रांची: रिम्स परिसर में सस्ती दवाई की दुकान 'दवाई दोस्त' को बंद कराए जाने के बाद रिम्स प्रबंधन के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं. 20 अगस्त से पहले तक 'दवाई दोस्त' दुकान में मरीजों को एमआरपी से 80 फीसदी कम कीमत पर दवाई उपलब्ध हो रही थी. दवाई दोस्त को बंद कराने से पहले ये दावा किया गया था कि भारतीय जनऔषधि परियोजना की दुकान से सस्ती दवा मुहैया कराई जाएगी लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है.
ये भी पढ़ें- दवाई दोस्त को बंद करने पर रिम्स निदेशक ने दिया जवाब, कहा- 2016 तक ही दुकान चलाने की थी अनुमति
सिर्फ 260 किस्म की दवा उपलब्ध
रिम्स के भारतीय जनऔषधि परियोजना की दवा दुकान में 12 सौ से 15 सौ तरह की दवाई रहनी चाहिए थी पर सिर्फ 260 तरह की दवा ही उपलब्ध है. सुपर स्पेशलिटी ट्रीटमेंट वाले अस्पताल में न्यूरो के डॉक्टरों की लिखी दवाएं तक भी भारतीय जनऔषधि परियोजना की दुकान में नहीं मिलती. दुकान में साधारण पट्टी से लेकर कोई भी इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है.
रिम्स के जनऔषधि केंद्र में दवा नहीं मिलने से मरीज के परिजनों ने कहा कि किसी तरह व्यवस्था कर इलाज के लिए मरीज को रांची लाये पर यहां तो पैसा ही पैसा लग रहा है, जो दवा डॉक्टर लिखते हैं वह न तो रिम्स से मिलता है और न ही जनऔषधि केंद्र में मिल रहा है. ऐसे में मजबूरी में महंगी दवा लेनी पड़ी रही है.
क्या कहते हैं फार्मासिस्ट
रिम्स जनऔषधि केंद्र के फार्मासिस्ट कृष्णा बेसरा से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि दवाओं के लिए ऑर्डर दिया गया है. जब दवा आ जायेगी तब इन लोगों को थोड़ी राहत होगी. फिलहाल तो इन्हें बाहर से दवा खरीदनी होगी. रिम्स के जनसंपर्क अधिकारी ने फोन पर बताया कि जनऔषधि केंद्र का टेंडर हो गया है और शीघ्र ही व्यवस्था में सुधार दिखेगा. पर सवाल यह कि दवा और बीमारी जैसे मामलों में बिना पूरी तैयारी के कैसे सस्ती दवा दुकान को हटा दिया गया.