रांची: झारखंड राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थाओं का आम चुनाव वर्ष 2015 में हुआ था. पंचायत राज अधिनियम के प्रावधानों के तहत 5 वर्षों की अवधि में यह संस्थाएं विघटित हो गई है. त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थानों के कार्य संचालन के लिए विभागीय अधिसूचना द्वारा गठन की तिथि से अधिकतम 6 महीने तक की अवधि के लिए कार्यकारी समिति का गठन किया गया था.
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कोविड-19 महामारी के कारण पंचायत चुनाव नहीं हो सका, जिसके बाद इन संस्थाओं को 6 महीने का एक्सटेंशन दिया गया था. वहीं 6 महीने की अवधि पूरा होने के बाद एक बार फिर चुनाव होने तक एक्सटेंशन दिया गया है. इससे संबंधित नोटिफिकेशन मंगलवार को जारी कर दिया गया है. राज्य के त्रिस्तरीय पंचायतों को दूसरी बार एक्सटेंशन दिया गया है, जो आगामी पंचायत चुनाव या 6 महीने के लिए मान्य होगा. इस बार उप मुखिया को भी अधिकार दिया गया है. ग्राम पंचायतों में मुखिया की अनुपस्थिति में उप मुखिया पूरा काम संभालेंगे, साथ में उनके पास वित्तीय शक्तियां भी होंगी. इसके साथ ही ग्राम प्रधान की ओर से गठित समिति चुनाव होने तक कार्य करेगी.
विकास कार्य पर लग गया था विराम
त्रिस्तरीय ग्राम पंचायतों को पहली बार दिए गए एक्सटेंशन का कार्यकाल 7 जुलाई को ही खत्म हो गया था. इसके 1 महीने से अधिक समय तक पंचायतों में सारी व्यवस्था ठप रही, जिसके कारण विकास कार्य भी रूक गया था, क्योंकि ग्राम पंचायतों में गठित कार्यकारी समिति का कार्यकाल समाप्त हो गया था और ग्राम प्रधान की वित्तीय शक्तियां भी रोक दी गई थी. मुखिया लंबे समय से इसे बढ़ाने की मांग कर रहे थे. ऐसे में अब पंचायती राज विभाग द्वारा एक्सटेंशन का नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है.
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कार्यकारी समिति स्थायी समितियों के सभी कर्तव्यों का करेगी निर्वहन
तीनों स्तर के लिए गठित कार्यकारी समिति द्वारा अपने-अपने स्तरों पर ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद के लिए झारखंड पंचायत राज अधिनियम 2001 और इसके अधीन गठित नियमावली का प्रयोग और संपादन किया जाएगा. अपने स्तर के कार्यकारी सदस्य के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य उन सभी शक्तियों का प्रयोग करेंगे. कार्यकारी समिति अपने-अपने स्तर पर स्थायी समितियों के उन सभी कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे, जो अधिनियम के अधीन निर्वाचन के बाद गठित स्थाई समितियों को प्रदत्त है.