रांचीः झारखंड सरकार की ओर से 25 मई तक के लिए बढ़ाए गए स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के लिए दिए गए गाइडलाइंस जिसमें ई-पास लेने का प्रावधान किया गया है जो 16 मई से लागू होना है. इसे झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई है. याचिका के माध्यम से अदालत से सरकार के दिए गए निर्देश में कुछ संशोधन करने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता राजन कुमार सिंह ने जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने अपनी याचिका के माध्यम से अदालत से यह मांग की है कि झारखंड सरकार के 16 मई से लागू किए जाने वाले गाइडलाइंस में कुछ संशोधन किए जाएं.
ये भी पढ़ें- 16 मई से ई-पास लेकर घर से निकलना होगा अनिवार्य, जानिए कैसे करें ऑनलाइन आवेदन
उनका कहना है कि, झारखंड सरकार ने गाड़ी से बाहर जाने के दौरान ई-पास लेने का निर्देश दिया है उसमें कुछ राहत दी जाए. उनका कहना है कि अगर किसी के घर में बच्चे का दूध खत्म हो जाता है और उसके अगल-बगल की दुकान में बच्चे का दूध नहीं मिलता है तो वह पहले ई-पास बनवाएगा या फिर दूध लेने जाएगा.
तो मदद करना हो जाएगा दुर्लभ.....
उन्होंने दूसरी बात यह कही है कि अगर किसी के संबंधी जो दूसरे मोहल्ले में रहते हैं, कोविड-19 संक्रमित हैं, वे अपने घर में क्वॉरेंटाइन हैं तो उनको मदद करने के लिए कभी दवाई की जरूरत होती है, कभी दूध की जरूरत होती है, कभी खाना देना पड़ता है जो दिन में कई बार लोगों को उसकी मदद के लिए जाना पड़ता है. ऐसी परिस्थिति में अगर वे पहले ई-पास बनाएंगे तो मदद करना दुर्लभ हो जाएगा. इसलिए उन्होंने हाई कोर्ट से आग्रह किया है कि झारखंड सरकार के दिए गए गाइडलाइंस में कुछ सुधार करने का निर्देश दिया जाए.
झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हाई लेवल मीटिंग कर 2 दिन पूर्व ही यह निर्णय लिया गया है कि, राज्य में 25 मई तक के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह की अवधि को विस्तार किया गया है और इसे ओर सख्ती से लागू करने के लिए यह निर्देश दिया गया है कि, जो भी व्यक्ति अनिवार्य सेवा के अलावा घर से बाहर निकलता है तो उन्हें ई-पास बनवाना अनिवार्य होगा.