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3 साल पहले भी सरकार ने बनाया था मिट्टी का डॉक्टर, जानिए उनकी स्थिति - Soil Trainer Machine

झारखंड सरकार महिलाओं को मिट्टी का डॉक्टर बना रही है. 3 साल पहले 2016 में भी सरकार ने आईएससी पास लोगों को मिट्टी का डॉक्टर बनाया था, लेकिन आज उनकी स्थिति बदहाल है. मिट्टी के डॉक्टर बताते हैं कि सरकार उन्हें मानदेय नहीं देती.

मिट्टी का डॉक्टर
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Published : Aug 22, 2019, 5:34 PM IST

Updated : Aug 22, 2019, 7:04 PM IST

रांची: जिस तरह से मनुष्य को स्वास्थ्य की जरूरत होती है उसी प्रकार मिट्टी का भी स्वास्थ्य जरूरी होता है. इसी उद्देश्य से राज्य सरकार ने एक अनूठी पहल की है. झारखंड सरकार के द्वारा महिलाओं को मिट्टी का डॉक्टर बनाया जा रहा है, जिसके तहत किसान खेतों की जांच करा पाएंगे, लेकिन 2016 से मिट्टी परीक्षण का कार्य कर रहे मिट्टी के डॉक्टर खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.

देखें पूरी खबर


पुराने मिट्टी के डॉक्टर निराश
ईटीवी भारत से मिट्टी के डॉक्टरों ने खुलकर बात की कि किस तरह से सरकार उनके साथ आंख मिचौली कर रही है. वर्ष 2016 में ही सरकार के द्वारा मृदा प्रशिक्षक तैयार किया गया था जिसके लिए सरकार ने शैक्षणिक योग्यता आईएससी पास रखा था. ये किसानों के खेतों में जाकर मिट्टी का सैंपल को जांच कर बताते थे कि उनकी खेतों में क्या कमी है. किस उर्वरक की उसके खेत को आवश्यकता है.


50 रुपया मिलता था कमीशन
इसके लिए मिट्टी प्रशिक्षकों को सरकार 50 रुपए कमीशन के तौर पर देती थी, लेकिन हाल में सरकार ने सखी मंडल महिला समूह के महिलाओं को मिट्टी के डॉक्टर के रूप में प्रशिक्षित करने का कार्य कर रही है. जिससे पहले से काम कर रहे हैं मिट्टी के डॉक्टरों में थोड़ी सी नाराजगी देखने को मिल रही है. उनका कहना है कि एक तो जिले में जितने भी प्रयोगशाला पर रिक्त स्थान है वहां पर उन्हें डीपुट नहीं किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर सरकार के द्वारा नए मिट्टी के डॉक्टर बनाया जा रहे हैं. वैसे में पहले से ही उनलोगों की स्थिति बदहाल थी. इसके बाद और भी स्थिति बदहाल हो जाएगी.


2016 से कर रहे हैं काम
उनका कहना है कि सरकार के द्वारा उन्हें कोई भी मानदेय नहीं दिया जाता था. सरकार के द्वारा क्वालिफिकेशन के तौर पर आईएससी बैकग्राउंड भी रखा गया था. उस दौरान उन्हें प्रशिक्षण देकर मिट्टी का डॉक्टर तो बना दिया गया, लेकिन आज उनलोगों की स्थिति बदहाल है. पैसे के अभाव में कई युवा इस काम को छोड़ चुके हैं. सम्मान एवं मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण कार्यक्रम में गिरिडीह से पहुंचे युवा मृदा प्रशिक्षक ने बताया कि मिट्टी का जांच का काम वो लोग 2016 से कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: मुख्यमंत्री रघुवर दास का ऐलान, 30 अगस्त से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से जुड़ी महिलाओं को मिलेगी नई जिंदगी
आईसीआर-आईएसएस भोपाल से मिला मशीन
मिट्टी की जांच के लिए उनलोगों को आईसीआर आईएसएस भोपाल के द्वारा मृदा प्रशिक्षक मशीन दिया गया है. इस मृदा प्रशिक्षक मशीन के द्वारा 12 पैरामीटर हैक्टेयर मिट्टी की जांच की जाती है, जिससे वो किसानों की मिट्टी को जांच कर बताते हैं. इसके साथ ही मृदा प्रशिक्षक ने बताया कि अभी वर्तमान में काम करने में उनलोगों को काफी दिक्कतें हो रही है. क्योंकि गांव लेवल में मिट्टी का जांच तो हो जाता है, लेकिन कार्ड जिला लेवल से बनकर आता है. उसके बाद ही किसानों को उसके मिट्टी के बारे में बताया जाता है.

रांची: जिस तरह से मनुष्य को स्वास्थ्य की जरूरत होती है उसी प्रकार मिट्टी का भी स्वास्थ्य जरूरी होता है. इसी उद्देश्य से राज्य सरकार ने एक अनूठी पहल की है. झारखंड सरकार के द्वारा महिलाओं को मिट्टी का डॉक्टर बनाया जा रहा है, जिसके तहत किसान खेतों की जांच करा पाएंगे, लेकिन 2016 से मिट्टी परीक्षण का कार्य कर रहे मिट्टी के डॉक्टर खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.

देखें पूरी खबर


पुराने मिट्टी के डॉक्टर निराश
ईटीवी भारत से मिट्टी के डॉक्टरों ने खुलकर बात की कि किस तरह से सरकार उनके साथ आंख मिचौली कर रही है. वर्ष 2016 में ही सरकार के द्वारा मृदा प्रशिक्षक तैयार किया गया था जिसके लिए सरकार ने शैक्षणिक योग्यता आईएससी पास रखा था. ये किसानों के खेतों में जाकर मिट्टी का सैंपल को जांच कर बताते थे कि उनकी खेतों में क्या कमी है. किस उर्वरक की उसके खेत को आवश्यकता है.


50 रुपया मिलता था कमीशन
इसके लिए मिट्टी प्रशिक्षकों को सरकार 50 रुपए कमीशन के तौर पर देती थी, लेकिन हाल में सरकार ने सखी मंडल महिला समूह के महिलाओं को मिट्टी के डॉक्टर के रूप में प्रशिक्षित करने का कार्य कर रही है. जिससे पहले से काम कर रहे हैं मिट्टी के डॉक्टरों में थोड़ी सी नाराजगी देखने को मिल रही है. उनका कहना है कि एक तो जिले में जितने भी प्रयोगशाला पर रिक्त स्थान है वहां पर उन्हें डीपुट नहीं किया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर सरकार के द्वारा नए मिट्टी के डॉक्टर बनाया जा रहे हैं. वैसे में पहले से ही उनलोगों की स्थिति बदहाल थी. इसके बाद और भी स्थिति बदहाल हो जाएगी.


2016 से कर रहे हैं काम
उनका कहना है कि सरकार के द्वारा उन्हें कोई भी मानदेय नहीं दिया जाता था. सरकार के द्वारा क्वालिफिकेशन के तौर पर आईएससी बैकग्राउंड भी रखा गया था. उस दौरान उन्हें प्रशिक्षण देकर मिट्टी का डॉक्टर तो बना दिया गया, लेकिन आज उनलोगों की स्थिति बदहाल है. पैसे के अभाव में कई युवा इस काम को छोड़ चुके हैं. सम्मान एवं मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण कार्यक्रम में गिरिडीह से पहुंचे युवा मृदा प्रशिक्षक ने बताया कि मिट्टी का जांच का काम वो लोग 2016 से कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: मुख्यमंत्री रघुवर दास का ऐलान, 30 अगस्त से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से जुड़ी महिलाओं को मिलेगी नई जिंदगी
आईसीआर-आईएसएस भोपाल से मिला मशीन
मिट्टी की जांच के लिए उनलोगों को आईसीआर आईएसएस भोपाल के द्वारा मृदा प्रशिक्षक मशीन दिया गया है. इस मृदा प्रशिक्षक मशीन के द्वारा 12 पैरामीटर हैक्टेयर मिट्टी की जांच की जाती है, जिससे वो किसानों की मिट्टी को जांच कर बताते हैं. इसके साथ ही मृदा प्रशिक्षक ने बताया कि अभी वर्तमान में काम करने में उनलोगों को काफी दिक्कतें हो रही है. क्योंकि गांव लेवल में मिट्टी का जांच तो हो जाता है, लेकिन कार्ड जिला लेवल से बनकर आता है. उसके बाद ही किसानों को उसके मिट्टी के बारे में बताया जाता है.

Intro:रांची
बाइट--- मृदा प्रशिक्षक
बाइट--- मृदा प्रशिक्षक
बाइट--- मृदा प्रशिक्षक

किसानों की आय को दुगनी करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने एक अनूठा पहल की है झारखंड सरकार के द्वारा महिलाओं को मिट्टी का डॉक्टर बनाया जा रहा है। जिसके तहत किसान खेतों की जांच करा पाएंगे जिस तरह से मनुष्य को स्वास्थ्य की जरूरत होती है उसी प्रकार मिट्टी का भी स्वास्थ्य जरूरी होता है इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए सरकार के द्वारा मिट्टी के डॉक्टर बनाए जा रहे हैं ताकि किसान अपने खेतो की मिट्टी की जांच पंचायत की मिट्टी प्रयोगशाला में करवाएंगे। लेकिन 2016 से मिट्टी के परीक्षण का कार्य कर रहे हैं मिट्टी के डॉक्टर खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं ईटीवी भारत से मिट्टी के डॉक्टरों ने खुलकर बात किया कि किस तरह से सरकार उनके साथ आंख मिचौली कर रही है।


Body:वर्ष 2016 में ही सरकार के द्वारा मृदा प्रशिक्षक तैयार किया गया था जिसके लिए सरकार ने शैक्षणिक योगिता I.Sc आईएससी पास रखा था। जो किसानों के खेतों में जाकर उसकी मिट्टी का सैंपल लेकर जांच कर बताता था कि उनकी खेतों में क्या कमी है और किस उर्वरक की उसके खेत को आवश्यकता है उसके लिए मिट्टी प्रशिक्षकों को सरकार ₹50 कमीशन के तौर पर देती थी। लेकिन हाल में सरकार ने सखी मंडल महिला समूह के महिलाओं को मिट्टी के डॉक्टर के रूप में प्रशिक्षित करने का कार्य कर रही है जिससे पहले से काम कर रहे हैं मिट्टी के डॉक्टरों में थोड़ी सी नाराजगी देखने को मिल रही है उनका कहना है कि एक तो जिले में जितने भी प्रयोगशाला पर रिक्त स्थान है वहां पर हमें डीपुट नहीं किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर सरकार के द्वारा नए मिट्टी के डॉक्टर बनाया जा रहे हैं वैसे में पहले से ही हम लोग की स्थिति बदहाल थी इसके बाद और भी स्थिति बदहाल हो जाएगी क्योंकि सरकार के द्वारा हमें कोई भी मानदेय नहीं दिया जाता था। सरकार के द्वारा क्वालिफिकेशन के तौर पर I Sc बैकग्राउंड भी रखा गया था। उस दौरान हमें प्रशिक्षण देकर मिट्टी के डॉक्टर तो बना दिए गए हैं लेकिन आज हम लोग की स्थिति बदहाल है। पैसे के अभाव में कई युवा इस काम को छोड़ चुके हैं।


Conclusion:सम्मान एवं मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण कार्यक्रम में गिरिडीह से पहुंचे युवा मृदा प्रशिक्षक ने बताया कि मिट्टी का जांच का काम हम लोग 2016 से कर रहे हैं मिट्टी के जांच के लिए हम लोगों को आईसीआर आईएसएस भोपाल के द्वारा मृदा प्रशिक्षक मशीन दिया गया है इस मृदा प्रशिक्षक मशीन के द्वारा 12 पैरामीटर है को द्वारा मिट्टी की जांच की जाती है जिससे हम किसानों की मिट्टी को जांच कर बताते हैं मिट्टी में PH अम्लीय और क्षारीयता EC इलेक्ट्रिक कॉन्टिविटी, विद्युत चालकता OC ऑर्गेनिक कार्बन जैविक खाद नाइट्रोजन ऑक्सीजन फास्फोरस आदि की जांच कर किसानों की उसकी मिट्टी के अनुसार उर्वरक डालने का सुझाव दिया जाता है मिट्टी के डॉक्टर ने बताया कि कोई भी फसल 90% मौसम पर आधारित होता है जिसमें से 5% ही किसान मिट्टी पर सुधार कर सकती है लेकिन उसमें भी पांच में से 3 पोषक तत्व प्राकृतिक पर मौजूद होती है।


साथी मृदा प्रशिक्षक को ने बताया कि अभी वर्तमान में काम करने में हम लोगों को काफी दिक्कतें हो रही है क्योंकि गांव लेवल में मिट्टी का जांच तो हो जाता है लेकिन उसके कार्ड जिला लेबल से बनकर आता है उसके बाद ही किसानों को उसके मिट्टी के बारे में बताया जाता है अगर हम पर शिक्षकों को ही कार्ड बनाने का मशीन दिया जाए तो किसानों को जल्द से जल्द उसकी मिट्टी के जांच कर उसके निदान के बारे में बता दिया जाएगा
Last Updated : Aug 22, 2019, 7:04 PM IST
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