रांची: भाकपा माओवादी (CPI-Maoist) संगठन अब तेलंगाना और छतीसगढ़ की तर्ज पर अपने लिए सुरक्षा घेरा तैयार कर रहे हैं. बड़े माओवादी (Maoist) दस्ते की मूवमेंट के साथ साथ उस इलाके की घेराबंदी भी लो प्रेशर आईईडी बम (Low Pressure IED Bomb) से की जा रही है, ताकि पुलिस के पहुंचने पर बचाव किया जा सके और पुलिस की राह में अवरोध पैदा की जा सके. लो प्रेशन आईईडी पर पैर पड़ने पर भी धमाका हो जाता है. जिससे सुरक्षाबलों को नुकसान उठाना पड़ता है.
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ग्रामीण भी निशाने पर
माओवादियों (Maoist) की हालिया रणनीति के कारण ग्रामीण और मवेशी भी हादसे के शिकार हो रहे. पिछले बुधवार को गुमला के कुरूमगढ़ के मरवा जंगल जाने के क्रम में बरडीह गांव के रामदेव मुंडा की भी आईईडी ब्लास्ट (IED Blast) से मौत हो गई. इसी इलाके में 13 जुलाई को भी आईईडी ब्लास्ट हुआ था, जिसके कारण सीआरपीएफ के 203 बटालियन के स्वान द्रोण शहीद हो गया था. वहीं, हैंडलर गंभीर रूप से जख्मी हो गया था. 18 जुलाई को बूढ़ा पहाड़ इलाके में एक ग्रामीण की आईईडी ब्लास्ट में मौत हो गई थी.
अबतक पांच ग्रामीणों की जा चुकी है जान
साल 2021 में भाकपा माओवादियों के द्वारा लगाए गए आईइडी (IED) से जहां सुरक्षाबलों के चार जवान शहीद हुए हैं, वहीं पांच ग्रामीणों को भी आईईडी के चपेट में आने से अपनी जान गंवानी पड़ी है. झारखंड पुलिस हाल के दिनों में भाकपा माओवादियों के द्वारा उनके प्रभाव क्षेत्र में लगाए गए आईईडी को नष्ट करने के लिए अभियान चला रही है. पुलिस विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, सुरक्षाबलों को टारगेट करने के लिए भाकपा माओवादियों ने चाईबासा, लोहरदगा, लातेहार, गुमला, सरायकेला, गढ़वा समेत कई जिलों में सुरक्षाबलों की मूवमेंट पर नजर रखकर उनके संभावित रास्तों में आईईडी प्लांट किए हैं.
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कहां-कहां लगाए गए हैं आईईडी
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, सरायकेला के ट्राइजंक्शन पर भी एक करोड़ के इनामी पतिराम मांझी, आकाश उर्फ तिमिर, महाराज प्रमाणिक, अमित मुंडा जैसे बड़े माओवादियों की मौजूदगी है, वहां भी माओवादियों ने आईईडी के जरिए इलाके की घेराबंदी कर रखी है. गढ़वा के बूढ़ापहाड़ में माओवादी मिथलेश महतो के द्वारा भी आईईडी से घेराबंदी की गई है. रवींद्र गंझू के द्वारा लोहरदगा- लातेहार की सीमा व बुद्धेश्वर उरांव के द्वारा गुमला में आईईडी की घेराबंदी की गई है.
टेक विश्वनाथ की तकनीक
पहली बार तेलंगाना के माओवादी टेक विश्वनाथ ने बूढ़ापहाड़ की घेराबंदी आईईडी के जरिए की थी. लेकिन बाद के दिनों में इस तकनीक का इस्तेमाल समान्य हो गया. अब लगभग हर दूसरा नक्सली कैडर लैंडमाइंस बनाने और लगाने में माहिर हो चुका है.
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कैसे ग्रामीण हो रहे शिकार
झारखंड पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों में कच्चे रास्तों पर कई जगह आईईडी लगाए गए हैं. मवेशियों को चराने के दौरान या जंगल में जाकर जलावन काटने के दौरान ग्रामीण आईईडी की चपेट में आ रहे हैं. ऐसे ही वाकयों में अबतक पांच ग्रामीणों की मौत हो चुकी है. बीते साल भी लोहरदगा के सुदूरवर्ती बगड़ू थाना क्षेत्र के केकरांग झरना के समीप ऐसी की वारदात हुई थी. जब आईइडी विस्फोट में एक बच्ची की मौत हो गई थी. जमीन के भीतर लगाए लैंडमाइंस पर पैर पड़ने से बच्ची के शरीर के चिथड़े उड़ गए थे. विस्फोट से पांच महिलाएं गंभीर रूप से घायल हो गई थी. लोहरदगा, चाईबासा में आईईडी से ग्रामीणों के चपेट में आने की सर्वाधिक वारदातें हुईं हैं.
प्रेशर बम बन रहा खतरनाक
हाल के दिनों में भाकपा माओवादियों के द्वारा बनाया गया प्रेशर बम काफी खतरनाक साबित हो रहा है. लोहरदगा के इलाके में कई जगहों पर कच्चे रास्तों और सड़क किनारे भाकपा माओवादियों ने प्रेशर बम लगाए हैं. इन प्रेशर बम में एक आदमी का भार पड़ने पर भी विस्फोट हो जाता है. फरवरी महीनें में सेरेंगदाग में ऐसी की प्रेशर बम के चपेट में आने से एक जवान शहीद हो गया था. राज्य पुलिस मुख्यालय के प्रेशर बम और आईईडी से निपटने के लिए नई गाइडलाइंस भी जारी की है.