रांचीः कोरोना संक्रमण के दौर में लाखों की संख्या में झारखंड लौटे प्रवासी श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. ग्रामीण क्षेत्र में कम से कम अकुशल श्रमिकों को जोड़ने के लिए मनरेगा से जुड़ी योजनाएं एकमात्र विकल्प हैं. अच्छी बात यह है कि मनरेगा के तहत झारखंड में पूर्व के वर्षों की तुलना में रिकॉर्ड संख्या में मजदूरों को काम मिला है.
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तारीख | कुल कार्यरत मजदूर(लगभग) |
13 सितंबर 2017 | 2,72,000 |
13 सितंबर 2018 | 2,21,000 |
13 सितंबर 2019 | 2,53,000 |
13 सितंबर 2020 | 5,20,935 |
आंकड़े बता रहे हैं कि पिछले 3 वर्षों में 13 सितंबर की तारीख तक मजदूरों की सबसे ज्यादा संख्या साल 2020 में दर्ज हुई है. झारखंड में कुल निबंधित 53-82 लाख परिवारों में कुल 92.59 लाख मजदूर हैं. जिसमें सक्रिय ग्रामीण परिवारों की कुल संख्या 25.97 लाख है. जिसमें 33.96 लाख सक्रिय मजदूर हैं. साथ ही करीब 8 लाख प्रवासी मजदूरों के लौटने से इस कार्यबल में और वृद्धि हुई है. इस बीच 27 जुलाई से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर चल रहे मनरेगा कर्मी भी काम पर लौट चुके हैं. अब उम्मीद की जा रही है कि ग्रामीण क्षेत्र में बड़ी संख्या में मजदूरों को मनरेगा से जुड़ी योजनाओं से जोड़ा जा सकेगा. एक और अहम बात है कि मनरेगा की तर्ज पर ही झारखंड सरकार ने शहरी क्षेत्र के श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराने के लिए मुख्यमंत्री श्रमिक योजना शुरू की है.