रांची: जिला के मांडर प्रखंड के मसमानो गांव में रहने वाली 63 वर्षीय दुगिया उरांव की मौत का मामला प्रकाश में आया है. चर्चा है कि कथित भूख और बीमारी से बुजुर्ग की मौत हुई है. हालांकि प्रशासन ने इससे इनकार किया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि मसमानो गांव में दुगिया अपनी बहन सलगी और 22 वर्षीय बेटी नंदी उरांव के साथ रहती थी. ये लोग मूल रूप से नगड़ा पंचायत के रहने वाले थे पर इनके चचेरे भाइयों ने इनकी जमीन हड़पने के लिए इन लोगों को मारपीट कर भगा दिया था. जिसके बाद ये सुरसा पंचायत में ही रहते थे.
ये भी पढ़ें- RU के 25 हजार विद्यार्थियों को अब तक नहीं मिली डिग्रियां, परेशान हैं छात्र-छात्राएं
पिछले 3 सालों से मांडर के ही एक समाजसेवी ने मसमानो गांव स्थित अपने घर के एक कमरे को इन्हें रहने को दे दिया था. ये तीनों आसपास मजदूरी कर अपना गुजारा करते थे लेकिन कोरोना काल में इनकी आर्थिक स्थिति काफी दयनीय हो गई. इन लोगों ने कई बार पंचायत के मुखिया फुलमनी मींज से आधार कार्ड और राशन कार्ड बनवाने की गुहार लगाई, लेकिन दूसरे पंचायत की बात कहकर मुखिया ने अपना पल्ला झाड़ लिया.
आरोप है कि मुखिया ने लोगों से कहा कि तुम जहां के हो, वहीं से तुम्हारा राशन कार्ड बनेगा. हालांकि पंचायत की मुखिया फुलमनी मींज कहती हैं कि उसने उस क्षेत्र के डीलर को उनकी बराबर मदद करने की हिदायत दी थी. वहीं उस क्षेत्र के डीलर जमाल अंसारी का कहना है कि वह उन्हें बराबर 10 से 15 किलोग्राम चावल उपलब्ध करवाते रहते थे.
बीडीओ पहुंचे मृतका के घर
घटना की जानकारी मिलते ही बीडीओ सुलेमान मुंद्री मसमानो पहुंचे और घटना की जानकारी ली. उन्होनें बताया कि मामला कथित भूख से मौत का नहीं है. अभी भी उसके घर में अतिरिक्त चावल पड़ा हुआ है.
दुगिया के निधन पर राजनीति शुरू
दुगिया के निधन पर अब सवाल उठने लगा है. कोई इसे भूख से मौत बता रहा है तो कोई बीमारी से, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर मुखिया के समक्ष कई बार गुहार लगाने के बाद भी उसका राशन कार्ड क्यों नहीं बना. अगर उसका राशन कार्ड बना होता तो हो सकता है आज वह जीवित होती. इस मौत को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है. आरती कुजूर के नेतृत्व में बीजेपी महिला मोर्चा का एक शिष्टमंडल मसमानो गांव पहुंचा. इस दौरान बीजेपी के पूर्व विधायक गंगोत्री कुजूर ने हेमंत सरकार पर जमकर हमला बोला. उनहोंने कहा कि राज्य सरकार का यही हाल रहा तो बीमारी और प्रताड़ना से जूझ रही दुगिया की बहन सालगी उरांव को भी बचाना मुश्किल हो जाएगा. हेमंत सरकार की गरीबों के प्रति उदासीन रवैया के कारण दुगिया उरांव की मौत हुई है.
बीजेपी करेगी जांच
बाबूलाल मरांडी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि दुगिया उरांव की मौत भूख से हुई है या बीमारी से इसकी हकीकत जानने पार्टी की महिला मोर्चा टीम जाएगी. दुगिया अपनी बेटी के साथ मजदूरी कर अपना गुजारा करती थी, लेकिन कोरोना काल में उनकी आर्थिक स्थिति काफी दयनीय हो गई. इन लोगों ने कई बार पंचायत के मुखिया फूलमनि मिंज से आधार कार्ड और राशन कार्ड बनवाने की गुहार लगाई, लेकिन दूसरे पंचायत की बात कहकर मुखिया पल्ला झाड़ती रही.
सत्ता पक्ष का पलटवार
प्रदेश कांग्रेस ने दुगिया की मौत भूख से होने की खबर से इंकार करते हुए कहा कि यह जांच का विषय है और सरकार जांच कराएगी. प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता शमशेर आलम ने कहा कि राज्य में खाद्यान्न की कोई कमी नहीं है. सरकार सभी जरुरतमंदों तक खाद्यान्न उपलब्ध कराती रही है.कोरोना काल में जिस तरह से सरकार ने खाद्यान्न उपलब्ध कराया वह अदभुत है फिर भी यदि इस तरह की बात सामने आई है, तो सरकार जरूर इसकी जांच कराएगी. वहीं झामुमो ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा है कि यह बीजेपी द्वारा कोई सोची समझी साजिश है, जिसके तहत अफवाह फैलाई जा रही है.