ETV Bharat / city

नौकरी छोड़ खेती कर कायम की मिसाल, दे रहे बेरोजगारों को रोजगार

राजधानी से सटे ओरमांझा के रहने वाले एक किसान ने इजराइल से प्रभावित होकर खेती में पारंगत हासिल कर ली. इन दिनों ये सालाना 12 लाख की आमदनी के साथ 15 लोगों को रोजगार दे रहे हैं और खेती करने के तरीकों को किसानों के बीच जाकर उन्हें बता रहे है.

खेती कर मिसाल कायम की
author img

By

Published : Jul 15, 2019, 6:54 PM IST

रांची: देश में अन्नदाताओं की स्थिति किसी से छिपी नहीं है. खेतों में पसीना बहाने के बाद भी इनके हिस्से जादातर मामलों में मायूसी ही हाथ लगती है. कभी मौसम की बेरुखी, कभी खराब बीज, कभी ओलावृष्टि तो कभी सूखा. इन शब्दों के जाल में ही फंसा रहता है किसान.

देखें पूरी खबर

दिन रात मेहनत के बाद जब फसल बेचने की बारी आती है तो मुनाफा के नाम पर मुट्ठी बंद ही रह जाती है, यही वजह है कि आज के ज्यादातर युवा अपनी परंपरागत खेती बाड़ी का काम छोड़कर शहरों की ओर भाग रहे हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि खेती में सिर्फ नुकसान ही हुआ है. मुनाफा संभव है लेकिन इसके लिए तरीका बदलना होगा.

इसके लिए रांची के ओरमांझी में रहने वाले किसान श्यामसुंदर बेदिया से सीखने की जरूरत है. खेती में नुकसान के बाद श्याम सुंदर ने प्राइवेट नौकरी पकड़ ली थी. इसी बीच उन्हें सरकार की तरफ से इजराइल जाने का मौका मिला. जिसके बाद उनके जीवन में टर्निंग प्वाइंट आ गया.

इजराइल से प्रभावित होकर श्याम सुंदर ने आधुनिक तरीके से खेती करना शुरू किया और आज वह पूरे इलाके में मिसाल बने हुए हैं. इनके पास पुश्तैनी खेत बहुत कम थी. लिहाजा अपने रिश्तेदारों के खाली पड़ी जमीन को लीज पर लिया और आज 13 एकड़ में नगदी फसल उगा रहे हैं.

फिलहाल श्याम सुंदर, आधुनिक तरीके से केला, बैगन, करेला, भिंडी के साथ-साथ फूलों में गुलाब, गेंदा और जरबेरा फूल की खेती कर रहे हैं. इनके खेतों में करीब 15 लोग काम भी करते हैं. सब खर्चा निकालने के बाद साल में इनकी कमाई 10 से 12 लाख रूपय होती है.

ये भी पढ़ें- झारखंड के 31 स्थानों को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में मिली पहचान, सौंदर्यीकरण में लगेंगे 2.15 करोड़

श्याम सुंदर ने बताया कि उस इलाके में खेती का ट्रेंड बदल दिया है. ओरमांझी और अनगड़ा इलाके में घूम-घूम कर किसानों को यह बताते हैं कि उन्हें किस फसल की खेती कब और कैसे करनी चाहिए. श्यामसुंदर इस बात पर फोकस करते हैं कि पूरे इलाके के किसान किसी एक ही फसल की खेती न करें. क्योंकि एक ही फसल की भरमार होगी तो उसका वाजिब बाजार मूल्य नहीं मिलेगा.

रांची: देश में अन्नदाताओं की स्थिति किसी से छिपी नहीं है. खेतों में पसीना बहाने के बाद भी इनके हिस्से जादातर मामलों में मायूसी ही हाथ लगती है. कभी मौसम की बेरुखी, कभी खराब बीज, कभी ओलावृष्टि तो कभी सूखा. इन शब्दों के जाल में ही फंसा रहता है किसान.

देखें पूरी खबर

दिन रात मेहनत के बाद जब फसल बेचने की बारी आती है तो मुनाफा के नाम पर मुट्ठी बंद ही रह जाती है, यही वजह है कि आज के ज्यादातर युवा अपनी परंपरागत खेती बाड़ी का काम छोड़कर शहरों की ओर भाग रहे हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि खेती में सिर्फ नुकसान ही हुआ है. मुनाफा संभव है लेकिन इसके लिए तरीका बदलना होगा.

इसके लिए रांची के ओरमांझी में रहने वाले किसान श्यामसुंदर बेदिया से सीखने की जरूरत है. खेती में नुकसान के बाद श्याम सुंदर ने प्राइवेट नौकरी पकड़ ली थी. इसी बीच उन्हें सरकार की तरफ से इजराइल जाने का मौका मिला. जिसके बाद उनके जीवन में टर्निंग प्वाइंट आ गया.

इजराइल से प्रभावित होकर श्याम सुंदर ने आधुनिक तरीके से खेती करना शुरू किया और आज वह पूरे इलाके में मिसाल बने हुए हैं. इनके पास पुश्तैनी खेत बहुत कम थी. लिहाजा अपने रिश्तेदारों के खाली पड़ी जमीन को लीज पर लिया और आज 13 एकड़ में नगदी फसल उगा रहे हैं.

फिलहाल श्याम सुंदर, आधुनिक तरीके से केला, बैगन, करेला, भिंडी के साथ-साथ फूलों में गुलाब, गेंदा और जरबेरा फूल की खेती कर रहे हैं. इनके खेतों में करीब 15 लोग काम भी करते हैं. सब खर्चा निकालने के बाद साल में इनकी कमाई 10 से 12 लाख रूपय होती है.

ये भी पढ़ें- झारखंड के 31 स्थानों को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में मिली पहचान, सौंदर्यीकरण में लगेंगे 2.15 करोड़

श्याम सुंदर ने बताया कि उस इलाके में खेती का ट्रेंड बदल दिया है. ओरमांझी और अनगड़ा इलाके में घूम-घूम कर किसानों को यह बताते हैं कि उन्हें किस फसल की खेती कब और कैसे करनी चाहिए. श्यामसुंदर इस बात पर फोकस करते हैं कि पूरे इलाके के किसान किसी एक ही फसल की खेती न करें. क्योंकि एक ही फसल की भरमार होगी तो उसका वाजिब बाजार मूल्य नहीं मिलेगा.

Intro:
एक किसान पर इजरायल दौरे का ऐसा पड़ा प्रभाव कि नौकरी छोड़ खेती के क्षेत्र में खुद को बना डाला मिसाल


रांची

देश में अन्नदाताओं की स्थिति कैसी है यह किसी से छिपी नहीं है। खेतों में पसीना बहाने के बाद भी इनके हिस्से जातर मामलों में मायूसी ही हाथ लगती है। कभी मौसम की बेरुखी, कभी खराब बीज, कभी ओलावृष्टि तो कभी सूखा। इन शब्दों के जाल में ही फंसा रहता है किसान। दिन रात मेहनत के बाद जब फसल बेचने की बारी आती है तो मुनाफा के नाम पर मुट्ठी बंद ही रह जाती है। यही वजह है कि आज के ज्यादातर युवा अपनी परंपरागत खेती बाड़ी का काम छोड़कर शहरों की ओर भाग रहे हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि खेती में सिर्फ नुकसान ही है। मुनाफा संभव है लेकिन इसके लिए तरीका बदलना होगा। इसके लिए रांची के ओरमांझी के किसान ने श्यामसुंदर बेदिया से सीखने की जरूरत है। खेती में नुकसान के बाद श्याम सुंदर ने प्राइवेट नौकरी पकड़ ली थी। इसी बीच उन्हें सरकार की तरफ से इजराइल जाने का मौका मिला। और यहीं से श्याम सुंदर के जीवन में टर्निंग प्वाइंट आ गया। इजराइल से प्रभावित होकर श्याम सुंदर ने आधुनिक तरीके से खेती करना शुरू किया और आज वह पूरे इलाके में मिसाल बने हुए हैं। इनके पास पुश्तैनी खेत बहुत कम था लिहाजा अपने रिश्तेदारों की के खाली पड़ी जमीन को लीज पर लिया और आज 13 एकड़ में नगदी फसल उगा रहे हैं। फिलहाल श्याम सुंदर , आधुनिक तरीके से केला , बैगन , करेला, भिंडी के साथ साथ फूलों में गुलाब , गेंदा और जरबेरा फूल की खेती कर रहे हैं । इनके खेतों में करीब 15 लोग काम भी करते हैं। सब खर्चा निकालने के बाद साल में इनकी कमाई 10 से 12 लाख रूपय होती है। श्याम सुंदर से बात कि हमारे सहयोगी विजय कुमार गोप ने।





Body:श्याम सुंदर ने उस इलाके में खेती का ट्रेंड बदल दिया है। ओरमांझी और अनगड़ा इलाके में घूम-घूम कर किसानों को यह बताते हैं कि उन्हें किस फसल की खेती कब और कैसे करनी चाहिए। श्यामसुंदर इस बात पर फोकस करते हैं कि पूरे इलाके के किसान किसी एक ही फसल की खेती न करें। क्योंकि एक ही फसल की भरमार होगी तो उसका वाजिब बाजार मूल्य नहीं मिलेगा।


Conclusion:अनगड़ा और ओरमांझी उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्र स्थित दुबला बेड़ा गांव के रहने वाले श्याम सुंदर किसानों के लिए रोल मॉडल बन गए हैं। ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने स्पष्ट कहा कि किसानों को मदद के रूप में वक्त पर सही बाजार मिल जाए तो इन को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। इसके लिए उन्होंने इजरायल के मार्केट सिस्टम का हवाला दिया। इन्होंने 3 एकड़ में मीठी तुलसी की खेती पंजाब में स्थित आईसीएआर संस्थान की मांग पर की है। आईसीएआर पंजाब के साथ राज्य सरकार का एमओयू हुआ है और कंपनी चाहती है कि झारखंड में करीब 100 एकड़ में मीठी तुलसी की खेती हो। खास बात है कि श्यामसुंदर परंपरागत खेती नहीं करते।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.