशान रहती है.

गौशाला में अधिकतर गाय हो गईं बूढ़ी

संचालन समिति का कहना है कि हजारीबाग के व्यापारियों, गौरक्षक और समाजसेवियों की ओर से वो चंदा लेते हैं. रविवार के दिन भिक्षाटन किया जाता है. गौशाला में 90% गाय बूढ़ी हो गई हैं. इससे दूध का भी उत्पादन नहीं हो पाता है. ऐसे में समिति के लोगों ने योजना बनायी है कि समाज के लोग सूखी गाय को गोद लें प्रतिमाह 1700 रुपए उन्हें देना होगा. ऐसे में 1 रुपए के आसपास वह गौशाला को दान करेंगे. दान करने वाले उस गाय का नामकरण भी अपने अनुसार कर सकते हैं. इससे समिति को यह फायदा होता है कि गाय का खर्च निकल जाता है. अब तक 12 गाय विभिन्न समाजसेवी युवकों की ओर से गोद भी ली जा चुकी है. सरकारी उदासीनता के कारण झारखंड का सबसे पुराना गौशाला का हाल बेहाल है. जरूरत है सरकार को भी संज्ञान लेने की ताकि गायों को चारा मिल सके.

हजारीबागः देश के सबसे पुराने गौशाला में से एक हजारीबाग स्थित पिंजरापोल गौशाला है. इन दिनों इस गौशाला का हाल बेहाल है. चंदा से यह गौशाला चल रही है. जिला प्रशासन के ऊपर लगभग 50 लाख रुपए गौशाला का बकाया हो चुका है. ऐसे में अब समिति का गौशाला चलाना मुश्किल हो रहा है. आलम यह है कि गौशाला प्रबंधन समिति गाय गोद देने की योजना बना रही है ताकि गायों को चारा मिल सके.

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क्षमता से अधिक रखी गई हैं गाय

यहा क्षमता से 65% अधिक गाय रखी जा रही है, जबकि संसाधनों की घोर कमी है. गौशाला में 350 गाय रखने की क्षमता थी. आज के समय में 500 से अधिक गाय यहां रह रही हैं. इन गायों को खिलाने के लिए सरकार से मिलने वाली अनुदान राशि भी अब नहीं मिल रही है. पशु हत्या प्रतिशोध अधिनियम 2005 में लागू किया गया. इसके बाद से जब भी गाय पकड़ी जाती है. जिला प्रशासन और आसपास से तो इसी गौशाला में गाय भेजी जाती हैं.

2 साल से नहीं मिला फंड

पहले सरकार की तरफ से 25 रुपए और फिर बाद में 50 रुपए प्रति दिन खुराक देने की व्यवस्था थी. 2 साल पहले तक तो पैसा दिया गया लेकिन पिछले 2 साल से गौशाला को फंड नहीं मिल रहा है. ऐसे में समिति के लोग कहते हैं कि वो बहुत ही विकट परिस्थिति से चल रहे हैं.

गौशाला चलाना बहुत ही चुनौती भरा होता जा रहा है. गायों को पर्याप्त पौष्टिक आहार अब नहीं मिल रहा है. झारखंड गौ सेवा आयोग के नियम अनुसार 50 रुपए प्रतिदिन गाय का खर्च जिला प्रशासन को देना है. हजारीबाग जिला प्रशासन ने 45 लाख रुपए सुकृति कर अनुमोदन के लिए गौ सेवा आयोग को भी भेजा है, लेकिन लालफीताशाही के कारण अब तक फंड फंसा हुआ है. ऐसे में आयोग पर भी अब सवाल उठने लगे हैं. यह चिंता का विषय है कि जब आयोग ही गंभीर ना हो तो जिला प्रशासन कैसे पैसा भुगतान करेगा.

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हजारीबाग पिंजरापोल गौशाला में 500 से अधिक गाय हैं, उन्हें स्वास्थ्य चिकित्सा की पर्याप्त व्यवस्था भी नहीं मिल पा रही है. गौशाला संचालन अपने खर्च पर गायों का इलाज भी करवाती है. पशुपालन विभाग की ओर से गौशाला में चिकित्सा केंद्र बनाया गया है लेकिन जांच के लिए चिकित्सक कभी-कभी ही आते हैं. ऐसे में संचालन समिति भी गाय के स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर परेशान रहती है.

गौशाला में अधिकतर गाय हो गईं बूढ़ी

संचालन समिति का कहना है कि हजारीबाग के व्यापारियों, गौरक्षक और समाजसेवियों की ओर से वो चंदा लेते हैं. रविवार के दिन भिक्षाटन किया जाता है. गौशाला में 90% गाय बूढ़ी हो गई हैं. इससे दूध का भी उत्पादन नहीं हो पाता है. ऐसे में समिति के लोगों ने योजना बनायी है कि समाज के लोग सूखी गाय को गोद लें प्रतिमाह 1700 रुपए उन्हें देना होगा. ऐसे में 1 रुपए के आसपास वह गौशाला को दान करेंगे. दान करने वाले उस गाय का नामकरण भी अपने अनुसार कर सकते हैं. इससे समिति को यह फायदा होता है कि गाय का खर्च निकल जाता है. अब तक 12 गाय विभिन्न समाजसेवी युवकों की ओर से गोद भी ली जा चुकी है. सरकारी उदासीनता के कारण झारखंड का सबसे पुराना गौशाला का हाल बेहाल है. जरूरत है सरकार को भी संज्ञान लेने की ताकि गायों को चारा मिल सके.

Last Updated : Mar 20, 2021, 3:04 PM IST
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