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मदर्स डे स्पेशलः मजबूत मम्मी का कमाल, कोरोना में भी नहीं थम रही इनकी रफ्तार - दीपाली अमृत झारखंड

मदर्स डे के अवसर पर आज आपको एक ऐसी मां से रूबरू कराएंगे जो वाकई में कई कठिनाइयों को पार कर आज झारखंड का नाम रोशन कर रही है. यह है झारखंड की पहली महिला लोको पायलट दीपाली अमृत. एक बच्चे की मां दीपाली दक्षिण पूर्वी रेलवे की बेहतरीन लोको पायलट है. ईटीवी भारत की टीम ने मदर्स डे के उपलक्ष्य में इनसे खास बातचीत की है.

mothers day special story on deepali amrit
मदर्स डे पर दीपाली अमृत की कहानी
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Published : May 10, 2020, 5:59 PM IST

Updated : May 10, 2020, 6:54 PM IST

रांची: हर सफलता के पीछे एक सपना जरूर होता है और उस सपने को पूरा करने के लिए अगर आप दृढ़ इच्छा शक्ति रखते हो तो सपना जरूर पूरा होता है. रांची कांके की रहने वाली दीपाली अमृत ने भी ऐसा ही एक सपना देखा था और उन्होंने इस सपने को साकार कर के भी दिखाया है. झारखंड की पहली महिला लोको पायलट दीपाली अमृत के जज्बे की सराहना दक्षिण पूर्वी रेलवे ने भी उनके ऊपर एक डॉक्यूमेंट्री बनाकर की है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-रांचीः कंटेनमेंट जोन में तैनात पुलिसकर्मियों को किया गया सम्मानित, SP ने किया पुरस्कृत

झारखंड की पहली महिला लोको पायलट का भी बचपन से ही ये सपना था कि कुछ अलग करना है और इसके लिए दीपाली की मां ने उसे काफी प्रेरणा दी थी. दीपाली खुद एक बच्चे की मां है और अपने काम के साथ-साथ मां होने का धर्म और फर्ज को भी दीपाली बखूबी निभाती है .

वर्ष 2007 में शुरू हुआ सफर

वर्ष 2007 में दीपाली ने असिस्टेंट लोको पायलट के रूप में रेलवे ज्वाइन किया. फिर शुरू हुआ रेलवे के साथ इनका सफर. संयुक्त परिवार में रहने के कारण दीपाली को पारिवारिक समस्या से कम जूझना पड़ा. लेकिन फिर भी एक मां होने के नाते उन्हें बच्चे के साथ-साथ अपने काम को भी कैसे संतुलित करें यह एक बड़ी चिंता थी. पढ़ाई के बाद दीपाली का सहयोग उसकी मां करती थी, लेकिन जब शादी हुई और ससुराल आई, बच्चे हुए तब सासु मां ने उनका काफी सहयोग किया. दीपाली मां और सासू मां दोनों को एक समान मानती है. साथ ही अपने काम को भी तवज्जो देती हैं. दीपाली कहती हैं बच्चों के साथ-साथ परिवार और काम का तालमेल बैठाना थोड़ा कठिन जरूर है, लेकिन परिवार का सहयोग और दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण आज वह दक्षिण पूर्वी रेलवे के तमाम पटरी पर ट्रेन चला चुकी है.

फिलहाल कोरोना वायरस संक्रमण का दौर है और इस दौरान भी दीपाली को अपने बच्चों और परिवार के साथ समय गुजारना थोड़ा मुश्किल जरूर हो रहा है क्योंकि वह लगातार काम भी कर रही हैं. दीपाली कहती हैं कि घर जाने के बाद सही तरीके से सैनिटाइजर का उपयोग करती है. उसके बाद ही अपने परिवार के साथ समय बिताती है.

मदर्स डे के अवसर पर ऐसी माताओं को ईटीवी भारत की ओर से भी सलाम है. क्योंकि ऐसे ही महिलाओं की बदौलत ही आज भारत अग्रिम श्रेणी में है और निरंतर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है, आधी दुनिया की वजह से ही आज भारत विश्व पटल पर अपना परचम लहराने में सक्षम हो सका है.

रांची: हर सफलता के पीछे एक सपना जरूर होता है और उस सपने को पूरा करने के लिए अगर आप दृढ़ इच्छा शक्ति रखते हो तो सपना जरूर पूरा होता है. रांची कांके की रहने वाली दीपाली अमृत ने भी ऐसा ही एक सपना देखा था और उन्होंने इस सपने को साकार कर के भी दिखाया है. झारखंड की पहली महिला लोको पायलट दीपाली अमृत के जज्बे की सराहना दक्षिण पूर्वी रेलवे ने भी उनके ऊपर एक डॉक्यूमेंट्री बनाकर की है.

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झारखंड की पहली महिला लोको पायलट का भी बचपन से ही ये सपना था कि कुछ अलग करना है और इसके लिए दीपाली की मां ने उसे काफी प्रेरणा दी थी. दीपाली खुद एक बच्चे की मां है और अपने काम के साथ-साथ मां होने का धर्म और फर्ज को भी दीपाली बखूबी निभाती है .

वर्ष 2007 में शुरू हुआ सफर

वर्ष 2007 में दीपाली ने असिस्टेंट लोको पायलट के रूप में रेलवे ज्वाइन किया. फिर शुरू हुआ रेलवे के साथ इनका सफर. संयुक्त परिवार में रहने के कारण दीपाली को पारिवारिक समस्या से कम जूझना पड़ा. लेकिन फिर भी एक मां होने के नाते उन्हें बच्चे के साथ-साथ अपने काम को भी कैसे संतुलित करें यह एक बड़ी चिंता थी. पढ़ाई के बाद दीपाली का सहयोग उसकी मां करती थी, लेकिन जब शादी हुई और ससुराल आई, बच्चे हुए तब सासु मां ने उनका काफी सहयोग किया. दीपाली मां और सासू मां दोनों को एक समान मानती है. साथ ही अपने काम को भी तवज्जो देती हैं. दीपाली कहती हैं बच्चों के साथ-साथ परिवार और काम का तालमेल बैठाना थोड़ा कठिन जरूर है, लेकिन परिवार का सहयोग और दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण आज वह दक्षिण पूर्वी रेलवे के तमाम पटरी पर ट्रेन चला चुकी है.

फिलहाल कोरोना वायरस संक्रमण का दौर है और इस दौरान भी दीपाली को अपने बच्चों और परिवार के साथ समय गुजारना थोड़ा मुश्किल जरूर हो रहा है क्योंकि वह लगातार काम भी कर रही हैं. दीपाली कहती हैं कि घर जाने के बाद सही तरीके से सैनिटाइजर का उपयोग करती है. उसके बाद ही अपने परिवार के साथ समय बिताती है.

मदर्स डे के अवसर पर ऐसी माताओं को ईटीवी भारत की ओर से भी सलाम है. क्योंकि ऐसे ही महिलाओं की बदौलत ही आज भारत अग्रिम श्रेणी में है और निरंतर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है, आधी दुनिया की वजह से ही आज भारत विश्व पटल पर अपना परचम लहराने में सक्षम हो सका है.

Last Updated : May 10, 2020, 6:54 PM IST
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