रांचीः झारखंड के सबसे बड़े मानसिक रोग अस्पताल रांची इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरो साइकेट्री एंड एलाइड साइंसेस (RINPAS) में डॉक्टरों की घोर कमी हैं. रिनपास के ओपीडी में दिन प्रतिदिन मरीजों की संख्या बढ़ रही है. लेकिन डॉक्टरों की संख्या घट रही है. इससे रिनपास में इलाज कराने पहुंचे मरीजों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. इसके बावजूद डॉक्टरों के रिक्त पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू नहीं की जा रही है.
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रिनपास में भर्ती मरीजों की संख्या 500 से अधिक है. इसके साथ ही रोजना ओपीडी में 300 से 400 मानसिक रोगी इलाज के लिए पहुंचते हैं. इन मरीजों के इलाज के लिए सिर्फ 8 मनोचिकित्सक हैं, जबकि मनोचिकित्सकों की संख्या 20 से अधिक होनी चाहिए. स्थिति यह है कि रिनपास के सिर्फ दो चिकित्सक हैं. इसमें डॉ जयति सिमलाई एक्टिंग डायरेक्टर हैं और डॉ सुभाष सोरेन पूर्व डाइरेक्टर हैं. 8 मनोचिकित्सक रिनपास में पदस्थापित हैं, जिसमें 6 झारखंड स्वास्थ्य सेवा और दो पीजी स्टूडेंट्स हैं.
रिनपास के अधीक्षक डॉ विजय कुमार महतो से बता करने की कोशिश की तो उन्होंने कहा कि मीडिया से बातचीत करने के लिए ऑथोराइज्ड नहीं हैं. मीडिया से बात करने के लिए निदेशक हैं. लेकिन निदेशक छुट्टी पर हैं. वहीं, पदस्थापित डॉक्टर कहते हैं कि मरीजों की संख्या अधिक है. लेकिन डॉक्टर नहीं है. रिनपास के पूर्व निदेशक डॉ अशोक प्रसाद कहते हैं कि इंडियन साइकेट्री सोसाइटी ने 10 मानसिक रोगियों पर 1 मनोचिकित्सक की अनुशंसा स्वास्थ्य विभाग से की थी. लेकिन इस अनुशंसा पर कोई काम नहीं हुआ. रिनपास में फैकल्टी की घोर कमी है. इसका डॉक्टरों पर काफी दबाव है.
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने बताया कि रिनपास में 500 भर्ती मरीजों में से 300 मरीज स्वस्थ्य हो गए हैं. इस स्वस्थ्य मरीजों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया जाएगा. इसको लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की कमी को अनुबंध डॉक्टरों के माध्यम से पूरा करेंगे. इसको लेकर प्रक्रिया चल रही है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हाल में 217 आयुष डॉक्टरों की बहाली हुई है. इसमें कुछ डॉक्टरों की नियुक्ति रिनपास में की जाएगी, जिसपर विचार विमर्श चल रहा है.