रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी ने भले ही प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दिए जाने का बयान दिया है, लेकिन यह बयानबाजी उन्हें मंहगी भी पड़ सकती है. इस बयानबाजी को अनुशासनहीनता के दायरे में माना जा सकता है, जिसके तहत कांग्रेस पार्टी अनुशासनात्मक कर्रवाई कर सकती है.
दरअसल, कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को पार्टी में आने की सहमति दी. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा है. ऐसे में अगर केंद्रीय नेतृत्व के निर्णय के खिलाफ कोई अपनी बात रखता है तो पार्टी के संविधान के लिहाज से अनुशासनहीनता के दायरे में आएगा. इरफान अंसारी जिस तरह से इस्तीफा देने की बात कही है. वह भी केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ आता है. हालांकि, इस मामले पर कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि इरफान अंसारी नाराज है और उनकी नाराजगी को दूर करने के लिए पार्टी के अंदर गहन चिंतन किया जा रहा है.
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वहीं, प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने साफ कर दिया है कि इरफान अंसारी ने कार्यकारी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि अगर इस तरह की बयानबाजी हो रही है तो यह कहीं न कहीं गलत है और यह अनुशासनहीनता के दायरे में आता है. इस पर केंद्रीय नेतृत्व और प्रदेश नेतृत्व की भी नजर है. उन्होंने कहा कि उनमें नाराजगी है और अपनी सारी बातों को आलाकमान के पास रख चुके हैं. उन्होंने उम्मीद जताई है कि इरफान अंसारी की ओर से अब दोबारा ऐसी बयानबाजी सामने नहीं आएगी.