रांची: ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर में बड़े ही तामझाम से देश का सबसे ऊंचा और बड़ा तिरंगा फहराया गया था लेकिन महज कुछ दिनों के बाद ही फ्लैग पोल से तिरंगा उतार लिया गया. पिछले 4 सालों में दोबारा नहीं फहराया जा सका, जब पहली बार पहाड़ी मंदिर में तिरंगा फहराया गया था तो रांचीवासी खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे थे लेकिन अब अफसोस जाहिर करने को मजबूर हैं.
पहली बार 2016 में फहराया गया था तिरंगा
23 जनवरी 2016 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 119वीं जयंती पर पहाड़ी मंदिर पर देश का सबसे बड़ा और ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था, जिसे तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पहाड़ी मंदिर पर बने 293 फीट ऊंचे फ्लैग पोल पर फहराया था. इस तिरंगे की ऊंचाई जमीन से फ्लैग पोल के अंत तक 493 फीट है.
इस पर 30.17 मीटर लंबा और 20.12 मीटर चौड़ा तिरंगा झंडा फहराया गया था, लेकिन कुछ दिनों बाद ही तिरंगा फट गया. इसके बाद दूसरा तिरंगा झंडा भी लगाया गया, लेकिन वह भी नहीं टिक पाया. अब आलम यह है कि अब तक पहाड़ी मंदिर पर लगे फ्लैग पोल पर तिरंगा नहीं फहराया गया है, जिसका स्थानीय लोगों को खासा मलाल है.
इतना ही नहीं पहाड़ी मंदिर पर तिरंगे के लिए लगाए गए फ्लैग पोल की वजह से पहाड़ी मंदिर का अस्तित्व खतरे में भी आ गया है. इस ओर भी कुछ विशेष पहल नहीं की गई है. हालांकि समय-समय पर किसी भी तरह की परेशानी होने पर मरम्मत का कार्य कराया जाता है. रांची पहाड़ी मंदिर विकास समिति की ओर से मंदिर परिसर और पहाड़ी की देखरेख होती है.
मंदिर में समस्या होने पर किया जाएगा काम
पहाड़ी मंदिर विकास समिति के कोषाध्यक्ष अभिषेक आनंद ने कहा कि पहाड़ी मंदिर में कोरोना संक्रमण को लेकर विशेष सतर्कता बरती ही जा रही है. इसके साथ ही किसी भी तरह का दरार या अन्य समस्या होने पर उसकी मरम्मत की जाती रही है. भविष्य में अगर पहाड़ी के अस्तित्व को लेकर कोई समस्या होगी तो उस समस्या को दूर करने के लिए भी बेहतर काम किया जाएगा.
तिरंगा न फहराना है अफसोसजनक
सालों से पहाड़ी मंदिर के नीचे पूजा सामग्री की दुकान लगा रहे राजेश कुमार का कहना है कि फ्लैग पोल पर तिरंगा नहीं फहराना अफसोस जनक है. उन्होंने बताया कि पहाड़ी मंदिर से तिरंगे के लिए लगे फ्लैग पोल को हटाकर मोरहाबादी मैदान में शिफ्ट किये जाने की योजना थी. अब तक इस दिशा में कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे मंदिर के अस्तित्व पर भी खतरा बना हुआ है. ऐसे में सरकार और प्रशासन को इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.