रांची: झारखंड में मानव तस्करी और उसके रोकथाम को लेकर हर जिले में निगरानी समिति गठित की जाएगी. झारखंड में मानव तस्करी और उसकी रोकथाम को लेकर कोडरमा के मानवाधिकार कार्यकर्ता ओंकार विश्वकर्मा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत की थी. मानवाधिकार कार्यकर्ता की शिकायत को लेकर आयोग ने इस संबंध में राज्य सरकार से प्रतिवेदन की मांग की थी. इसके बाद सीआईडी ने पुलिस मुख्यालय को इस संबंध में रिपोर्ट दी.
क्या है रिपोर्ट
सीआईडी की वह रिपोर्ट जो राज्य सरकार के गृह विभाग को भेजी गई है, उसमें बताया गया है कि राज्य में मानव तस्करी के लिहाज से रेड जोन में विशेष कार्य हो रहे हैं. सीआइडी ने जानकारी दी है कि राज्य में सभी 24 जिलों में मानव तस्करी रोकने के लिए एएचटीयू कार्यरत हैं. विभिन्न संस्थाओं और प्रखंड स्तर पर अब मानव व्यापार निगरानी समिति गठित की जाएगी, जो एएचटीयू थानों के साथ मिलकर काम करेगी. जानकारी दी गई है कि राज्य के सभी एएचटीयू थाना के पुलिस पदाधिकारियों को समय समय पर सीआईडी, एनजीओ व न्यायिक अकादमी की ओर से कार्यशाला अयोजित कर प्रशिक्षण दिया जाता है.
मानव तस्करी रोकने के लिए ये कदम उठाए जा रहे
सीआईडी ने बताया है कि प्लेसमेंट एजेंसियों पर नौकरी के नाम पर युवक-युवतियों को महानगरों में बेचने के आरोप लगते हैं. इसकी रोकथाम के लिए झारखंड निजी नियोजन अभिकरण एवं घरेलू कामगार विधेयक 2016 पारित किया गया है. इसके तहत श्रमाधान पोर्टल में रोजगारप्रदाता और मजदूर दोनों का निबंधन किया जाता है. पुलिस मुख्यालय की ओर से भी सभी जिला मुख्यालय में पदस्थापित डीएसपी को स्पेशल जुवेनाइल पुलिस यूनिट का प्रभारी बनाया गया है. वहीं, रेलवे स्टेशनों पर निगरानी के लिए जमशेदपुर और धनबाद रेल एसपी को सीआईडी को भी निर्देश दिया गया है.
प्रवासियों का निबंधन जरूरी
सीआईडी ने आयोग को जानकारी दी है कि राज्य में प्रखंड स्तर पर बाहर जाने वालों का निबंधन कराया जाता है. साथ ही जागरूकता अभियान चलाकर कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षित कर नौकरी दिलाने का काम किया जा रहा है.