ETV Bharat / city

रांची के क्वॉरेंटाइन सेंटर में महिलाओं की सुरक्षा भगवान भरोसे, व्यवस्था ऐसी कि पूछिए मत!

कोविड-19 माहामारी को रोकने के लिए लगे लॉकडाउन में झारखंड सरकार मजदूरों को वापस अपने राज्य बुला रही है. इसे लेकर राज्य के हर जिले में क्वॉरेंटाइन सेटर बनाए गये हैं. लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया सरकार इसे लेकर ढील देने लगी है! आज राज्य में क्वॉरेंटाइन सेंटरों की हालत खस्ता हो गई है. देखिए ईटीवी भारत की इनवेस्टीगेटिव रिपोर्ट...

no Safety arrangement of women in Quarantine Center in ranchi
क्वॉरेंटाइन सेंटर की पड़ताल
author img

By

Published : May 27, 2020, 8:23 PM IST

Updated : May 28, 2020, 12:52 PM IST

रांची: कोरोना का संक्रमण न फैले इसे ध्यान में रखते हुए सरकार की तरफ से पंचायत स्तर पर क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया गया है, ताकि बाहर से आए लोगों को ऑब्जरवेशन पर रखा जा सके, लेकिन बीते समय के साथ सरकारी क्वॉरेंटाइन सेंटर सवालों के घेरे में आने लगे हैं.

देखें क्वॉरेंटाइन सेंटर की पड़ताल

ईटीवी भारत की टीम ने राजधानी से सटे नामकुम प्रखंड के बड़गांव पंचायत भवन में बने क्वॉरेंटाइन सेंटर की व्यवस्था का जायजा लिया. दरअसल, नामकुम क्षेत्र के एक बस्ती की दो महिलाएं वैष्णो देवी दर्शन कर 26 मई की शाम रांची पहुंची थी. 2 महिलाओं में एक महिला का करीब 10 साल का बेटा भी साथ था. कई मुसीबतें झेलते हुए जब तीनों नामकुम पहुंचे तो प्रशासन ने उन्हें होम क्वॉरेंटाइन में जाने की सलाह दी.

ये भी पढ़ें- केंद्र सरकार की योजना के बावजूद किसान परेशान, लॉकडाउन में विक्रेताओं पर भी असर

घर पहुंचते ही मोहल्ले के लोग इस कदर टूट पड़े जैसे इन लोगों के घर में आने से पूरे क्षेत्र में महामारी फैल जाएगी. यह तो बात हुई सामाजिक तिरस्कार की जिसकी सबसे बड़ी वजह है जागरूकता की कमी.

क्वॉरेंटाइन सेंटर की सुरक्षा भगवान भरोसे

जब हमारी टीम बड़गांवा पंचायत भवन में बने क्वॉरेंटाइन सेंटर के गेट पर पहुंची तो लगा कि शायद गेट भीतर से बंद होगा, लेकिन ऐसा नहीं था. जब हम कैंपस के अंदर पहुंचे तो एक हॉल में दो महिलाएं दो बच्चों के साथ बैठी नजर आईं. फिर क्या था इन महिलाओं ने अपना पूरा यात्रा वृतांत बताया. क्वॉरेंटाइन सेंटर की तमाम कमियों के बावजूद यह महिलाएं नहीं चाहती थी कि यहां की व्यवस्था पर सवाल खड़े हों.

ये भी पढ़ें- बेटी ने समोसा मांगा तो युवक ने कर दी पत्नी की हत्या, शव को टांगकर हुआ फरार

लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि महिलाओं को खाने के नाम पर कच्चा राशन दे दिया गया था. जब हमारी टीम ने यह पूछा कि अब आप खाना कैसे बनाएंगे तो एक महिला ने कहा कि अपने पति से गैस चूल्हा मंगवा लूंगी. क्वॉरेंटाइन सेंटर में बिस्तर के नाम पर टेंट हाउस से मंगवा कर दरी दे दी गई थी. मच्छरदानी भी नहीं था. महिलाओं को सिर्फ इस बात की खुशी थी कि उन्हें आसरा तो मिला, क्योंकि जिस मोहल्ले में वह किराए के घर में रहती थी, उन लोगों ने मुंह फेर लिया था. अफसोस की बात यह है कि दोनों महिलाओं की न तो अभी स्वैब टेस्ट हुई है और ना ही उनमें कोरोना का कोई लक्षण दिखा है.

देवदत्त पाठक, बीडीओ, नामकुम

ईटीवी भारत की टीम ने बीडीओ से की बात

नामकुम प्रखंड के बीडीओ देवदत्त पाठक से महिलाओं की सुरक्षा और क्वॉरेंटाइन सेंटर की व्यवस्था के बारे में पूछा गया तो गोलमोल जवाब देने लगे. बातचीत के दौरान प्रखंड विकास पदाधिकारी ने अपनी समस्याएं भी गिनाई. उन्होंने कहा कि जो भी कमी है उसको तुरंत दूर करा देते हैं.

क्वॉरेंटाइन सेंटर में प्रति व्यक्ति 60 रु प्रतिदिन

झारखंड में सरकारी क्वॉरेंटाइन में रखे गए लोगों पर प्रति व्यक्ति 60 रूपया प्रतिदिन खर्च किया जाता है. यानी एक व्यक्ति पर 14 दिन में 840 रुपए खर्च किए जाते हैं. इतने पैसे में ही साबुन, तेल, सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना और रात का खाना भी दिया जाता है. अब आप समझ सकते हैं कि 60 रु में क्या यह संभव है.

रांची: कोरोना का संक्रमण न फैले इसे ध्यान में रखते हुए सरकार की तरफ से पंचायत स्तर पर क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया गया है, ताकि बाहर से आए लोगों को ऑब्जरवेशन पर रखा जा सके, लेकिन बीते समय के साथ सरकारी क्वॉरेंटाइन सेंटर सवालों के घेरे में आने लगे हैं.

देखें क्वॉरेंटाइन सेंटर की पड़ताल

ईटीवी भारत की टीम ने राजधानी से सटे नामकुम प्रखंड के बड़गांव पंचायत भवन में बने क्वॉरेंटाइन सेंटर की व्यवस्था का जायजा लिया. दरअसल, नामकुम क्षेत्र के एक बस्ती की दो महिलाएं वैष्णो देवी दर्शन कर 26 मई की शाम रांची पहुंची थी. 2 महिलाओं में एक महिला का करीब 10 साल का बेटा भी साथ था. कई मुसीबतें झेलते हुए जब तीनों नामकुम पहुंचे तो प्रशासन ने उन्हें होम क्वॉरेंटाइन में जाने की सलाह दी.

ये भी पढ़ें- केंद्र सरकार की योजना के बावजूद किसान परेशान, लॉकडाउन में विक्रेताओं पर भी असर

घर पहुंचते ही मोहल्ले के लोग इस कदर टूट पड़े जैसे इन लोगों के घर में आने से पूरे क्षेत्र में महामारी फैल जाएगी. यह तो बात हुई सामाजिक तिरस्कार की जिसकी सबसे बड़ी वजह है जागरूकता की कमी.

क्वॉरेंटाइन सेंटर की सुरक्षा भगवान भरोसे

जब हमारी टीम बड़गांवा पंचायत भवन में बने क्वॉरेंटाइन सेंटर के गेट पर पहुंची तो लगा कि शायद गेट भीतर से बंद होगा, लेकिन ऐसा नहीं था. जब हम कैंपस के अंदर पहुंचे तो एक हॉल में दो महिलाएं दो बच्चों के साथ बैठी नजर आईं. फिर क्या था इन महिलाओं ने अपना पूरा यात्रा वृतांत बताया. क्वॉरेंटाइन सेंटर की तमाम कमियों के बावजूद यह महिलाएं नहीं चाहती थी कि यहां की व्यवस्था पर सवाल खड़े हों.

ये भी पढ़ें- बेटी ने समोसा मांगा तो युवक ने कर दी पत्नी की हत्या, शव को टांगकर हुआ फरार

लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि महिलाओं को खाने के नाम पर कच्चा राशन दे दिया गया था. जब हमारी टीम ने यह पूछा कि अब आप खाना कैसे बनाएंगे तो एक महिला ने कहा कि अपने पति से गैस चूल्हा मंगवा लूंगी. क्वॉरेंटाइन सेंटर में बिस्तर के नाम पर टेंट हाउस से मंगवा कर दरी दे दी गई थी. मच्छरदानी भी नहीं था. महिलाओं को सिर्फ इस बात की खुशी थी कि उन्हें आसरा तो मिला, क्योंकि जिस मोहल्ले में वह किराए के घर में रहती थी, उन लोगों ने मुंह फेर लिया था. अफसोस की बात यह है कि दोनों महिलाओं की न तो अभी स्वैब टेस्ट हुई है और ना ही उनमें कोरोना का कोई लक्षण दिखा है.

देवदत्त पाठक, बीडीओ, नामकुम

ईटीवी भारत की टीम ने बीडीओ से की बात

नामकुम प्रखंड के बीडीओ देवदत्त पाठक से महिलाओं की सुरक्षा और क्वॉरेंटाइन सेंटर की व्यवस्था के बारे में पूछा गया तो गोलमोल जवाब देने लगे. बातचीत के दौरान प्रखंड विकास पदाधिकारी ने अपनी समस्याएं भी गिनाई. उन्होंने कहा कि जो भी कमी है उसको तुरंत दूर करा देते हैं.

क्वॉरेंटाइन सेंटर में प्रति व्यक्ति 60 रु प्रतिदिन

झारखंड में सरकारी क्वॉरेंटाइन में रखे गए लोगों पर प्रति व्यक्ति 60 रूपया प्रतिदिन खर्च किया जाता है. यानी एक व्यक्ति पर 14 दिन में 840 रुपए खर्च किए जाते हैं. इतने पैसे में ही साबुन, तेल, सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना और रात का खाना भी दिया जाता है. अब आप समझ सकते हैं कि 60 रु में क्या यह संभव है.

Last Updated : May 28, 2020, 12:52 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.