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झारखंड सरकार की नियोजन नीति के खिलाफ हाई कोर्ट में पीआईएल दायर, नियमों को दी गई चुनौती - Jharkhand High Court

झारखंड सरकार की नियोजन नीति को झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है. इसको लेकर हाई कोर्ट में पीआईएल दायर कर की गई है.

PIL filed in Jharkhand High Court regarding State government Niyojan Niti
PIL filed in Jharkhand High Court regarding State government Niyojan Niti
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Published : Sep 28, 2021, 7:34 PM IST

Updated : Sep 28, 2021, 7:45 PM IST

रांचीः झारखंड सरकार की नयी नियोजन नीति झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है. याचिकाकर्ता एकता विकास मंच नामक संस्था है, जिसने अदालत में जनहित याचिका दायर कर नई नियोजन नीति को चुनौती दी है. याचिका में नियोजन नीति में कई खामियां बताई गई हैं, साथ ही संविधान के अनुरूप ना होने का आरोप लगाया गया है, इसलिए इस नीति को रद्द करने की मांग की है.

इसे भी पढ़ें- झारखंड सरकार की नियोजन नीति को चुनौती, रमेश हांसदा ने हाई कोर्ट में दायर की याचिका

याचिकाकर्ता एकता विकास मंच नामक संस्था के अधिवक्ता ने जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने बताया कि झारखंड सरकार की ओर से बनाई गयी नई नियमावली संविधान की मूल भावना के अनुकूल नहीं है, यह संविधान सम्मत नहीं है. नियोजन नीति का राजनीतिकरण किया गया है. राजनीतिक मंशा के कारण कुछ स्थानीय भाषा के साथ उर्दू को शामिल किया गया है. जो राज्य सरकार के तुष्टिकरण की राजनीति को दर्शाता है, ऐसा आरोप लगाया गया है.

उन्होंने कहा कि राज्य के सभी सरकारी स्कूल में जब हिंदी माध्यम से पढ़ाई होती है तो कर्मचारी चयन आयोग के द्वारा ली जाने वाली परीक्षा में हिंदी ही नहीं रहेगी तो अभ्यर्थी कैसे परीक्षा देगा. उर्दू एक खास वर्ग एक खास स्कूल में पढ़ाया जाता है. उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए जान-बूझकर यह किया गया है. इसलिए उन्होंने अदालत से यह गुहार लगाई है कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा ली जाने वाली परीक्षा के जो नियम बनाए गए हैं उसमें हिंदी भाषा को जोड़ने का आदेश दिया जाए और पहले से जो बनाए नियम हैं, उसे रद्द कर दी जाए.

झारखंड सरकार की नई नियुक्ति नियमावली को इससे पहले भी याचिकाकर्ता रमेश हांसदा एक रिट याचिका दायर कर चुनौती दी गई है, यह दूसरी बार है जो जनहित याचिका दायर कर नई नियमावली को रद्द करने की मांग की गई है. अब देखना होगा कि हाई कोर्ट में मामले पर कब सुनवाई होती है, क्या आदेश दिया जाता है. प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र की नजर झारखंड हाई कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई है.

रांचीः झारखंड सरकार की नयी नियोजन नीति झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है. याचिकाकर्ता एकता विकास मंच नामक संस्था है, जिसने अदालत में जनहित याचिका दायर कर नई नियोजन नीति को चुनौती दी है. याचिका में नियोजन नीति में कई खामियां बताई गई हैं, साथ ही संविधान के अनुरूप ना होने का आरोप लगाया गया है, इसलिए इस नीति को रद्द करने की मांग की है.

इसे भी पढ़ें- झारखंड सरकार की नियोजन नीति को चुनौती, रमेश हांसदा ने हाई कोर्ट में दायर की याचिका

याचिकाकर्ता एकता विकास मंच नामक संस्था के अधिवक्ता ने जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने बताया कि झारखंड सरकार की ओर से बनाई गयी नई नियमावली संविधान की मूल भावना के अनुकूल नहीं है, यह संविधान सम्मत नहीं है. नियोजन नीति का राजनीतिकरण किया गया है. राजनीतिक मंशा के कारण कुछ स्थानीय भाषा के साथ उर्दू को शामिल किया गया है. जो राज्य सरकार के तुष्टिकरण की राजनीति को दर्शाता है, ऐसा आरोप लगाया गया है.

उन्होंने कहा कि राज्य के सभी सरकारी स्कूल में जब हिंदी माध्यम से पढ़ाई होती है तो कर्मचारी चयन आयोग के द्वारा ली जाने वाली परीक्षा में हिंदी ही नहीं रहेगी तो अभ्यर्थी कैसे परीक्षा देगा. उर्दू एक खास वर्ग एक खास स्कूल में पढ़ाया जाता है. उन्हें लाभ पहुंचाने के लिए जान-बूझकर यह किया गया है. इसलिए उन्होंने अदालत से यह गुहार लगाई है कि झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा ली जाने वाली परीक्षा के जो नियम बनाए गए हैं उसमें हिंदी भाषा को जोड़ने का आदेश दिया जाए और पहले से जो बनाए नियम हैं, उसे रद्द कर दी जाए.

झारखंड सरकार की नई नियुक्ति नियमावली को इससे पहले भी याचिकाकर्ता रमेश हांसदा एक रिट याचिका दायर कर चुनौती दी गई है, यह दूसरी बार है जो जनहित याचिका दायर कर नई नियमावली को रद्द करने की मांग की गई है. अब देखना होगा कि हाई कोर्ट में मामले पर कब सुनवाई होती है, क्या आदेश दिया जाता है. प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र की नजर झारखंड हाई कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई है.

Last Updated : Sep 28, 2021, 7:45 PM IST
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