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भारत में 2022 के अंत तक इतिहास बन जाएगा कालाजार, राष्ट्रीय समीक्षा बैठक में उन्मूलन के लिए रखा गया लक्ष्य - review meeting of Kala-azar eradication

साल 2022 तक देश को कालाजार मुक्त बनाने के लिए कालाजार उन्मूलन की राष्ट्रीय समीक्षा बैठक संपन्न हो गई है. दो दिवसीय बैठक में कालाजार उन्मूलन के लिए हुए काम की समीक्षा की गई. इस बैठक में चार राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य अधिकारी शामिल हुए.

इतिहास बन जाएगा कालाजार
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Published : May 1, 2022, 10:41 AM IST

Updated : May 1, 2022, 1:07 PM IST

रांची: साल 2022 के अंत तक कालाजार मुक्त भारत बनाने के संकल्प के साथ कालाजार उन्मूलन की राष्ट्रीय समीक्षा बैठक संपन्न हो गई है. दो दिवसीय बैठक में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य अधिकारी, एनवीबीडीसीपी के पदाधिकारी, विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधियों के साथ साथ भारत सरकार में संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों ने भाग लिया. बैठक में चार राज्यों जहां कालाजार की बीमारी मौजूद है वहां उसके उन्मूलन के लिए हुए काम, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की सक्सेस स्टोरी, बिहार झारखंड में कई प्रखंडों में ज्यादा केस मिलने की वजह से धरातल पर किए गए काम की समीक्षा की गई.

ये भी पढ़ें:- कालाजार उन्मूलन को लेकर रांची में दो दिवसीय समीक्षा बैठक, झारखंड के 04 जिलों के 33 ब्लॉक कालाजार से प्रभावित

कालाजार को समाप्त करने का लक्ष्य नहीं हुआ पूरा: दो दिवसीय कालाजार समीक्षा बैठक में भाग लेने आये भारत सरकार में संयुक्त सचिव राजीव मांझी ने कहा कि वर्ष 2020 तक देश से कालाजार को खत्म करने का लक्ष्य था परंतु कोरोना महामारी की वजह से लॉक डाउन और सर्विलांस की कमी की वजह से लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा सका. आज भी दो राज्य बिहार (2 प्रखंड) और झारखंड (06) प्रखंड ऐसे हैं जहां प्रति हजार 01 से ज्यादा मरीज मिल रहे हैं ,जब तक इस आंकड़ें को घटाकर प्रति 10 हजार आबादी पर एक केस से कम नहीं कर देते तबतक कालाजार उन्मूलन नहीं माना जा सकता ,इसलिए दो दिनों की समीक्षा बैठक में यह रणनीति बनीं कि कैसे हम इन आठ प्रखंडों में कालाजार को प्रति 10 हजार की आबादी पर 01 से कम केस कर दें ताकि देश कालाजार मुक्त हो सके.

देखें पूरी खबर

झारखंड, बिहार से ज्यादा प्रभावित: झारखंड बिहार से ज्यादा कालाजार से प्रभावित है. जहां ज्यादा केस मिल रहे हैं तो क्या झारखंड में कालाजार उन्मूल कार्यक्रन फेल हो गई इस सवाल के जवाब में राज्य में कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के स्टेट सलाहकार डॉ अंजुम इकबाल कहते हैं कि ऐसा नहीं है. जिन संथाल के जिन इलाकों में कालाजार का प्रकोप है वह दुर्गम भौगोलिक क्षेत्र वाला एरिया है तो कोविड19 की वजह से कार्यक्रम का सर्विलांस भी बाधित हुआ.

देश में अभी कालाजार के 2000 केस: देश के चार राज्यों में ही कालाजार की बीमारी ज्यादा होती रही है. ये प्रदेश हैं बिहार,उत्तरप्रदेश,झारखंड और पश्चिम बंगाल. कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम चलने के बाद उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल ने कालाजार को अपने यहां से एलिमिनेट कर दिया है यानि इन दो प्रदेशों में कोई भी एक ऐसा प्रखंड नहीं बचा है जहां प्रति 10 हजार की आबादी पर 01 या उससे ज्यादा केस मिल रहा हो. तकनीकी रूप से यह माना जाता है कि अगर किसी प्रखंड में प्रति 10 हजार की आबादी पर 01 से कम कालाजार के मरीज मिले तो इस बीमारी को एलिमिनेट मान लिया जाता है. इस तरह देश मे अभी सिर्फ बिहार झारखंड के 08 प्रखंड हैं जहां दस हजार की आबादी पर 01 से ज्यादा कालाजार के मरीज मिल रहे है. देश मे भी कालाजार के करीब 2000 मरीज हैं जिनका निःशुल्क इलाज भारत सरकार करा रही है. सरकार की योजना आने वाले दिनों में इस बीमारी को प्रति 10 हजार 0.5 या उससे भी कम करने की है और फिर आंकड़े को घटाकर शून्य करना है.

रांची: साल 2022 के अंत तक कालाजार मुक्त भारत बनाने के संकल्प के साथ कालाजार उन्मूलन की राष्ट्रीय समीक्षा बैठक संपन्न हो गई है. दो दिवसीय बैठक में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य अधिकारी, एनवीबीडीसीपी के पदाधिकारी, विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधियों के साथ साथ भारत सरकार में संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों ने भाग लिया. बैठक में चार राज्यों जहां कालाजार की बीमारी मौजूद है वहां उसके उन्मूलन के लिए हुए काम, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की सक्सेस स्टोरी, बिहार झारखंड में कई प्रखंडों में ज्यादा केस मिलने की वजह से धरातल पर किए गए काम की समीक्षा की गई.

ये भी पढ़ें:- कालाजार उन्मूलन को लेकर रांची में दो दिवसीय समीक्षा बैठक, झारखंड के 04 जिलों के 33 ब्लॉक कालाजार से प्रभावित

कालाजार को समाप्त करने का लक्ष्य नहीं हुआ पूरा: दो दिवसीय कालाजार समीक्षा बैठक में भाग लेने आये भारत सरकार में संयुक्त सचिव राजीव मांझी ने कहा कि वर्ष 2020 तक देश से कालाजार को खत्म करने का लक्ष्य था परंतु कोरोना महामारी की वजह से लॉक डाउन और सर्विलांस की कमी की वजह से लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा सका. आज भी दो राज्य बिहार (2 प्रखंड) और झारखंड (06) प्रखंड ऐसे हैं जहां प्रति हजार 01 से ज्यादा मरीज मिल रहे हैं ,जब तक इस आंकड़ें को घटाकर प्रति 10 हजार आबादी पर एक केस से कम नहीं कर देते तबतक कालाजार उन्मूलन नहीं माना जा सकता ,इसलिए दो दिनों की समीक्षा बैठक में यह रणनीति बनीं कि कैसे हम इन आठ प्रखंडों में कालाजार को प्रति 10 हजार की आबादी पर 01 से कम केस कर दें ताकि देश कालाजार मुक्त हो सके.

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झारखंड, बिहार से ज्यादा प्रभावित: झारखंड बिहार से ज्यादा कालाजार से प्रभावित है. जहां ज्यादा केस मिल रहे हैं तो क्या झारखंड में कालाजार उन्मूल कार्यक्रन फेल हो गई इस सवाल के जवाब में राज्य में कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के स्टेट सलाहकार डॉ अंजुम इकबाल कहते हैं कि ऐसा नहीं है. जिन संथाल के जिन इलाकों में कालाजार का प्रकोप है वह दुर्गम भौगोलिक क्षेत्र वाला एरिया है तो कोविड19 की वजह से कार्यक्रम का सर्विलांस भी बाधित हुआ.

देश में अभी कालाजार के 2000 केस: देश के चार राज्यों में ही कालाजार की बीमारी ज्यादा होती रही है. ये प्रदेश हैं बिहार,उत्तरप्रदेश,झारखंड और पश्चिम बंगाल. कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम चलने के बाद उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल ने कालाजार को अपने यहां से एलिमिनेट कर दिया है यानि इन दो प्रदेशों में कोई भी एक ऐसा प्रखंड नहीं बचा है जहां प्रति 10 हजार की आबादी पर 01 या उससे ज्यादा केस मिल रहा हो. तकनीकी रूप से यह माना जाता है कि अगर किसी प्रखंड में प्रति 10 हजार की आबादी पर 01 से कम कालाजार के मरीज मिले तो इस बीमारी को एलिमिनेट मान लिया जाता है. इस तरह देश मे अभी सिर्फ बिहार झारखंड के 08 प्रखंड हैं जहां दस हजार की आबादी पर 01 से ज्यादा कालाजार के मरीज मिल रहे है. देश मे भी कालाजार के करीब 2000 मरीज हैं जिनका निःशुल्क इलाज भारत सरकार करा रही है. सरकार की योजना आने वाले दिनों में इस बीमारी को प्रति 10 हजार 0.5 या उससे भी कम करने की है और फिर आंकड़े को घटाकर शून्य करना है.

Last Updated : May 1, 2022, 1:07 PM IST
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