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रिम्स में उम्मीदें कम और परेशानी ज्यादा झेलने को मजबूर मरीज, समय रहते नहीं मिल पाता इलाज!

रिम्स में इन दिनों मरीजों को सही समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है. जिससे वे परेशान हैं. इसके साथ ही मरीज को अस्पताल तक आने के लिए एंबुलेंस भी नहीं मिल पाती है.

patients facing problem in rims ranchi
रिम्स की हालत
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Published : Feb 23, 2021, 6:30 PM IST

रांची: राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में बदहाली बढ़ती जा रही है. मरीज जिस उम्मीद से अस्पताल पहुंचते हैं वह कहीं से भी पूरा होता नहीं दिख रहा है. दरअसल रिम्स के इमरजेंसी वार्ड से लेकर सभी वार्डो में मरीजों की भीड़ लगी हुई है. यहां ना तो उन्हें बेड मुहैया हो पा रहा है और ना ही सही समय पर इलाज हो पाता है. जिस वजह से कई बार मरीज को अपनी जान गंवानी पड़ जाती है.

ये भी पढ़े- सुखदेव नगर के व्यक्ति ने एसएसपी के नाम लिखा सुसाइड नोट, इंस्पेक्टर पर बर्बाद करने का आरोप लगा कर ली खुदकुशी

मरीजों को होती है परेशानी

मरीज को अस्पताल तक आने के लिए सही समय पर एंबुलेंस मुहैया नहीं हो पाती है. अगर मरीज जैसे तैसे अस्पताल पहुंच भी जाए तो उन्हें समय पर बेड तो दूर इलाज भी नहीं मिल पाता है. कभी-कभी तो रिम्स में बेड की संख्या कम होने के कारण मरीजों को इलाज के लिए एंबुलेंस में ही घंटों इंतजार करना पड़ता है. इतना ही नहीं कभी-कभी तो डॉक्टर मरीज का उपचार ट्रॉली पर ही करने लगते हैं.


मरीज को नहीं मिल पाती सही जानकारी
देवघर से आए एक मरीज बताते हैं कि गांव में रहने के कारण कई चीजों का उन्हें पता नहीं हो पाता है. जिस वजह से उन्हें कई बार अस्पताल में कार्यरत गार्ड से पूछना पड़ता है, जो कि उन्हें सही तरीके से जानकारी भी नहीं देते हैं.

ये भी पढ़े-हजारीबाग में खुदाई के दौरान मिली बुद्ध की प्रतिमाएं, पढ़ें पूरी खबर


अस्पताल में नहीं मिलता समय पर इलाज
बंगाल से आए एक मरीज ने बताया कि सही समय पर मरीज को एडमिट कर भी लिया जाता है तो उनका इलाज समय पर नहीं हो पाता है. कई बार तो नर्स को बार-बार कहने के बावजूद भी मरीज को दवा या इंजेक्शन नहीं दी जाती हैं. अगर परिजन बार-बार बोलते हैं तो नर्स इंजेक्शन और दवा देने से साफ मना कर देती है.


अच्छी सुविधा होने के बावजूद मरीज परेशान
बांकुरा जिला से आए मरीज के परिजन बताते हैं कि अच्छी सुविधा होने के बावजूद भी रिम्स में मरीजों को दरबदर भटकना पड़ता है. यह सालों से चला आ रहा है. प्रबंधन को इस पर विचार करने की जरूरत है.

सदर अस्पताल के चिकित्सक बताते हैं कि सिर्फ रिम्स में ही नहीं राज्य के कई अस्पतालों में मैन पावर के साथ-साथ संसाधनों की भी कमी है. जिस वजह से मरीजों को सही समय पर उपचार नहीं मिल पाता है. डॉक्टर एच.आर. सिंह बताते हैं कि वर्तमान में 3 मेडिकल कॉलेज बनकर तैयार हो गए हैं, लेकिन वह सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं. जिस वजह से रिम्स जैसे अस्पताल पर मरीज का अत्यधिक लोड रहता है. जरूरी है कि राज्य सरकार राज्य में नए मेडिकल कॉलेज को जल्द से जल्द सुचारू रूप से चालू करें ताकि रिम्स में आने वाले मरीजो की संख्या कम हो सके और उन्हें बेहतर इलाज भी मिल सके.

ये भी पढ़ें: झारखंड में जिला स्तर पर नहीं है बच्चों के लिए बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था, अकेले रिम्स पर पूरे राज्य की जिम्मेदारी


रिम्स में इमरजेंसी वार्ड की हालत

इमरजेंसी वार्ड में वर्तमान में अभी लगभग 20 बेड है. जिसमें से दो बेड पर वेंटिलेटर की सुविधा है. जबकि 7 बेडो पर ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध है और अन्य बेड पर मरीजों का इलाज किया जाता है. ऐसे में अगर मरीजों की संख्या बढ़ जाती है तो कई बार डॉक्टरों को मजबूरी में स्ट्रेचर और जमीन पर ही इलाज करना पड़ता है.


प्रबंधन कर रही है विचार
रिम्स के वरिष्ठ चिकित्सक और पीआरओ डॉ.डी.के. सिन्हा ने बताया कि जिस प्रकार से दिन प्रतिदिन जमीन पर मरीजों की संख्या बढ़ रही है और रिम्स में आने वाले मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहा है. इन समस्याओं को देखते हुए प्रबंधन विचार कर रही है ताकि बेडों की संख्या बढ़ाई जा सके और मरीजों की सुविधा के लिए अन्य व्यवस्था भी की जा सके.

रांची: राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में बदहाली बढ़ती जा रही है. मरीज जिस उम्मीद से अस्पताल पहुंचते हैं वह कहीं से भी पूरा होता नहीं दिख रहा है. दरअसल रिम्स के इमरजेंसी वार्ड से लेकर सभी वार्डो में मरीजों की भीड़ लगी हुई है. यहां ना तो उन्हें बेड मुहैया हो पा रहा है और ना ही सही समय पर इलाज हो पाता है. जिस वजह से कई बार मरीज को अपनी जान गंवानी पड़ जाती है.

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मरीजों को होती है परेशानी

मरीज को अस्पताल तक आने के लिए सही समय पर एंबुलेंस मुहैया नहीं हो पाती है. अगर मरीज जैसे तैसे अस्पताल पहुंच भी जाए तो उन्हें समय पर बेड तो दूर इलाज भी नहीं मिल पाता है. कभी-कभी तो रिम्स में बेड की संख्या कम होने के कारण मरीजों को इलाज के लिए एंबुलेंस में ही घंटों इंतजार करना पड़ता है. इतना ही नहीं कभी-कभी तो डॉक्टर मरीज का उपचार ट्रॉली पर ही करने लगते हैं.


मरीज को नहीं मिल पाती सही जानकारी
देवघर से आए एक मरीज बताते हैं कि गांव में रहने के कारण कई चीजों का उन्हें पता नहीं हो पाता है. जिस वजह से उन्हें कई बार अस्पताल में कार्यरत गार्ड से पूछना पड़ता है, जो कि उन्हें सही तरीके से जानकारी भी नहीं देते हैं.

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अस्पताल में नहीं मिलता समय पर इलाज
बंगाल से आए एक मरीज ने बताया कि सही समय पर मरीज को एडमिट कर भी लिया जाता है तो उनका इलाज समय पर नहीं हो पाता है. कई बार तो नर्स को बार-बार कहने के बावजूद भी मरीज को दवा या इंजेक्शन नहीं दी जाती हैं. अगर परिजन बार-बार बोलते हैं तो नर्स इंजेक्शन और दवा देने से साफ मना कर देती है.


अच्छी सुविधा होने के बावजूद मरीज परेशान
बांकुरा जिला से आए मरीज के परिजन बताते हैं कि अच्छी सुविधा होने के बावजूद भी रिम्स में मरीजों को दरबदर भटकना पड़ता है. यह सालों से चला आ रहा है. प्रबंधन को इस पर विचार करने की जरूरत है.

सदर अस्पताल के चिकित्सक बताते हैं कि सिर्फ रिम्स में ही नहीं राज्य के कई अस्पतालों में मैन पावर के साथ-साथ संसाधनों की भी कमी है. जिस वजह से मरीजों को सही समय पर उपचार नहीं मिल पाता है. डॉक्टर एच.आर. सिंह बताते हैं कि वर्तमान में 3 मेडिकल कॉलेज बनकर तैयार हो गए हैं, लेकिन वह सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं. जिस वजह से रिम्स जैसे अस्पताल पर मरीज का अत्यधिक लोड रहता है. जरूरी है कि राज्य सरकार राज्य में नए मेडिकल कॉलेज को जल्द से जल्द सुचारू रूप से चालू करें ताकि रिम्स में आने वाले मरीजो की संख्या कम हो सके और उन्हें बेहतर इलाज भी मिल सके.

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रिम्स में इमरजेंसी वार्ड की हालत

इमरजेंसी वार्ड में वर्तमान में अभी लगभग 20 बेड है. जिसमें से दो बेड पर वेंटिलेटर की सुविधा है. जबकि 7 बेडो पर ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध है और अन्य बेड पर मरीजों का इलाज किया जाता है. ऐसे में अगर मरीजों की संख्या बढ़ जाती है तो कई बार डॉक्टरों को मजबूरी में स्ट्रेचर और जमीन पर ही इलाज करना पड़ता है.


प्रबंधन कर रही है विचार
रिम्स के वरिष्ठ चिकित्सक और पीआरओ डॉ.डी.के. सिन्हा ने बताया कि जिस प्रकार से दिन प्रतिदिन जमीन पर मरीजों की संख्या बढ़ रही है और रिम्स में आने वाले मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहा है. इन समस्याओं को देखते हुए प्रबंधन विचार कर रही है ताकि बेडों की संख्या बढ़ाई जा सके और मरीजों की सुविधा के लिए अन्य व्यवस्था भी की जा सके.

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